ब्रिटेन में आज आम चुनाव हो रहे हैं कहा जा रहा है कि भारतीय मूल के मतदाता साबित हो सकते हैं निर्णायक. इन चुनावों में पूर्वानुमानों के अनुसार खण्डित जनादेश की संभावना जताते हुए कहा जा रहा है कि सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी को मामूली बढ़त मिल सकती है.


ब्रिटेन की 650 सदस्यीय संसद के लिए गुरुवार को वोट डाले जाएंगे. खंडित जनादेश के आसार के बीच भारतीय मूल के मतदाता निर्णायक साबित हो सकते हैं. सर्वेक्षण कांटे की टक्कर में सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी को मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी पर मामूली बढ़त दिखा रहे हैं. हालांकि स्पष्ट बहुमत के लिए जरूरी 326 सीटों से दोनों ही दल काफी दूर दिखाई दे रहे हैं. स्कॉटिश नेशनल पार्टी के तीसरे सबसे बड़े दल के तौर पर उभरने की उम्मीद है और माना जा रहा है कि लेबर पार्टी उसके सहयोग से सरकार बनाने में कामयाब हो सकती है. इससे पहले बुधवार को चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सभी दलों ने मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी. नतीजे शुक्रवार को आएंगे और 18 मई को नई संसद का गठन होगा. डराने धमकाने का खेल


यूके इंडिपेंडेंट पार्टी ने अपने एक प्रत्याशी को प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को गोली मारने की धमकी देने के बाद निलंबित कर दिया है.  डेली मिरर के अनुसार पूर्वी हेम्पशायर से उम्मीदवार 55 वर्षीय रॉबर्ट ब्ले की टिप्पणी को घिनौना करार देते हुए पार्टी ने यह कार्रवाई की है. ब्ले ने इस सीट से कंजरवेटिव पार्टी के श्रीलंकाई मूल के उम्मीदवार रानिल जयवद्र्धना को शनिवार को एक चुनावी सभा के दौरान धमकी दी थी.  भारतीय मूल के लोगों पर है निगाह बताया जा रहा है कि पिछले कुछ अर्से में प्रवासियों के बीच लेबर पार्टी की लोकप्रियता कम हुई है. २010 में कंजरवेटिव पार्टी को 307 और लेबर को 258 सीटें मिली थीं. इस बार जिन सीटों पर प्रवासी मतदाताओं की भूमिका अहम मानी जा रही है, उनमें से 12 लेबर, छह कंजरवेटिव और दो सीटें लिबरल डेमोक्रेट के पास हैं. ब्रिटेन में भारतीय मूल के मतदाताओं की संख्या करीब 615,000 मानी जाती है और इस बार के चुनाव में उनकी भूमिका अहम बतायी जा रही है. साल 1997 में लेबर पार्टी के समर्थन में भारतीय मूल के 77 फीसदी मतदाता थे जो 2014 में घटकर 18 फीसदी हो गया. वहीं कंजरवेटिव पार्टी को पिछले चुनाव में जातीय अल्पसंख्यकों का 16 फीसदी मत मिला था. पार्टी इस तबके को अबकी बार आकर्षित करने की पूरी कोशिश कर रही है. उसने भारतीय मूल के 17 लोगों को उम्मीदवार बनाया है. इन उम्मीदवारों में इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद ऋषि सुनक भी शामिल हैं. अमनदीप सिंह भोगल उत्तरी आयरलैंड में चुनाव लड़ रहे हैं. वह यहां चुनाव लडऩे वाले पहले सिख हैं.

दूसरी तरफ लेबर और लिबरल डेमोक्रेट ने भारतीय मूल के 14-14 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. लेबर पार्टी ने 52 अश्वेत और अल्पसंख्यक उम्मीदवार खड़े किए हैं. इनमें पिछली संसद के 16 सदस्य हैं.

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Posted By: Molly Seth