पाकिस्तान में आतंकियों को मिल रही शरण और आर्थिक मदद से अंतरराष्ट्रीय बिरादरी चिंतित है। लंबे समय से जारी यह सिलसिला खत्म नहीं हो रहा। अमेरिका की ओर से यह बयान पाकिस्तान को आतंकियों को मदद करने वाले देशों की अंतरराष्ट्रीय सूची में डालने की प्रक्रिया शुरू होने की चर्चा के बीच आया है। उल्लेखनीय है कि इस बाबत टास्क फोर्स की बैठक पेरिस में 18 से 23 फरवरी के बीच होनी है। आतंकियों की आर्थिक मदद पर नजर और मदद करने वाले देश पर कार्रवाई की संस्तुति करने वाली यह सर्वोच्च संस्था है।


आगाह करने के बावजूद नहीं हुआ कोई फायदाअमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नौअर्ट ने कहा, अंतरराष्ट्रीय बिरादरी पाकिस्तान सरकार को इस बाबत कई बार आगाह कर चुकी है। लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ है। पाकिस्तान में आतंकियों की मदद करने वाले तंत्र के कामकाज पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। नौअर्ट ने यह बात पाकिस्तानी वित्त मंत्री राणा अफजल के उस बयान पर कही जिसमें पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय निगरानी सूची में डालने की आशंका जताई गई थी।विदेशों से मिलनी बंद हो जाएगी मदद
अफजल ने पाकिस्तानी संसद में दिए बयान में कहा था कि देश की आर्थिक तरक्की को नुकसान पहुंचाने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन उसे आतंकियों को मदद देने वाले देशों की सूची में डालना चाहते हैं। इससे पाकिस्तान को विदेशों से आर्थिक सहायता मिलनी मुश्किल हो जाएगी और विदेशी पूंजीनिवेश पर भी गलत असर पड़ेगा। वैसे पाकिस्तान इस निगरानी सूची में सन 2012 से 2015 के बीच रह चुका है।ट्रंप और मोदी के बीच मजबूत रिश्ता


अमेरिका और भारत के बीच अच्छे रिश्ते की वकालत करते हुए प्रवक्ता ने राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच मजबूत संबंध होने की बात कही। कहा, राष्ट्रपति की सलाहकार व बेटी इवांका के कुछ महीने पहले हैदराबाद के दौरे से इन संबंधों में और मजबूती आई। प्रवक्ता ने अफगानिस्तान के विकास में भारत की भूमिका की भी प्रशंसा की। कहा, यह आपसी सहयोग का एक बेहतरीन उदाहरण है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने भारत के साथ संबंधों को आकाश की असीमित ऊंचाई तक जाने की संभावना जताई थी।

Posted By: Satyendra Kumar Singh