20 साल में 16.67 लाख बढ़ी आबादी
जनसंख्या दिवस आज
-4,20,239 परिवार वर्ष 1991 में -7,10,760 परिवार वर्ष 2011 में -2,90,521 परिवार बढ़े बीस साल में आगरा, जेएनएन : बढ़ती जनसंख्या आगरा के लिए बड़ी समस्या बनती जा रही है। वर्ष 1991 में जिले का जितना क्षेत्रफल था, वह उतना ही है, मगर जनसंख्या 16.67 लाख बढ़ चुकी है। ये जनसंख्या वृद्धि तो वर्ष 1991 से वर्ष 2011 के बीच की है। यदि इस साल जनगणना हो जाती तो पता चलता है कि उसी क्षेत्रफल में जिले की आबादी 50 लाख से ऊपर पहुंच चुकी है। क्योंकि वर्ष 1991-2001 के बीच 8.72 लाख और वर्ष 2001-2011 के बीच 7.95 लाख की जनसंख्या वृद्धि हो चुकी है। सीमित क्षेत्रफल में भीड़ बढ़ने से सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है। बढ़ रहा जनसंख्या का घनत्व11 जुलाई को (आज) विश्व जनसंख्या दिवस है। इस मौके पर प्रदेश सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानूनी रास्ते निकालने में लगी है। राज्य विधि आयोग ने यूपी जनसंख्या विधेयक-2021 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इस ड्राफ्ट के अनुसार दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने तक पर रोक लगाने का प्रस्ताव है। सरकारी योजनाओं का भी लाभ न देने की तैयारी है। अपने जिले में भी जनसंख्या घनत्व बढ़ता जा रहा है। जिला सांख्यिकी पत्रिका के अनुसार आगरा का क्षेत्रफल 4027 वर्ग किमी है। इसी क्षेत्रफल में वर्ष 1991 में 4,08,624 आवासीय मकान थे। वर्ष 2011 में इनकी संख्या बढ़कर 6,38,996 पहुंच गई। इन बीस सालों में 16.67 लाख आबादी बढ़ने से 2,30,372 आवासीय मकान बढ़ गए।
कोरोना के चलते नहीं हो पाई जनगणना वर्ष 2011 के बाद वर्ष 2021 में जनगणना होनी थी। इसके लिए बीते वर्ष की शुरुआत में ही तैयारी शुरू कर दी गई थी। जनगणना के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने का काम शुरू हो गया था। मगर, प्रशिक्षण के बीच ही कोरोना का कहर बरपना शुरू हो गया। इसके चलते न सिर्फ प्रशिक्षण कार्यक्रम स्थगित करने पड़े, बल्कि जनगणना ही स्थगित कर दी गई। केंद्र सरकार की ओर से इस संबंध में अभी तक कोई नया आदेश नहीं आया है। एक नजर वर्ष कुल जनसंख्या पुरुष महिला 1991 27,51,021 15,01,927 12,49,0942001 36,23,297 19,62,813 16,60,484
2011 44,18,797 23,64,953 20,53,844 (नोट: सभी आंकड़े वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर हैं.) जनसंख्या पर नियंत्रण बहुत जरूरी है। जनसंख्या बढ़ने से प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग बढ़ रहा है। सभी को संसाधनों का लाभ नहीं मिल पा रहा। इसके लिए जरूरी है कि जनसंख्या पर नियंत्रित किया जाए। -डॉ। महादेव सिंह, समाजशास्त्री