कोरोना से लड़ाई में शहर को अब तीसरी वैक्सीन मिल गई है. कोविशील्ड और को-वैक्सीन के अलावा जायकोव-डी का टीका भी लगाया जाएगा. मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि जायडस कैडिला कंपनी द्वारा तैयार की गई जायकोव-डी नाम की वैक्सीन जल्दी ही जनपद में लोगों को 40 फार्माजेट द्वारा लगाई जाएगी.

आगरा (ब्यूरो)। सीएमओ ने बताया कि शासनस्तर पर इसकी सारी योजना तैयार कर ली गई है। सूबे के 14 जनपदों में इसे लगाया जाएगा। आगरा में इसकी 402420 डोज आएंगी और 134100 लक्षित लाभार्थियों को इसे लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस वैक्सीन को लगाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को अलग से प्रशिक्षण दिया जाएगा।

दर्द रहित होगा वैक्सीनेशन
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ। संजीव वर्मन ने बताया कि नए टीके की डोज के लिए फार्माजेट आवंटित किए गए हैं। उन्होंने बताया यह टीका दर्द रहित है, जो लोग नीडल से डरते हैं, उनके लिए यह टीका सबसे अच्छा सरल उपाय है। जनपद में जायकोव-डी टीके की खेप आते ही सत्र निर्धारित कर टीकाकरण शुरू कर दिया जाएगा। सबसे पहले जिला स्तरीय अस्पतालों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जल्द ही सत्र लगाएं जाएंगे।

वर्चुअल मीटिंग में दी जानकारी
वैक्सीनेशन से पहले जिले में टीकाकरण कर्मियों को जयकोव-डी के बारे में जानकारी देते हुए प्रशिक्षण दिया जाएगा। पिछले दिनों ऑनलाइन मीटिंग के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधियों को टीकाकरण के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है।

लगाई जाएंगी तीन डोज
डीआईओ डॉ। वर्मन ने बताया कि जायकोव-डी को 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों को 28 दिन के अंतराल पर फार्माजेट के माध्यम से तीन डोज लगाई जाएंगी। उन्होंने बताया कि जिले में अभी तक महामारी से बचाव के लिए लोगों को कोविशील्ड और को-वैक्सीन की डोज दी जा रही है। लोगों को इन दोनों वैक्सीन के दो डोज लगवाने होते हैं। लेकिन इस तीसरी वैक्सीन के लोगों को तीन डोज लेने होंगे।

कोविशील्ड से पहले कोर्स पूरा
डीआईओ ने बताया कि जायकोव-डी के हर डोज के बीच कम से कम 28 दिन का अंतराल रहेगा। जायकोव-डी का पहला डोज लेने के 28वें दिन दूसरा डोज और 56 वें दिन तीसरा डोज लेना है। यह पहला ऐसा टीका है जिसमें तीन डोज लेनी है। इसका कोर्स कोविशील्ड से पहले ही पूरा हो जाएगा। दो डोज वाली कोविशील्ड के दोनों डोज के बीच का अंतराल 84 दिन होता है।

इस तरह दी जाती है डोज
जायकोव-डी को फार्माजेट सुई रहित तकनीक (फार्माजेट नीडल फ्री एप्लीकेटर) की मदद से लगाया जाएगा। इसमें सुई की जरूरत नहीं पड़ती। बिना सुई वाले इंजेक्शन में दवा भरी जाती है, फिर उसे एक मशीन में लगाकर बांह पर लगाते हैं। मशीन पर लगे बटन को क्लिक करने से टीका की दवा अंदर शरीर में पहुंच जाती है।

क्लोड स्टोरेज का झंझट नहीं
जायकोव-डी के साथ एक और अच्छी बात यह है कि इसको रखने के लिए तापमान को बहुत ज्यादा कम नहीं रखना होता। मतलब इसकी थर्मोस्टेबिलिटी अच्छी है। इससे कोल्ड चेन आदि का झंझट नहीं होगा, जिसकी कमी की वजह से अब तक वैक्सीन बर्बाद होने की बात कही जा रही थी।

Posted By: Inextlive