आगरा. ब्यूरो गंगा में भी पानी सीमित है. कब तक हम इस पर निर्भर रहेंगे. गंगाजल कब तक हमारी प्यास बुझा सकेगा. आगरा में पानी की कमी नहीं है. चारों ओर वॉटर रिजर्व वायर है लेकिन इनको एक्टिवेट करने की जरूरत है. जिससे शहर का ग्राउंड वॉटर भी रिचार्ज हो सकेगा. दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर कैंपेन 'पानी बड़ी चीज हैÓ के तहत पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया जिसमें आगराइट्स ने कुछ इस तरह विचार रखे. पैनल डिस्कशन का आयोजन सिकंदरा स्थित दैनिक जागरण ऑफिस में किया गया.

पृथ्वी पर हर किसी को पानी की जरूरत
जलाधिकार फाउंडेशन के सेक्रेटरी दिवाकर तिवारी ने बताया कि जब भी हम पानी की चर्चा करते हैं। मुनष्यों की बात होती है। लेकिन पृथ्वी पर हर किसी को पानी की आवश्यकता है। आमजन को ये समझना होगा कि वॉटर की गवर्नमेंट कस्टोडियन है, मालिक नहीं है। इसलिए वॉटर सभी के लिए फ्री होना चाहिए। शहर के चारों ओर कई ऐसी वॉटर बॉडीज हैं, जिनको सहेजने की जरूरत है। इसमें कीथम झील, जोधपुर झाल, चंबल, भरतपुर की ओर कई छोटे डैम हैं, जिनको रीस्टोर किया जा सकता है। गंगाजल प्रोजेक्ट के तहत शहर में पानी की लाइन बिछाई जा रही है। लेकिन प्वॉइंट बाहर ही छोड़ दिया गया है। इन पर टोंटी नहीं लगाई गई है। जलाधिकार फाउंडेशन के सेक्रेटरी दिवाकर तिवारी ने बताया कि गंगाजल प्रोजेक्ट के तहत जो पानी शहर को मिला है, वह पीने के लिए है। न कि धुलाई और नहाने के लिए। गंगाजल को सेम टंकी में डाला जा रहा है। गंगाजल की जो पवित्रता है, वह भी प्रभावित हो रही है। गंगा में पानी भी सीमित है। जब गंगा में पानी नहीं बचेगा तो क्या करोगेे। जरूरी है कि रिजर्व वायर को एक्टिवेट किया जाए।


पहाड़ों पर भी नहीं है पानी
संस्था ईको फ्रेंड्स वेलफेयर सोसाइटी के प्रेसिडेंट डॉ। मनिंदर कौर ने कहा कि अब तो पहाड़ों पर भी पानी नहीं है। शिमला या किसी पहाड़ी क्षेत्र में चले जाइए, आपको पानी नहीं मिलेगा। ऐसे में जरूरी है कि लोग पानी बचाने के लिए मोटीवेट हों। शहर में ग्राउंड वॉटर का मिसयूज होता है। हमने अपने अभियान के दौरान पांच हजार घरों पर दस्तक दी। एक-एक घर में जाकर लोगों को पानी की बर्बादी रोकने के प्रति अवेयर किया। आरओ प्लांट जो घरों में लगे हुए थे, उन्हें बताया गया कि इससे जो वेस्टेज पानी निकल रहा है उसे बर्बाद न करें। उसका घर के अन्य मल्टीपल कार्यों में यूज में लाएं।

जल का सम्मान करें
संस्था ईको फ्रेंड्स वेलफेयर सोसाइटी की सेक्रेटरी अंजू दियालानी ने कहा कि हमारे जो पंचतत्व हैं, उन्हीं से हमारा शरीर बना है, उन्हीं पंचतत्व में शरीर समाप्त हो जाता है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम जल का सम्मान करें, जिससे ये आने वाली पीढ़ी को मिल सके। 20 से 25 वर्ष पहलेे गौर करेंगे तो देखेंगे कि इस कदर पानी की किल्लत नहीं थी। लोग वाटरवक्र्स के नलों से आने वाले पानी को ही पीते थे। दिक्कत तब से शुरू हुई जब से इसका व्यवासायीकरण शुरू हुआ।

पानी की बर्बादी रोकने पर टोकें
रंगकर्मी अनिल जैन ने कहा कि पानी की बर्बादी को रोकने के लिए बहुत ही आवश्यक है। मैं तो जब भी रास्ते से गुजरता हूं, अगर कोई पानी की बर्बादी कर रहा है तो उसे टोकता हूं। इसका असर भी होता है कि वह आगे इस पानी की बर्बादी करते नहीं दिखता। टॉयलेट में फ्लश करने के दौरान पानी की बर्बादी को रोका जाना चाहिए। एकबार फ्लश करने में 10 से 15 लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। इसकी जगह पानी डालने के लिए मग का इस्तेमाल किया जा सकता है।

तालाबों को किया जाए रीस्टोर
सिविल सोसाइटी के सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने कहा कि शहर में वेटलैंड की आवश्यकता नहीं है। बल्कि इसकी जगह तालाबों को रीस्टोर करने की जरूरत है। गंगाजल कितनों को पानी देगा और कब तक देगा। जबकि आगरा में ही पर्याप्त पानी है। जगनेर में 32 बंधिया हैं। करौली की पहाडिय़ों से पानी उंटगन नदी में आता है। ये पानी फतेहाबाद के रिहावली में यमुना नदी में मिलता है। यहां डैम का निर्माण होने से बड़ी मात्रा में पानी को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्होंने क्षेत्रीय सांसद राजकुमार चाहर को लेटर भी लिखा और मुलाकात भी की। लेकिन सांसद की ओर से कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया गया। बाद में जिला पंचायत अध्यक्ष मंजू मदौरिया के सामने इस प्रस्ताव को रखा गया तो उन्होंने इस पर संज्ञान लेते हुए शासन को लेटर लिखा। इस नदी पर डैम बनने से शमसाबाद-फतेहाबाद समेत आधे शहर को पानी मिल सकेगा।
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हमें गंगाजल मिल रहा है, लेकिन अब भी हम उसे प्यूरीफाई कर रहे हैं। आरओ के जरिए निकलने वाले वेस्टेज पानी को नालियों में बहा देते हैं। इसे रोकना होगा। हम तो घर-घर जाकर इस बारे में अवेयर भी करते हैं। सरकार गंगाजल प्रोजेक्ट लेकर आई, लेकिन मॉनिटरिंग के अभाव में इसकी बर्बादी हो रही है। इस तरह के प्रोजेक्ट में आमजन भागीदारी होनी चाहिए, जिससे प्रॉपर मॉनिटरिंग हो सके।
अंजू दियालानी, सेक्रेटरी, ईको फ्रेंड्स वेलफेयर सोसाइटी

गंगा में भी पानी सीमित है। कब तक गंगाजल हमारी पास बुझा सकेगा? इसके लिए आज से ही अन्य वॉटर सोर्सेज पर काम करना होगा। आगरा में पानी की कमी नहीं है। इसको सहेजने की आवश्यकता है। शहर में वेटलैंड से अधिक तालाबों को रीस्टोर करने की जरूरत है।
अनिल शर्मा, सेक्रेटरी, सिविल सोसाइटी

हमने डोर-टू-डोर जाकर लोगों को अवेयर किया। लेक्चर या बातें करते तो उन्हें बोर करतीं। इसएि हमने कविता का रास्ता चुना। कविता के माध्यम से हमने लोगों को पानी बचाने के प्रति अवेयर किया। इस दौरान कई चैलेेंजेस सामने आए। लोग हम पर शक करते थे। कोई बच्चा चोर गैंग या कुछ और बुलाता। पर हमने लोगों को अवेयर करना जारी रखा।
डॉ। मनिंदर कौर, प्रेसिडेंट, ईको फ्रेंड्स वेलफेयर सोसाइटी

हमें पानी का किस तरह यूज करना है, इस बारे में अवेयर होना होगा। इसके लिए क्षेत्र में किसी एक व्यक्ति को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। जो अपने क्षेत्र की जिम्मेदारी संभाले। अगर कोई पानी की बर्बादी करे तो उसे टोकते हुए रोके। पानी को लेकर भी अवेयर करे। सबसे अधिक पानी की बर्बादी सबमर्सिबल से होती है।
अनिल जैन, रंगकर्मी

लोग घरों के बाहर धूल हटाने के लिए पाइप से प्रेशर से पानी यूज करते हैं। इस तरह की पानी की बर्बादी रोकी जानी चाहिए। रोजमर्रा की छोटी-छोटी आदतों में बदलाव लाकर भी पानी बजाया जा सकता है। घर पर पानी पीने के लिए एक गिलास कर लें। दिन में जितनी भी बार पानी पीएं इस गिलास का ही इस्तेमाल करें। इससे बार-बार गिलास धोने के लिए बर्बाद होने वाले पानी को रोका जा सकेगा। इस तरह कई तरह से पानी बचाया जा सकता है।
उमाशंकर मिश्र, रंगकर्मी

शहर के चारों ओर रिजर्व वॉयर मौजूद हैं। लेकिन इनको एक्टिवेट करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही पानी की बर्बादी भी रोकी जाए। हाल ही में गवर्नमेंट ने गांव में चौकीदार नियुक्त किए हैं। जो क्षेेत्र में सप्लाई होने वाले गंगाजल की बर्बादी पर नजर रखेंगे।
इंजीनियर दिवाकर तिवारी, सेक्रेटरी, जलाधिकार फाउंडेशन

Posted By: Inextlive