Agra: एक साल पहले मनीषा की मौत हुई तो हेल्थ डिपार्टमेंट ने झोलाछापों पर अपना चाबुक चलाया. आश्वासन दिया कि अब कोई झोलाछाप प्रैक्टिस नहीं कर सकेगा. उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. लेकिन ये कार्रवाई कितनी कारगर साबित हुई ये आज के हालात बयां करने के लिए काफी हैं. सीएमओ साहब भी कुछ खास नहीं कर पाए. अभियान भी कुछ दिन की महज खानापूर्ति के बाद थम गया. लेकिन अब हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी सीएमओ को ऐसे झोलाछापों पर अंकुश लगाने को कहा है.


कैसे देंगे जवाब?हाईकोर्ट ने 15 दिन के अंदर झोलाछाप डॉक्टर्स के अगेंस्ट कार्यवाही करने के ऑर्डर डीएम और सीएमओ को दिए हैं। लेकिन, लापरवाही की हद देखिए कि सिटी का हेल्थ डिपार्टमेंट ये तक नहीं जानता कि कितने झोलाछाप बेधड़क यहां प्रैक्टिस कर रहे हैं। कई सालों से इस लिस्ट को अपडेट तक नहीं किया गया है। अब ऐसे में सवाल है कि हेल्थ डिपाटमेंट कैसे हाईकोर्ट को रिपोर्ट से अवगत करा पाएगा। नहीं हैं फैसिलिटी सिटी के कई एरिया में बने सभी हॉस्पिटल्स में पेशेंट्स के लिए किसी भी प्रकार की फैसिलिटी नहीं है। कई हॉस्पिटल्स में ट्रॉमा सेंटर और आईसीयू तक एक कमरे में बने हुए हैं। इतना ही नहीं, कुछ हॉस्पिटल्स में आईसीयू बेसमेंट में बना हुआ है। कैसा इंस्पेक्शन?


एक साल पहले चले अभियान के बाद अब तक डिपार्टमेंट की ओर से कोई इंस्पेक्शन नहीं हुआ है। सोर्सेज के मुताबिक, डिपार्टमेंट के पास शिकायत पहुंचने पर ही इंस्पेक्शन होता है। पिछले एक साल में सिटी में 30 से अधिक नए हॉस्पिटल्स का रजिस्ट्रेशन हुआ है। इनकी जांच भी डिपार्टमेंट द्वारा नहीं की गई है। इनका क्या करोगे?

एक ओर जहां आरटीओ ऑफिस में एम्बूलेंस के रजिस्ट्रेशन की संख्या बढ़ी है वहीं, दूसरी ओर 250 से अधिक एंबूलेंस बिना रजिस्ट्रेशन के दौड़ रही हैं। इतना ही नहीं, यह एम्बूलेंस नॉम्र्स को पूरा न करके मरीजों की जिंदगी के साथ खेल रही हैं। सीरियस कंडीशन के पेशेंट के लिए सिलेंडर लगी एम्बूलेंस में जाना और भी खतरनाक साबित हो सकता है। जर्जर हो चुकी इन एम्बूलेंस से रूरल एरिया से पेशेंट्स को हाइजेक करके झोलाछाप डॉक्टर्स के पास पहुंचाया जाता है।

Posted By: Inextlive