दीक्षांत समारोह के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन ने टीचर्स को भविष्य में बेहतर करने की हिदायत दी वहीं खुद के द्वारा किए गए कार्यों को उदाहरण बताकर टेक्निकल नॉलेज बढ़ाने की हिदायत दी. कोविड कॉल में टीचर्स का व्यवहार चिंताजनक देखा गया. वहीं फर्जी डिग्री को लेकर भी हिदायत दी. उन्होंने कहा कि फर्जी डिग्री बनाने वाले दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी.

आगरा (ब्यूरो)। मंगलवार को अंबेडकर यूनिवर्सिटी में आयोजित दीक्षा समारोह में भाग लेने पहुंचीं राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि कोविड कॉल में भी कई समीक्षा बैठकर कीं। वहीं मेरे सामने कई ऐसी बातें आईं, जो चिंता का विषय है। शिक्षक 30 सालों से कॉलेजों में नौकरी करते हैं पर उन्हें अपने कॉलेज या यूनिवर्सिटी से लगाव नहीं होता है। अब ऐसा नहीं है कि लेक्चर लिया और घर चले गए। वर्तमान में स्टूडेंट्स अधिक टेक्निकल नॉलेज रखते हैं, ऐसे में टीचर्स को अपने ज्ञान और टेक्निकल नॉलेज को बढ़ाना होगा।

प्रण लो एक भी डिग्री नहीं होगी फर्जी
राज्यपाल आनंदीबेन ने डिग्रियों की समस्या का निराकरण करते हुए फ्री डिग्री भेजने का आदेश दिया, जिससे सभी स्टूडेंट्स को आसानी से डिग्री मिल सके। उन्होंने बताया कि जानकारी में आया कि पिछले कई वर्षो से डिग्रियां पेंडिंग में पड़ी हैं, मेरा सवाल यह है कि यह डिग्री है, ये लंबे समय से पेंडिंग क्यों है। मैंने आदेश दिया कि छात्रों को फ्री डिग्री वितरण की जाए। फर्जी डिग्री के लिए कोई और नहीं बल्कि हम सभी जिम्मेदार हैं। प्रण लो कि एक भी डिग्री फर्जी नहीं होनी चाहिए। अब तक तीन लाख से अधिक डिग्री भेजी जा चुकी हैं।

डिजिलॉकर से ऑनलाइन डिग्री
डिजिलॉकर बनाने के निर्देश दिए गए थे, जो इस यूनिवर्सिटी में पूरे हो चुके हैं। यहां से छात्र ऑनलाइन डिग्रियां प्राप्त कर सकेंगे। इससे दूर-दराज से आने वाले स्टूडेंट्स को आसानी से डिग्री मिल सकेगी। वर्षों से लाखों डिग्रियां पेंडिंग हैं। उन सभी को स्टूडेंट्स और महाविद्यालय के प्रिंसिपल्स को बुलाकर वितरित की गई हैं।

स्टूडेंट्स की नॉलेज का करें प्रयोग
राज्यपाल ने बताया कि मेरा मानना है कि छात्रों के ज्ञान का प्रयोग दिखना चाहिए। आजकल के छात्र शिक्षकों से ज्यादा ज्ञानवान हैं। उन्हें टेक्नोलॉजी का ज्यादा इस्तेमाल पता है तो शिक्षक छात्रों का उपयोग टेक्नोलॉजी को जानने में क्यों नहीं करते हैं।

हर यूनिवर्सिटी में तैयार हो हैप्पीनेस सेंटर
आजकल गांव की अनपढ़ महिलाएं भी ऑनलाइन बिजनेस कर रही हैं। मैं चाहती हूं कि हर समिति में छात्रों की भागीदारी हो। अगर एक समिति में पांच शिक्षक हैं तो दो छात्र भी होने चाहिए। हर यूनिवर्सिटी में हैप्पीनेस सेंटर हों, जिसमें सकारात्मक बातें हों। जहां छात्र खुलकर अपनी नेगेटिव और अपनी परेशानियों को साझा कर सकें। इन सेंटरों पर शिक्षक भी जाएं यह शिक्षक बच्चों से उनकी समस्याएं पूछें। नई टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी रखनी होगी।

बनाई जाए महिला सशक्तिकरण सेल
महिला सशक्तिकरण में महिलाओं के साथ व्यवहार उनकी समस्याएं, गर्भ संस्कार, बच्चों की परवरिश, बच्चों के साथ रिलेशन सब कुछ शामिल होता है। इसलिए महिला सशक्तिकरण सेल बनने चाहिए।

हर यूनिवर्सिटी पांच-पांच गांव ले गोद
हर यूनिवर्सिटी में पांच-पांच गांव गोद ले। इन गांव में जाकर महिलाओं और बच्चों की समस्याओं को सुना जाए। राज्यपाल ने कहा कि गांव की महिलाओं को लिज्जड़ पापड़ की पूरी कहानी बताएं। कैसे आठ महिलाओं का एक समूह अब 80000 महिलाओं का बन चुका है उनका कहना था कि महिलाओं के साथ बैठोगे तो उनसे प्रेरणा मिलेगी। एनएसएस के स्वयंसेवकों को गांव भेजें।

एनजेआरएस रैकिंग होनी चाहिए
राज्यपाल ने एनजेआरएस रैंकिंग के बारे में भी चर्चा की। उनका कहना था कि एक साल तक अकाउंट की चेकिंग नहीं होती है। मैंने निर्देश दिया कि हर रोज हिसाब होना चाहिए और ऑडिट होना चाहिए। नैक की तैयारी के लिए पत्र तैयार किए गए हैं, जिससे कि पूरा लेखा-जोखा लगातार अपडेट होता रहे। आप लोगों की यूनिवर्सिटी बड़ी यूनिवर्सिटी है, लेकिन यहां की घटनाएं उससे ज्यादा बड़ी हैं। इससे यूनिवर्सिटी की क्या इमेज बनती है, यह आप लोगों पर निर्भर करता है।

जो हकदार है उसी को मिले नौकरी
भर्ती प्रोसेस में कोई अनियमितता ना हो, प्रतिभाशालियों को ही पद मिले। यूनिवर्सिटी में शोध कार्य जितने होने चाहिए, उतने नहीं हो रहे हैं। नीड है अनुसंधान, आत्मकथा विधियों को बढ़ावा देने की, शोध और अनुसंधान के बीच में सामंजस्य स्थापित किए जाने की जरुरत है। जो एग्जाम टॉप कर रहा है, उसको भर्ती में नौकरी पाने का हक है।

Posted By: Inextlive