सिकंदरा क्षेत्र में एक ही परिवार के तीन सदस्यों ने आत्महत्या कर ली. बताया जा रहा है कि परिवार लंबे समय से आर्थिक तंगी झेल रहा था. इसके चलते दोनों पति-पत्नी अकेले रहते थे. ऐसे में उनमें नकारात्मक विचार पनपने लगे और ये आत्महत्या की प्लानिंग से लेकर फंदे पर झूलकर ही समाप्त हुए. मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि यदि किसी को भी अकेलापन हो तो वो दूसरों के साथ घुलना-मिलना शुरू कर दें. इससे नकारात्मक विचार पनपना कम होंगे और मन में आशा की कोई नई किरण जागेगी.


आगरा । वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ। केसी गुरनानी बताते हैैं कि इस केस में पति-पत्नी का एक दूसरे के प्रति एग्रेशन था। इस कारण उन्होंने ऐसा किया होगा। उन्होंने कहा कि आठ साल की बच्ची को पिता या मां ने फांसी लगाई होगी। ऐसे में यह बेटी की हत्या कहलाएगी। क्योंकि आठ साल के बेटी ने खुद फांसी नहीं लगाई होगी। उन्होंने कहा कि जब हम पति-पत्नी के बीच एक-दूसरे के प्रति विश्वास कम होने लगता है तो एक दूसरी के प्रति गुस्सा बढऩे लगता है। जब उन्हें दिखता है कि अब कोई उम्मीद नहीं है तो वे ऐसा कदम उठा लेते हैैं। इससे बचने के लिए किसी को भी एक-दूसरे को दोषारोपित करने से बचना चाहिए। लगातार एक-दूसरे को दोषारोपित करने से नकारात्मकता बढ़ती जाती है और गुस्सा, एग्रेशन और कुंठा बढ़ती जाती है।

मानसिक स्वास्थ्य का रखें ध्यान
मानसिक चिकित्सालय के क्लिीनिकल साइक्लोजिस्ट हिमांशु बताते हैैं कि जब हम अकेले रहते हैैं तो कैसे भी विचार आ सकते हैैं। जब नकारात्मक विचार हावी होने लगें तो हमें लोगों से मिलना चाहिए। स्थिति अनकंट्रोल होने लगे तो मानसिक काउंसलर से मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड के बाद में लोगों को अवसाद और मानसिक समस्याएं बढऩे लगी हैैं। उन्होंने कहा कि रोजगार कम होने से लोगों में नकारात्मकता आ रही है। ऐसे में उन्हें अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि सोसायटी में अब सोशल स्टेटस मेंटेन न होने पर भी लोग मानसिक दबाव में आ जाते हैैं। जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए।

मानसिक दबाव से बचने के लिए यह करें
- अकेले न रहें
- लोगों से बातचीत करते रहें
- परिवार और दोस्तों से मिलें
- घूमें, खेले और टहलें
- मानसिक दबाव बढऩे पर मनोवैज्ञानिक से संपर्क करें
- सुसाइड जैसा विचार आए तो अपने करीबी या मनोवैज्ञानिक को बताएं

Posted By: Inextlive