अरे हुजूर आह ताज बोलिए
line से शुरु होती है Problem
ताजमहल में आते ही टूरिस्ट्स की दुश्वारियां शुरू हो जाती हैं। यह परेशानियां गर्मी के दिनों में और बढ़ जाती हैं जब कड़ी धूप में लंबी लाइन में खड़ा होकर उन्हें टिकट लेना पड़ता है। इसके बाद ईस्टर्न और वेस्टर्न दोनों गेट में एंट्री करते टाइम टूरिस्ट्स धूप से दो चार होना पड़ता है क्योंकि वहां पर कोई शेड नहीं है।
इसके बाद जब तक वह ताजमहल के प्रिमाइसिस में पहुंचता है तब तक उसका प्यास से बुरा हाल हो जाता है। और अगर उसके पास पानी की बोतल है तो वह खाली हो चुकी होती है। हालांकि ताजमहल के ईस्टर्न और वेस्टर्न दोनों गेट के पास एक-एक आरआो प्लांट लगा हुआ है। लेकिन रॉयल गेट के पास पहुंचकर टूरिस्ट दोबारा पानी के लौटना नहीं चाहता है। इन दिनों टेम्प्रेचर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में ताजमहल में टूरिस्ट को पानी के लिए लगभग पौन किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है। क्योंकि ताज के अंदर केवल एक ही पानी का प्लांट लगा हुआ है। जो मस्जिद के पास बना हुआ है। ऐसे ताज आने वाला हरेक टूरिस्ट पानी के लिए भटकता है।
2005 में हटा दिया था plant
ताज के अंदर एंट्री करते टाइम 2005 तक रॉयल गेट के पास पानी का प्लांट था। लेकिन एएसआई के अधिकारियों ने प्लांट को ये कहकर हटा दिया था कि यहां का पानी अच्छा नहीं था। इसके अलावा पानी की निकासी के लिए भी कोई पर्याप्त इंतजाम नहीं थे।
Ticket नहीं है online
दुनिया का सातवां अजूबा होने के बाद भी ताजमहल का टिकट ऑनलाइन नहीं है। यह एक हैरान करने वाली बात है कि जिस इमारत को दुनिया में लोग सबसे ज्यादा लाइक करते हैं और जिसको देखने के लिए सबसे ज्यादा टूरिस्ट का रिकॉर्ड है उसका टिकट ऑनलाइन नहीं है। अगर यह सुविधा शुरू कर दी जाए तो इससे बेशक टूरिस्ट्स को लाइन में लगने की परेशानी से तो छुटकारा मिलेगी ही साथ ही टिकट की ब्रिकी में भी इजाफा होगी।
-एडीए एंट्री की क्यू में टीन लगा दे तो टूरिस्ट्स को काफी राहत मिल सकती है।
-पानी की व्यवस्था के लिए एएसआई जलमहल के पास पानी की अलग से व्यवस्था कर सकता है।यहां सबसे ज्यादा प्रॉब्लम धूप से बचने की है। एंट्री के लिए लाइन में लगते टाइम काफी धूप लगती है।
डुईसुके, जापान
ताजमहल के अंदर पानी के लिए बहुत भटकना पड़ता है। अगर कोई फैमली के साथ आता तो उससे सबसे ज्यादा प्रॉब्लम होती है। मैैं पहली बार आया हूं। यहां मुझे दो बार इतनी दूरी तय करते पानी लाना पड़ा था।
जीएम बंगरप्पा, कर्नाटक
मैं आठ साल पहले अकेले ताज आया था। लेकिन अब मैैं फैमली के साथ आया हूं। लेकिन ताजमहल वो बात नहीं रही। जो पहले थी। बिल्डिंग बहुत बदल चुकी है। जगह-जगह दरख्त पड़ी हुई है।
मो। खलिद, हैदराबाद
मुनज्जर अली, केयरटेकर ताजमहल
Report By-Neeraj Sharma (sharma.neeraj@inext.co.in)