- आगरा जोन में प्रोजेक्ट साइबर साथी के तहत सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक को किया जाएगा ट्रेंड

- आज से शुरू होगा एक महीने का ट्रेनिंग सेशन, थाने में तैनात पुलिसकर्मी बनेंगे साइबर एक्सपट्र्स

- 824 पुलिसकíमयों को दी जाएगी ट्रेनिंग, विभिन्न टॉपिक्स पर 12 सेशन किए जाएंगे ऑर्गनाइज्ड

आगरा। साइबर क्राइम को लेकर पुलिस बड़ी शुरूआत करने जा रही है। अब थानों से ही साइबर से जुड़े मामलों पर एक्शन लेना शुरू हो जाएगा। इसके लिए एडीजी आगरा जोन राजीव कृष्ण के नेतृत्व में प्रोजेक्ट साइबर साथी लॉन्च किया गया है। इसमें एक महीने तक पुलिसकíमयों को ट्रेनिंग दी जाएगी। जिसके बाद ये पुलिसकर्मी थानों में पहुंचने वाले पीडि़तों की साइबर क्राइम से जुड़ी शिकायत को सुनेंगे। उस पर कार्रवाई का खाका तैयार करेंगे, जिससे पीडि़त को जल्द से जल्द राहत मिल सके।

ये होंगे शामिल

प्रोजेक्ट साइबर साथी के तहत आगरा जोन में एक जून से ऑनलाइन साइबर ट्रेनिंग शुरू होगी। 30 जून तक चलने वाली इस ट्रेनिंग में साइबर अवेयरनेस से जुड़े अलग-अलग सब्जेक्ट्स के कुल 12 सेशन ऑर्गनाइज्ड किए जाएंगे। इसमें आगरा जोन (आठ जिलों) के 824 पुलिसकर्मी पाíटसिपेट करेंगे। ट्रेनिंग के लिए हर थाने पर तैनात 2-2 महिला हेल्प डेस्क ऑफिसर, विभिन्न थानों में तैनात इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, आरक्षी व मुख्य आरक्षी को शामिल किया गया है। इन्हें डिजिटल इंवेस्टीगेटर बनाने हेतु फाइनेंशियल फ्रॉड, सोशल मीडिया व कलेक्शन ऑफ डिजिटल एविडेंस जैसे विषयों पर ट्रेनिंग दी जाएगी।

साइबर साथी की जरूरत क्यों पड़ी?

साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढृ़ रहा है। साइबर शातिर नए-नए पैंतरों से आम लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। कोरोना काल में इस तरह के मामलों में और इजाफा हुआ है। अधिकतर मामलों में यूजर्स साइबर क्राइम को लेकर अवेयर नहीं होते। इसी का साइबर क्रिमिनल्स फायदा उठाते हैं और उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं। इससे साइबर सेल और साइबर थाने पर लगातार शिकायत पहुंचने से दबाव पड़ रहा था। ऐसे में प्रोजेक्ट साइबर साथी लॉन्च किया गया। ये जहां एक ओर साइबर क्राइम से निपटने के लिए पुलिसकíमयों को तैयार करेगा, वहीं आम लोगों को भी इस तरह के क्राइम से बचने के लिए अवेयर करेगा। आम लोगों को अवेयर करने के लिए भी जल्द ही एक अभियान शुरू किया जाएगा।

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कौन देगा ट्रेनिंग?

पुलिस द्वारा संस्था साइबरपीस फाउंडेशन के साथ मिलकर एक एमयोयू साइन किया गया है। जिसके तहत संस्था के नामी एक्सपट्र्स की ओर से पुलिसकíमयों को ट्रेनिंग दी जाएगी।

अभी क्या होता है?

साइबर क्राइम से जुड़ी शिकायत करने के लिए पीडि़त थाने पहुंचता है। वहां उसके शिकायत पत्र में साइबर अपराध का जिक्र होते ही उसे साइबर सेल के लिए मार्क कर दिया जाता है। पीडि़त को अपना शिकायत लेटर लेकर साइबर सेल जाना होता है। इस दौरान कई बार पीडि़त काफी परेशान भी हो जाता है।

आगे क्या होगा?

सभी थानों में महिला हेल्प डेस्क बनी हुई हैं। यहां महिला हेल्प डेस्क ऑफिसर तैनात रहती हैं। अब इन्हें साइबर ट्रेनिंग दी जा रही है। अब कोई भी पीडि़त थाने पहुंचेगा तो उसे साइबर क्राइम से जुड़ा अपना शिकायत पत्र महिला हेल्प डेस्क ऑफिसर को देना होगा। महिला हेल्प डेस्क ऑफिसर पीडि़त की शिकायत पर कार्रवाई करेंगी। जिससे पीडि़त का जो भी नुकसान हुआ है, उसे वापस मिल सके।

कब से शुरू होगी व्यवस्था?

एक जून से शुरू होकर 30 जून तक चलेगा। इसके बाद अपने थानों में तैनात पुलिसकर्मी साइबर क्राइम से जुड़े मामलों पर एक्शन के लिए तैयार होंगे।

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इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी कर सकता है जांच

आईटी एक्ट सेक्शन 78 के अनुसार साइबर क्राइम से जुड़े मामलों की जांच इंस्पेक्टर रैंक या उससे ऊपर की रैंक का अधिकारी कर सकता है। लेकिन, पुलिस डिपार्टमेंट की संख्या सीमित है। ऐसे में टीम को तैयार किया जा रहा है, जो इंस्पेक्टर्स की मदद कर सकें। एडीजी राजीव कृष्ण ने बताया कि साइबर क्राइम से जुड़े मामलों की इंवेस्टीगेशन इंस्पेक्टर्स ही कर सकते हैं। लेकिन इनको असिस्ट करने के लिए पूरी एक टीम तैयार की जा रही है। जिससे साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में तेजी लाई जा सके। आरबीआई ने बैंक अकाउंट में हो रहे साइबर फ्र ॉड को रोकने के लिए कई गाइडलाइंस जारी की हैं। जिसके तहत किसी भी तरह का फाइनेंशियल फ्रॉड होने पर वह तत्काल मदद मांग सकते हैं। साथ ही अपना आíथक नुकसान भी रोक सकते हैं। लेकिन शिकायत कहां करें किस नंबर पर करें, ईमेल कहां करना हैं, इसकी जानकारी उन्हें नहीं होती है। अब इस बारे में थाने में तैनात महिला हेल्प डेस्क ऑफिसर उनकी मदद करेंगी। जिससे उन्हें राहत मिल सके।

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पैसा वापस चाहते हैं, पर जांच नहीं

एडीजी राजीव कृष्ण ने बताया कि अधिकतर मामलों में पीडि़त अपनी गंवाई हुई रकम को वापस चाहते हैं, लेकिन मुकदमा दर्ज कराना नहीं चाहते। ऐसे मामलों में जब मुकदमा ही नहीं होता तो इंवेस्टीगेशन भी शुरू नहीं हो पाती। ठगी गई रकम हासिल कर पीडि़त संतुष्ट हो जाता है। जबकि ऐसे मामले साइबर सेल और साइबर रेंज थाने में पहुंचने से वर्कलोड बढ़ता है। साइबर क्राइम के सीरियस केसेज की इंवेस्टीगेशन पर असर पड़ता है। जबकि इस तरह के मामले थोड़ी सी जानकारी होने पर सुलझाए जा सकते हैं। इसके लिए पुलिसकíमयों को तैयार किया जा रहा है। वह अपने थाने में आने वाले पीडि़तों को असिस्ट करेंगे। उनकी शिकायत पर तत्काल संज्ञान लेते हुए जल्द से जल्द समाधान कराने का प्रयास करेंगे।

सेशन टॉपिक

1 इंट्रोडक्शन टू साइबर क्राइम

2 बेसिक्स ऑफ वेबसाइट

3 फाइनेंशियल फ्रॉड

4 सीडीआर/ आईपीडीआर एनालिसिस

5. सोशल मीडिया क्राइम पार्ट-1

6 सोशल मीडिया क्राइम पार्ट-2

7 ओएसआईएनटी इंवेस्टीगेशन 1

8 कलेक्शन एंड प्रिजर्वेशन ऑफ एविडेंस इन सोशल मीडिया क्राइम्स

9 फाइनेंशियल फ्रॉड

10 इंट्रोडक्शन टू रैंसोमवेयर, वीओआईपी, क्रिप्टोकरेंसी क्राइम्स इंवेस्टीगेशन

11 ओएसआईएनटी इंवेस्टीगेशन 2

12 इवैल्युएशन एंड रिवीजन

आगरा जोन

आगरा रेंज

आगरा

फिरोजाबाद

मैनपुरी

मथुरा

अलीगढ़ रेंज

अलीगढ़

एटा

हाथरस

कासगंज

ट्रेनिंग में शामिल पुलिसकर्मी

महिला हेल्प डेस्क ऑफिसर 340

इंस्पेक्टर 100

सब इंस्पेक्टर 310

आरक्षी व मुख्य आरक्षी 74

वर्जन

एक जून से जोन में 824 पुलिसकíमयों को ऑनलाइन साइबर ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें आरक्षी से लेकर इंस्पेक्टर्स तक शामिल हैं। ट्रेनिंग के बाद ये पुलिसकर्मी अपने थानों में साइबर क्राइम के पीडि़तों को असिस्ट कर सकेंगे। उनकी समस्या का समाधान करा सकेंगे।

राजीव कृष्ण, एडीजी जोन, आगरा

Posted By: Inextlive