AGRA 27 Dec. : जिम्मेदारी तो सिटी में होने वाले अग्निकांडों को काबू में रखने की है लेकिन समस्याओं से जल पूरा विभाग रहा है. फायर ब्रिगेड की बड़ी ही दयनीय कहानी है. पहाड़ सी जिम्मेदारी से जूझने के लिए डिपार्टमेंट को संसाधन खानापूरी वाले दिए हैं. इनका कंट्रोल रूम तक बिना दरवाजे के चल रहा है. टेलीफोन ऐसे लगे हैं कि कॉल वाले से ही फोन डिसक्नेक्ट करने का अनुरोध करना पड़ता है.


कोठरी में बना है कंट्रोलरूमडिस्ट्रिक में 43 लाख की आबादी और सिटी में 22 लाख लोग एक लाख न?बे हजार मकानों में रहते हैं। इनमें पांच हजार से अधिक ऊंची-ऊंची बिल्डिंग हैं। ताज सहित सात हेरिटेज इमारते हैं। बाकी स्मारकों की संख्या भी कम नहीं है.  इन सभी को आग की लपटों से बचाने की जिम्मेदारी फायर ब्रिगेड के पास है.  इसका फोन नंबर है 102, और यह जिस कोठरी में बजता है वही है फायर ब्रिगेड का मुख्यालय। यह अपने आप में समस्याओं  से जूझ रहा है।हर मौसम में पड़ती है मार


अग्निशमन विभाग के कंट्रोल रूम पर हर मौसम की मार पड़ती है। तेज बारिश में छत से पानी टपकता है। पूरा ऑफिस पानी से भर जाता है। जिससे टेलीफोन तक पानी से खराब हो जाते हैं। ऑफिस में रखे डाक्यूमेंट भी भीग जाते हैं। इसी बारिश में कई साल पुराना डाटा भीगकर खराब हो गया है। दरबाजा न होने के कारण कोहरा भी कमरे के अंदर तक मार करता है। चार दिन पहले पड़े भंयकर कोहरे ने कंट्रोल रूम को अपने क?जे में ले लिया था। सर्दी लगने से एक कर्मचारी तो बीमार हो गया। गर्मियों में आफिस  लू की लपटों से तपता है और धूल से धूसित होता है।

अभी तक बन ही रही है इमारतफायर स्टेशन ईदगाह के लिए नई बिल्डिंग बन रही है.  पिछले डेढ़ साल से काम चल रहा है। तीन साल में काम पूरा  करने कॉटेक्ट है। अफसरों का कहना है कि करीब दो साल तक कंट्रोल रूम मजबूरन कोठरी में ही चलेेगा। जॉकेट भी नहीं पहन सकते कंट्रोलरूम में बैठे ऑपरेटर सर्दी से बचने के लिए जॉकेट भी नहीं पहन सकते। चाहे कितनी भी भंयकर सर्दी ही क्यों न पड़े। आईनेक्स्ट के रिपोर्टर ने कंट्रोलरूम की बदहाली का फोटो खींचने के लिए कैमरा निकाला, तो वहां बैठे लोग लोग डर गए। उन्होंने कहा कि अरे भाई साहब जाकेट उतार दें तब फोटो खींचना। उनके इस जबाव से आईनेक्स्ट टीम भी सकते में आ गई। ये कैसा फरमान है कि सर्दी में ऑपरेटर जाकेट नहीं पहन सकता.     दरवाजा है नहीं, करंट का भी डर

कंट्रोलरूम जिस कोठरीनुमा कमरे में चलता है उसमें दरवाजा नहीं लगा है। एक मामूली सी टेबिल और दो टूटी कुर्सियां पड़ी हुई हैं। इसी टेबिल पर बाबा आदम के जमाने के तीन टेलीफोन रखे हैं.  इसके चारों तरफ तारों का जाल फैला हुआ है। थोड़ा सा ऊपर ही दो सौ वॉट का बल्ब टंगा है जो जलने पर ड्यूटी पर बैठे अग्निशमन विभाग के सिपाही की आंखों को चुभता है। कहीं से भी किसी सरकारी आफिस जैसा माहौल नहीं लगता। वहां बैठे ऑपरेटर ने डरते-डरते बताया कि जरा सी चूक जाए तो सामान चोरी हो जाता है। बेतरतीब बिजली के तारों से करंट का डर बना रहता है।टेलीफोन है पुराने जमाने काफायर स्टेशन कंट्रोलरूम पर फेक कॉल बहुत अधिक आती हैं। टेलीफोन ऑपरेटर कॉल रिसीव तो कर सकता है, लेकिन उसे चाहकर भी डिसकनेक्ट नहीं कर सकता। ऐसे में कहीं हादसा होने पर कोई कंप्लेन करता है तो कंट्रोलरूम का फोन बिजी ही मिलेगा। दशकों  पुराने टेलीफोन होने के कारण उसमें कॉल करने वाले का नंबर नहीं आता। जिससे फेक कॉलर पर कोई कार्रवाई भी नहीं हो पाती है।कंट्रोल रूम के यह हैं मानक४अलार्म४जिम्मेदार कंपनी ४शहर का मैप४लैंड लाइन टेलीफोन४वायरलैस सेट४100 नंबर ४हर चार घंटे बाद आपरेटर चेंज ४3-4  कंप्यूटर ४कंट्रोलरूम की गोपनीयता भंग न हो 102 कंट्रोलरूम की है स्थितिएक लैड लाइन टेलीफोन हैएक वायरलैस सेट हैअलार्म (सायरन)100 नंबर हैहर चार घंटे पर बदलती है ड्यूटी
एबी पांडेय, सीएफओ आगरा

नई बिल्डिंग का निर्माण कार्य चल रहा है। तीन साल का बिल्डर ने कॉन्टेक्ट लिया है। जैसे ही तैयार हो जाएगी। पूरा फायर स्टेशन शिफ्ट हो जाएगा। आवास नए बनाए जा रहे हैं।

Posted By: Inextlive