AGRA/ALLAHABAD (7 Jan.): यूपी पीएससी के कार्यवाहक चेयरमैन सुनील जैन का दामन भी पाक साफ नहीं है। आपराधिक पृष्ठभूमि के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा हटाए गए अनिल यादव जैसे ही आरोप सुनील जैन पर भी लग गए हैं। आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना से हुए खुलासे के अनुसार उनके खिलाफ भी डकैती, बलवा और कातिलाना हमले की धाराओं में आगरा में मुकदमे दर्ज हैं। प्रतियोगी छात्र इस हथियार का इस्तेमाल हाईकोर्ट में करने की तैयारी में हैं। इस पर कार्यवाहक अध्यक्ष का कहना है कि इन मुकदमों का कोर्ट से निस्तारण हो चुका है। उन्होंने आई नेक्स्ट से कहा कि आगरा पुलिस की रिपोर्ट गलत है क्योंकि वह सुनील जैन दूसरे हैं, जिनके नाम पर मुकदमे दिखाए गए हैं। वैसे आरटीआई से मांगी गई सूचना और उस पर आए जवाब में में दिए गए नाम, पिता का नाम और पता सब सेम है।

एसएसपी आगरा से मांगी थी सूचना

बता दें कि डॉ। जैन ने बतौर कार्यवाहक अध्यक्ष बीते नौ नवम्बर को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक के अनुमोदन पर कार्यभार ग्रहण किया था। एक आरटीआई के जवाब में न्यू आगरा थाना के प्रभारी निरीक्षक जेएन अस्थाना ने 29 दिसम्बर 2015 को दिए गए जवाब में बताया है कि जैन के खिलाफ न्यू आगरा थाना में मुकदमा अपराध संख्या 447/1990 के तहत धारा 147, 148, 149, 307, 436, 385 और मुकदमा अपराध संख्या 447ए/1990 धारा 395/336 दर्ज हैं। आरटीआई प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय की ओर से दाखिल की गई थी। जिसमें उन्होंने बीते 16 नवम्बर को एसएसपी आगरा से सूचना देने को कहा था। थाना प्रभारी द्वारा अपर पुलिस अधीक्षक को भेजी गई सूचना में इसका भी जिक्र है कि डॉ। सुनील कुमार जैन पुत्र राजेन्द्र कुमार जैन निवासी 30/244 छीपीटोला जनपद आगरा के बारे में इससे पहले थाने के अपराध रजिस्टर के अनुसार जानकारी ली गई। उस समय पता चला कि डॉ। जैन के खिलाफ कोई भी अभियोग पंजीकृत नहीं है। पुन: जानकारी ली गई तो पता चला कि उनके खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा के अन्तर्गत मुकदमे पंजीकृत हैं। बताया गया कि अपराध रजिस्टर में डॉ। जैन के नाम के आगे प्रबंधक आगरा कॉलेज लिखा है। इसकी विवेचना पांच अक्टूबर 1990 को अपराध अनुसंधान विभाग भेजी गई।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हटाया था

बता दें कि अक्टूबर माह में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक मामले दर्ज होने के चलते आयोग के स्थाई अध्यक्ष अनिल कुमार यादव की नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया था। पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ भी आगरा के थाने में ही संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज थे। इसके बाद सपा सरकार की अनुशंसा पर डॉ। सुनील कुमार जैन को यूपीपीएससी का अध्यक्ष बनाया गया। डॉ। सुनील कुमार जैन पर आरोपों का फंदा ऐसे समय कसा है, जब यह माना जा रहा है कि फरवरी माह में कार्यकाल खत्म होते ही उन्हें स्थाई अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया जा सकता है।

नए विज्ञापन में मांगा है अपराध का विवरण

डॉ। जैन के खिलाफ कोवारंटो दाखिल करने की तैयारी कर रहे अवनीश पांडेय का कहना है कि उन्होंने प्रमुख सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक से भी कार्यवाहक अध्यक्ष समेत दो अन्य सदस्यों के बारे में सूचना मांगी थी। जिसमें बायोडाटा व चरित्र सत्यापन प्रमुख थे। लेकिन, विभाग ने अभी तक सूचना नहीं दी। इसके खिलाफ भी अपील की जाएगी। बता दें कि हाल ही में जारी आयोग अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति के विज्ञापन में अभ्यर्थियों से इस बात का विवरण देने को कहा गया है कि उनके खिलाफ कभी भी कोई आपराधिक मुकदमा हो तो वे आवेदन में जानकारी जरूर दें।

आगरा पुलिस पर भड़के आयोग अध्यक्ष

इस बावत डॉ। एसके जैन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वर्ष 1989 में उनके उनके मोहल्ले में एक आन्दोलन हुआ था। जिसमें कई बड़े नेता शामिल थे। आन्दोलन के दौरान हुए बवाल में उनके नाम से मिलते जुलते एक शख्स पर मुकदमा दर्ज हुआ और पता उनके मकान का दे दिया गया। इसकी जानकारी उन्हें बहुत बाद में हो सकी। जिसके खिलाफ उन्होंने कोर्ट में लड़ाई लड़ी। वर्ष 2012 में कोर्ट ने उन्हें बाइज्जत बरी भी कर दिया। उन्होंने आगरा पुलिस महकमे की भूमिका पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि उनके नाम से मांगी गई सूचना पर मिलते-जुलते नाम के संबंध में जानकारी कैसे दी गई। वह पुलिस महकमे के खिलाफ वे अपील करेंगे। उन्होंने आरटीआई दाखिल करने वाली समिति से जुड़े लोगों पर भी दलाली का आरोप जड़ा।

Posted By: Inextlive