आसमां से जमीं पर आया नेट का रिजल्ट
Subject का दोनो paper objective
यूजीसी ने पहली बार 24 जून 2012 को हुए एग्जाम के लिए सब्जेक्ट पर बेस तीसरे क्वेश्चन पेपर को रिटेन की जगह आब्जेक्टिव कर दिया था। बता दें कि नेट के एग्जाम में तीन पेपर होते हैं। ऐसे में तीनों पेपर के आब्जेक्टिव फार्मेट ने रिजल्ट पर गहरा असर डाला और परीक्षार्थियों की संख्या में रिकार्ड बढ़ोत्तरी दर्ज हुई। इलाहाबाद सेंटर से भी परीक्षा देने वालों की संख्या महज कुछ सौ में सिमट जाने की बजार साढ़े चार हजार को पार कर गई थी.
इलाहाबाद पर भी पड़ा गहरा असर
परीक्षार्थियों को मिली रिकार्ड सफलता के बाद यूजीसी ने रिजल्ट डिक्लेयर किए जाने का पैटर्न ही बदल दिया और मेरिट में टॉप के पन्द्रह परसेंट को ही सफल घोषित किया। जिससे नेट का रिजल्ट अब फिर से सिमटता नजर आ रहा है। 24 जून 2012 के कम्पैरेजन में 30 जून 2013 के रिजल्ट में नेट की अर्हता पाने वालों की संख्या तकरीबन सतरह हजार तक कम हो गई है। इलाहाबाद सेंटर से परीक्षा देने वालों पर भी इसका असर पड़ा है। 24 जून 2012 के रिजल्ट में जहां 580 जेआरएफ और 4347 नेट क्वालीफाई हुए थे। वहीं 30 जून 2013 के रिजल्ट में 296 जेआएफ और 1064 नेट ही क्वालीफाई कर सके हैं.
आठ लाख के करीब आवेदन
नेट परीक्षा पैटर्न में बदलाव का ही असर है कि इस परीक्षा में शामिल होने वालों की संख्या भी निरंतर बढ़ती ही जा रही है। 30 जून 2013 को हुए नेट के एग्जाम के लिए 7,38,955 ने आवेदन किया था। इसमें से 5,74,448 ने परीक्षा दी थी। इलाहाबाद सेंटर पर भी 25,811 की संख्या में आए आवेदन में से 20,442 ने परीक्षा दी थी। जोकि पूर्व के वर्षों से बहुत ज्यादा थी। नेक्स्ट एग्जाम में और भी ज्यादा मारामारी तय नजर आ रही है.
जानकारों का कहना है कि अभी नेट के रिजल्ट का ग्राफ और गिरेगा। क्योंकि, अभी भी जिस तादात में परीक्षार्थी पास हो रहे हैं। उन सभी को रोजगार देना भी चैलेंज हैं। बता दें कि नेट का एग्जाम साल में दो बार जून और दिसम्बर में होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि 29 दिसम्बर 2013 एग्जाम के रिजल्ट को और भी सीमित करने के लिए पेपर को थोड़ा और टफ बनाया जा सकता है। मेरिट भी ऊपर जा सकती है.
Format बदलने की संभावना से इंकार
वैसे यह माना जा रहा था कि सफल होने वालों की बढ़ती संख्या को देखकर यूजीसी नेक्स्ट ईयर से दोबारा थर्ड पेपर को रिटेन फार्मेट में करने पर विचार कर सकता है। मगर, जानकार ऐसी किसी भी संभावना से इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि सभी पेपर के आब्जेक्टिव फार्मेट में होने के कारण रिजल्ट तैयार करना आसान हो गया है और रिटेन उत्तर पुस्तिकाओं को जांचने के झंझट से भी मुक्ति मिल गई है.