-पटरी दुकानदारों ने बयां की हकीकत, कहा, पुलिस के साथ नगर निगम कर्मचारियों को करना पड़ता है खुश

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PRAYAGRAJ: कोरोना वायरस के बीच दो वक्त की रोटी जुगाड़ पाना हर किसी के लिए मुश्किल हो गया है। इस चुनौती भरे दौर में किसी तरह ठेला-खोमचा लगाकर जीवनयापन कर रहे पटरी दुकानदारों को आए दिन प्रताड़ना सहनी पड़ रही है। हर दर पर चढ़ावा चढ़ाने के बावजूद वह कभी निश्चिंत होकर अपनी दुकान लगा नहीं पाते। पता नहीं कब पुलिस का डंडा चल जाए या कोई नगर निगम कर्मचारी आ जाए और भागना पड़े। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर के साथ बातचीत के दौरान इन पटरी दुकानदारों ने अपनी पीड़ा खुलकर बयां की।

20-25 किलो सामान बेच पाना भी है मुश्किल

सीएमपी डिग्री कॉलेज के पास सड़क किनारे बड़ी तादाद में फल, सब्जी व अन्य सामानों का ठेला लगता है। बातचीत के दौरान इन पटरी दुकानदारों ने कहा कि लॉकडाउन ने हमारे बिजनेस को पूरी तरह से तोड़ दिया। अब लॉकडाउन के बाद भी स्थिति संभल नहीं पा रही है। कस्टमर ही मार्केट में ज्यादा नहीं निकल रहे हैं। इसके चलते हालत यह है कि दिन भर में 20-25 किलो सामान भी निकाल पाना मुश्किल हो रहा है।

बरसाई जाती है लाठी

पटरी दुकानदारों ने कहा कि एक तरफ जहां खरीददारी कमजोर है। वहीं दूसरी तरफ नगर निगम व पुलिस की कार्रवाई जोरों पर है। आए दिन अभियान चलाकर पटरी दुकानदारों को हटाया जाता है। लाठी बरसाई जाती है। गाली से बात की जाती है। जैसे ही अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू होता है। गाड़ी आती है और फिर डंडा पटकते हुए, ठेला को ध्वस्त करते हुए पटरी दुकानदारों को हटाने की कार्रवाई शुरू हो जाती है। काली वर्दी वाले जब आते हैं तो पटरी दुकानदारों पर डंडा चलाकर मारते हैं। जबकि पुलिस को भी अधिकार नहीं है कि बिना किसी वजह के किसी को मारा जाए।

पैसा सबसे लेते हैं, रसीद कुछ को देते हैं

डंडा से लोगों को मारा जाता है। कुछ दिन पहले एक दुकानदार को पीटा गया था। फिर उसे दो लोगों की लड़ाई दिखाते हुए चालान कर दिया गया। अतिक्रमण में चालान नहीं दिखाया। चालान काटने में भी मनमानी की जाती है। चालान का पैसा तो भीड़ में जितने दुकानदार रहते हैं, सबसे लिया जाता है। लेकिन रसीद दो-तीन को ही दिया जाता है। जिसके बाद चले जाते हैं। भयानक लूटपाट चल रही है।

नगर निगम के अधिकारी मदद न करें, लोन न दें, लेकिन कम से कम पटरी दुकानदारों को जीने तो दें। दो वक्त की रोटी का जुगाड़ तो करने दें।

-रोहित सोनकर

अगर सड़क किनारे ठेला लगाकर सामान बेचना गुनाह है तो नगर निगम के अधिकारी नगर निर्धारित क्यों नहीं करते हैं। हमारा ध्यान क्यों नहीं देते हैं। दुकान लगाकर पैसे न कमाएं तो क्या चोरी करें?

-विनोद सोनकर

हाईकोर्ट के आदेशानुसार कोरोना संक्रमण रोकने के लिए पटरी दुकानदारों को हटाने की कार्रवाई हो रही है। इस दौरान नगर निगम के साथ पुलिस और मजिस्ट्रेट भी मौजूद रहते हैं। ऐसे में मारपीट या पैसे लिए जाने के आरोप पूरी तरह से गलत हैं।

-मनोज यादव,

उपप्रभारी अतिक्रमण, नगर निगम

Posted By: Inextlive