बाजार में बिक रही नकली और सब स्टैंडर्ड दवाएं सरकार ने भेजी सैंपलिंग में फेल दवाओं की सूची पब्लिक को रहना होगा एलर्ट इलाज के लिए जिन दवाओं का उपयोग कर रहे हैं वह आपको अधिक बीमार बना सकती हैं. दरअसल सैंपलिंग में दवाओं के नमूने फेल हो जाने के बाद यह सच सामने आया है. हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जांच में फेल पाई गई दवाओं की सूची ड्रग विभाग को भेजी है. जिनकी खोजबीन शुरू कर दी गई है. इसी तरह लोकल लेवल पर भी हुई जांच में इस साल सात दवाओं के नमूने फेल हो चुके हैं.


प्रयागराज ब्यूरो हाल ही में केंद्रीय और राज्य दवा नियंत्रण विभाग द्वारा देशभर से लिए गए 1200 सैंपल की जांच की गई थी। जिनमें उत्तराखंड में बनने वाली नौ दवाओं के नमूने भी फेल हुए हैं। इनमें अधिकतर दवाएं सब स्टैंडर्ड हैं और इनकी बिक्री यूपी के तमाम शहरों में होती है और इनमें प्रयागराज भी शामिल है। स्थानीय दवा विक्रेताओं की माने तो हर महीने से 5 करोड़ से अधिक मूल्य की इन दवाओं को बेचा जाता है। जिन दवाओं नमूने के फेल हुए हैं उनमें आयरन, प्रोस्टेट, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल, एंटी बायटिक और खांसी के इलाज में प्रयुक्त होने वाली दवाएं शामिल हैं। इन दवाओं की शहर में तलाश बैच नंबर के जरिए की जाएगी। इन दवाओं को जब्त कर वापस केंद्र सरकार के पास भेज दिया जाएगा।पहले भी फेल हो चुकी हैं दवाएं


इतना ही नहीं, लोकल लेवल पर भी जांच में दवाओं के नमूने फेल हुए हैं। ड्रग विभाग द्वारा लिए गए सैंपलिंग में कुल सात दवाएं फेल हुई और इनमें तीन-तीन दवाएं नकली और सब स्टैंडर्ड पाई गई और एक दवा मिस ब्रांडेड श्रेणी में फेल हुई है। इनके नाम पेंटोडिम, ग्लिसरीन, आक्सीटोसिन, एक्जिम 200, ओफ्लोफ्रेश, इनटाजेसिक और मल्टीविटामिन सिरप शामिल हैं। इन दवा निर्माता कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इसी तरह लोकल लेवल पर वर्ष 2021-22 में कुल 11 सैंपल फेल पाए गए थे।दवाओं से क्या होता है नुकसाननकली दवाएं तो स्वास्थ्य को काफी हद तक नुकसान पहुंचा सकती है। इनके सेवन से डाइजेशन सिस्टम खराब होता है और आंतों में अल्सर की शिकायत सामने आती है। इसी तरह सब स्टैंडर्ड दवाएं मरीज पर अपना पूरा प्रभाव नही छोड़ती जिससे मर्ज पहले से अधिक बढ़ जाता है। उत्तराखंड में मिली नौ दवाओं में से अधिकतर में अधिक हार्ड और ड्राई होने की शिकायत पाई गई। यह दवाएं तय मानक अधिकतर 20 मिनट में मानव शरीर के भीतर नही डिजाल्व होती हैं जिससे यह असरकारी साबित साबित नही होती हैं। बिना पक्का बिल लिए मत खरीदें दवाएंड्रग विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ग्राहकों को मेडिकल स्टोर से दवा खरीदते समय पक्का बिल जरूर लेना चाहिए। जिससे उसमे दवा का बैच नंबर अंकित रहे। अगर दवा का कोई रिएक्शन होता है या यह असर नही करती है तो इस पक्के बिल के आधार पर कार्रवाई की जा सकती है। शिकायत पर दवा का नमूना लेकर उसकी जांच कराई जाएगी।

जो दवाएं फेल होती हैं उनके बैच नंबर के आधार पर जब्ती की जाती है। पूर्व में जो दवाएं फेल हुई हैं उनके निर्माताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई है। लोगों को भी जागरुक होना होगा। बिना पक्का बिल लिए दवाएं कतई मत खरीदें।संतोष कुमार पटेल, ड्रग इंस्पेक्टर प्रयागराज

Posted By: Inextlive