Allahabad : इलाहाबाद फेक करेंसी का हब बनता जा रहा है. पाकिस्तान से भारत में सप्लाई होने वाली फेक करेंसी अब सीधे यहां पहुंचने लगी है. पश्चिम बंगाल के रास्ते प्रयाग नगरी में सीधे माल पहुंचता है. एक के बाद एक फेक नोट सप्लायर्स गैंग का पुलिस खुलासा जरूर कर रही है बावजूद इसके फेक करेंसी की सप्लाई पर कंट्रोल नहीं कर पा रही है. थर्सडे को पुलिस ने एक ऐसे ही फेक करेंसी सप्लायर को जेल भेजा जो पिछले डेढ़ माह में इलाहाबाद में 13 लाख की फेक करेंसी खपा चुका है...


नैनी में रहता है supplierएसपी क्राइम अरुण पाण्डेय ने बताया कि फेक करेंसी की सप्लाई करने वाले नैनी के मुस्ताक को अरेस्ट किया गया है। मुस्ताक के पास से एक-एक हजार रुपए के 100000 रुपए की फेक करेंसी बरामद हुई है। मुस्ताक मिर्जापुर का रहने वाला है। वर्तमान में वह अपनी फैमिली के साथ आईटीआई कालोनी नैनी में रहता है। दोस्त बन गया दुश्मन
पुलिस की मानें तो इलाहाबाद में फेक करेंसी सप्लाई करने का मास्टर समशुल से मुस्ताक की दोस्ती हुई थी। समशुल पहले नेपाल के साथ बाराबंकी से फेक करेंसी मंगाता था। पैसा लेने के लिए मुस्ताक को भेजता था। मुस्ताक समशुल के कहने पर बार्डर से पैसा लेकर आता था। फेक करेंसी लाने पर खेप के हिसाब से उसे पैसा मिलता था। बाद में मुस्ताक को समझ में आ गया कि अगर वह पैसा ला सकता है तो उसे खुद खपत भी करा सकता है। पैसे के लेनदेन को लेकर दोनों में झड़प हो गई। दोस्त दुश्मन बन गए और दोनों  अलग-अलग फेक करेंसी लाकर यहां सप्लाई करने लगे। मुस्ताक ने मीडिया को बताया कि पिछले डेढ़ महीने में वह पश्चिम बंगाल के मालदा से चार किस्त में 13 लाख रुपए लाकर इलाहाबाद में सप्लाई कर चुका है। दो बार में उसने तीन-तीन लाख रुपए लाए थे। सारा पैसा यहां पर खप गया। फिर वह गया और ढाई लाख रुपए लेकर आया। यही क्रम चलता रहा। इस तरह उसने 13 लाख रुपए खपाने के बाद एक बार फिर मालदा से रुपए लेकर लौटा था। लेकिन इस बार उसकी किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया। क्राइम ब्रांच को उसके आने की भनक लग गई और वह पकड़ लिया गया। नैनी जेल में खपता है पैसा मुस्ताक ने बताया कि सबसे ज्यादा रुपए नैनी जेल में ही खपाता है। वहां पर कई छोटे-बड़े बदमाशों को वह पैसा पहुंचाता है। दरअसल, नैनी जेल में ज्यादातर अंदर की सुविधाएं पैसा देकर ही मिलती हैं। ऐसे में सामान के नाम पर वह अपनी फेक करेंसी की सप्लाई करता है। कुछ इसी तरह नैनी और शहर में बड़े व्यापारियों और जुआरियों से मिलकर वह फेक करेंसी दे देता था। ताकि जुआ में आसानी से फेक नोट मिक्स हो जाए। Surveillance से भी trace करना मुश्किल


पुलिस सोर्सेज की मानें तो फेक नोट सप्लाई करने वाले काफी एलर्ट रहते हैं। उन्हें सर्विलांस से भी ट्रेस करना आसान नहीं होता। क्योंकि पुलिस के बचने के सारे हथकंडे उन्हें पता होता है। मुस्ताक भी कुछ इसी तरह से काम कर रहा था जिसके कारण वह आज तक पकड़ा नहीं जा सका। वर्षों से वह इस धंधे में लिप्त था लेकिन किसी को उनकी एक्टिविटी की भनक तक नहीं लगी। जब पुलिस उसकी लोकेशन सर्विलांस की मदद लेनी चाही तब पता चला कि वह कितना एक्सपर्ट है। दरअसल शातिर मुस्ताक घर से बाहर निकलते ही अपना मोबाइल स्वीच आफ कर देता था। पश्चिम बंगाल से सीधे पैसा लेकर यहां नहीं आता था। कुछ दूर तक ट्रेन से सफर करता था और फिर बस यूज करता था। फिर ट्रेन से आता था। ऐसे में अगर कोई उसका पश्चिम बंगाल से पीछा करे तब भी उसे ट्रेस नहीं कर सकता। 10 suppliers और हैं active

कुछ दिन पहले जब आरबीआई ने पुलिस लाइंस में पुलिस वालों को फेक करेंसी के बारे में जानकारी देने के लिए सेमिनार का आयोजन किया था तब उन्होंने पुलिस को बताया कि पाकिस्तान जानकर बूझकर अर्थव्यवस्था चौपट करने के लिए फेक करेंसी सप्लाई कर रहा है। दरअसल, 1000 रुपए का फेक करेंसी बनाने में पाकिस्तान को सिर्फ 20 पैसे ही खर्च करने पड़ते हैं। 20 पैसा खर्च कर वह फेक करेंसी की छपाई करता है और नेपाल व पश्चिम बंगाल के रास्ते सीधे भारत में सप्लाई करता है। पिछले तीन महीने में इलाहाबाद पुलिस ही नहीं बल्कि एटीएस ने भी दो सप्लायर्स को अरेस्ट किया था जो माल पश्चिम बंगाल से मंगाते थे। पुलिस सोर्सेज की मानें तो अभी तक 10 से ज्यादा लोग ऐसे शामिल हैं जो सिर्फ इलाहाबाद और आसपास के जिलों में फेक करेंसी की सप्लाई करने में जुटे हैं। इसके अलावा पुलिस के पास बड़ा चैलेंज यह बन जाता है कि पकड़े गए बदमाश कभी भी मेन सप्लायर के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं देते। हर बार यही कहते हैं कि पश्चिम बंगाल पहुंचने के बाद वहां का होल सप्लायर खुद ही काल करके मिलने की जगह बताता है। वह अपने पास मोबाइल भी नहीं रखता। For your information-20 पैसे की लागत में 1000 रुपए की फेक करेंसी छपती है-इलाहाबाद में डेढ महीने में 13 लाख रुपए की हो चुकी है खपत-नेपाल से ज्यादा अब पश्चिम बंगाल से फेक करेंसी की हो रही सप्लाई-पाकिस्तान से सीधे आने वाले फेक करेंसी को ट्रेस कर पाना मुश्किल-सप्लायर सीधे एटीएम में पैसा डालने वालों से करते हैं सेटिंग-नैनी जेल और जुआ में सबसे ज्यादा फेक करेंसी का यूज -सब्जी और फुटकर सामान खरीदने के लिए करते हैं फेक करेंसी का यूज
मुस्ताक समशुल का ही साथी है। कई सालों से इस धंधे में लिप्त है। 100000 रुपए फेक करेंसी मिली है। पाकिस्तान से आने वाली करेंसी को ट्रेस करना बहुत मुश्किल है। हाथ में छूकर तो बैंक वाले भी नहीं समझ पाते। पहचान के लिए हमें एसबीआई की मशीन की मदद लेनी पड़ी। अरुण पाण्डेय एसपी क्राइम

Posted By: Inextlive