संगम पर पिंडदान और तर्पण के साथ पितृ पक्ष का हुआ समापनतट पर ङ्क्षपडदान तर्पण करने अनेक जिलों से आए लोग पितृपक्ष के अंतिम दिन संगम तट पर पिंडदान तर्पण और श्राद्ध करने वालों की भारी भीड़ उमड़ी. हजारों की संख्या में लोगों ने यहां एकत्रित होकर अपने पूर्वजों को विदाई दी. सुबह से ही संगम तट पर पिंडदान करने वालों का तांता लगा रहा. यह सिलसिला शाम तक चलता रहा. मंत्रो'चार के बीच ङ्क्षपडदान व तर्पण करके पूर्वजों का भावपूर्ण स्मरण किया. पूजन के दौरान पितरों को याद कर कुछ लोगों की आंखें नम हो गईं. अमावस्या तिथि पर ङ्क्षपडदान होने के साथ वंशजों को आशीष देकर पितर पृथ्वी से विदा हो गए.


प्रयागराज (ब्यूरो)।संगम तट पर पितरों का तर्पण करने के लिए देशभर से लोग आते हैं। भारत के सभी हिस्सों से आए लोगों ने सुबह से ही संगम तट पर डेरा जमाया हुआ था। तीर्थ पुरोहितों की उपस्थिति में उन्होंने अपने पितरों को याद कर पिंडदान और श्राद्ध किया। बता दें कि पितृपक्ष में मृतकों की आत्मा की शांति के लिए ङ्क्षपडदान व तर्पण करने का विधान है। आश्विन कृष्णपक्ष की प्रतिप्रदा से पितृपक्ष आरंभ हुआ। प्रयागराज में संगम तट पर ङ्क्षपडदान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि बिना यहां तर्पण व ङ्क्षपडदान किए मृतक आत्मा को तृप्ति नहीं मिलती। यहां ङ्क्षपडदान करने से पूर्वज प्रसन्न होकर वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीष देते हैं। वहीं, ङ्क्षपडदान व तर्पण न करने वाले लोगों के पूर्वज नाराज हो जाते हैं। इससे वंशजों को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। इससे बचने के लिए देश के विभिन्न जिलों से लोग संगम तट पर ङ्क्षपडदान, तर्पण व पूजन करने आते हैं।

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