रिटर्न के बोझ से राहत, कंफ्यूजन बरकरार
जीएसटी में अभी कई व्यवहारिक दिक्कतें हैं, अब भी व्यापारियों के कई सवालों का जवाब है नदारत
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ऑफिस में आयोजित डिबेट में व्यापारियों ने खुलकर की बात ALLAHABAD: सरकार और अधिकारियों ने व्यापारियों को फुटबाल बना दिया है। जीएसटी के नाम पर लगातार किक मारी जा रही है। जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में छोटे व्यापारियों को हर महीने रिटर्न के बोझ से थोड़ी राहत मिली है। लेकिन समस्याएं और कंफ्यूजन बरकरार है। रिटर्न कैसे भरना है? किन-नियमों का पालन करना है इसकी जानकारी देने वाला कोई नहीं है। जीएसटी काउंसिल की 28वीं बैठक में वित्त मंत्री द्वारा लिए गए फैसलों का व्यापारियों और व्यापार पर क्या असर पड़ेगा इस पर चर्चा के लिए शहर के व्यापारी दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ऑफिस में जुटे।कैट के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल ने कहा कि जीएसटी काउंसिल ने डेढ़ करोड़ रुपये टर्न ओवर वाले व्यापारियों को हर महीने की जगह तिमाही रिटर्न भरने की छूट तो दी, लेकिन छोटा व्यापारी बड़े व्यापारी को माल बेचेगा या उससे बिजनेस करेगा तो जीएसटीआर-1, 2, 3 का मिलान कैसे होगा? इस पर प्रयाग केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राना चावला, प्रयाग व्यापार मंडल अध्यक्ष विजय अरोरा, दवा व्यापारी लालू मित्तल के साथ ही अन्य व्यापारियों ने खुल कर चर्चा की।
कई मुद्दों पर खुलकर की गई चर्चा
कंप्यूटर व्यापारी अनिल अग्रवाल ने कहा कि गवर्नमेंट का कहना है कि व्यापारी सर्विस देते हैं, वे कंपोजिशन स्कीम में नहीं जा सकते। जबकी जीएसटी का मतलब ही गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स है। प्रयाग केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राना चावला ने कहा कि एक्सपायर दवा की वापसी के लिए जीएसटी पोर्टल नया बिल जारी करने को कहता है। वहीं ड्रग एक्ट कहता है कि एक्सपायर दवा का बिल नहीं जारी किया जा सकता है। इससे व्यापारियों को नुकसान हो रहा है। प्रयाग व्यापार मंडल अध्यक्ष विजय अरोरा ने कहा कि पूरे देश में उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं। मजदूर व कारीगर कारखाने छोड़ कर जा रहे हैं। सरकार को इस पलायन को रोकने के लिए कदम उठाना चाहिए। व्यापारियों को जीएसटी से कोई समस्या नहीं है, समस्या केवल जीएसटी का पालन कराने में आ रही खामियों से है। इसे गवर्नमेंट अभी तक दूर नहीं कर सकी है। पोर्टल की दिक्कत रिटर्न भरने में आ रही परेशानियों को लेकर कुछ नहीं किया जा रहा है। टैक्स कैसे भरें, कैलकुलेशन कैसे करें, बताने वाला कोई नहीं है। महेंद्र गोयल, प्रदेश अध्यक्ष, कैटएक तरफ एक देश एक कर का नारा दिया जाता है। वहीं नारियल तेल में अलग टैक्स लगता है। केरल में नारियल का तेल भोजन बनाने में काम आता है। इसलिए वहां टैक्स कम है। अन्य स्टेट में नारियल तेल हेयर ऑयल के रूप में इस्तेमाल होता है, इसलिए रेट अधिक है। ये कैसा सिस्टम है।
विजय अरोरा अध्यक्ष, प्रयाग व्यापार मंडल गवर्नमेंट ने कहा था कि जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स चोरी बंद होगी, जबकि सरकार ने व्यापारियों को चोरी करने का रास्ता दिखाया है। अब फार्मा की बात करें तो दवा पर 5, 12, 18 और 28 सभी टैक्स लग रहे हैं। रिटेल की दुकानों से टैक्स चोरी हो रही है। राना चावला अध्यक्ष, प्रयाग केमिस्ट एसोसिएशन दवा व्यापारियों के साथ ही आम पब्लिक को सरकार ने कोई राहत नहीं दी है। दवा पर कई तरह का टैक्स लग रहा है, इससे दवा व्यापारी और आम व्यक्ति दोनों परेशान हैं। सरकार को दवा व्यापारियों के बारे में भी कुछ सोचना चाहिए। लालू मित्तल शहर के कई होटल और रेस्टोरेंट मालिक कंपोजिशन स्कीम में शामिल हैं। इसके बाद भी लोकल साफ्टवेयर के दम पर कस्टमर से 18 परसेंट जीएसटी वसूल रहे हैं। इन पर किसी का कंट्रोल नहीं है। विभु अग्रवाल पदाधिकारी, कैट इलाहाबादजीएसटी काउंसिल ने नमकीन पर लगने वाले टैक्स को 12 से 5 परसेंट कर दिया है। लेकिन ब्रांडेड-अन ब्रांडेड के नाम पर एक बड़ा कंफ्यूजन है।
विजय कुमार जायसवाल जीएसटी में खामी की स्थिति ये है कि जिन व्यापारियों का बिजनेस 20 लाख से कम है, उन्हें भी अब मजबूरी में एक परसेंट टैक्स देना पड़ेगा। क्योंकि वैट से जीएसटी में माइग्रेट हुए व्यापारियों के लिए सरकार ने अभी तक जीएसटी से बाहर आने का कोई सिस्टम नहीं बनाया है। रामचंद्र गुप्ता पूर्व अध्यक्ष व्यापार मंडल जीएसटी लागू हुए 100 दिन पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन अभी तक अमेंडमेंट पोर्टल नहीं खुला है। जिन व्यापारियों का पार्टनरशिप खत्म हो गया है या फिर बिजनेस में कोई संशोधन हुआ है तो वह अपडेट नहीं हो पा रहा है। अजय अग्रवाल महामंत्री, कैट, इलाहाबाद जीएसटी लागू करते हुए प्रधानमंत्री ने दावा किया था कि जीएसटी के बाद चीजें सस्ती होंगी। लेकिन मेरा दावा है कि 90 प्रतिशत चीजें जीएसटी के बाद महंगी हुई हैं। रेट में कोई फर्क नहीं आया है। अनिल अग्रवाल कम्प्यूटर व्यापारीसर्राफा कारोबारियों को सरकार ने दीपावली से पहले बड़ी राहत दी है। पैन नंबर दिए बगैर दो लाख रुपये तक की ज्वैलरी खरीदने की छूट से अब लोग आसानी से ज्वैलरी खरीद सकेंगे। जीएसटी लागू होने के बाद ज्वैलरी मार्केट को जबर्दस्त झटका लगा था।
विजय केसरवानी सर्राफा व्यापारी ब्रांडेड और नान ब्रांडेड फूड आइटम को लेकर व्यापारियों में अभी कंफ्यूजन है। इससे नुकसान व्यापारी और कस्टमर दोनों को है। मार्केट में अब कुछ ऐसे प्रोडक्ट आ गए हैं, जिनका कोई नाम नहीं है। प्रमिल केसरवानी किराना व्यापारी गारमेंट व्यापारियों को टैक्स से कोई राहत नहीं मिली है। टैक्स कैटेगरी में सरकार को राहत देनी चाहिए। अलग-अलग टैक्स की जगह एक ही टैक्स का रूल निर्धारित करना चाहिए। मो। महमूद खान मंत्री, प्रयाग व्यापार मंडल जीएसटी व्यापारियों के लिए नुकसानदेह नहीं है, ये व्यापारी भी जानते हैं, तभी तो वे जीएसटी का स्वागत करते हैं, लेकिन जीएसटी के खामियों से व्यापारी परेशान हैं। अशोक केसरवानी किराना व्यापारी गवर्नमेंट को एक ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए, जिससे व्यापारियों की समस्याओं का समाधान हो सके। एकाउंटेंट और अधिवक्ता व्यापारियों की समस्याओं का फायदा न उठा सकें। विजय कुमार पटेल व्यापारियों की मांग सरकार को ब्रांडेड और अनब्रांडेड को पूर्ण रूप से स्पष्ट करना चाहिए। जीटीए पर भी आरएलएम खत्म करना चाहिए। एक जुलाई के बाद से केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी अपने कार्यालय में बैठ गए हैं। वे फिल्ड में निकलें और व्यापारियों का मार्गदर्शन करें।