Allahabad : आईएमए का राष्ट्रव्यापी आह्वान था. डॉक्टर एक जुट थे सो इसकी जबर्दस्त सफलता पहले से तय थी और हुआ भी यही. लेकिन इस चक्कर में पिस गए मरीज और उनके परिजन जिनके रिलेटिव प्राइवेट हॉस्पिटल्स में एडमिट थे. घंटों कोशिश के बाद डॉक्टर्स तक पहुंचने और अपने मरीज को देख पाने में नाकाम रहने वालों की टिप्पणी काफी तल्ख थी. उनका कहना था कि डॉक्टर अपनी बात मनवाने के लिए लड़ रहे हैं. वसूली भी हमीं से करते हैं और हथियार के रूप में भी हमें ही इस्तेमाल कर रहे हैं. यह कहां का इंसाफ है. गवर्नमेंट को हड़ताल के प्रेशर में आने की जगह इस पक्ष पर भी गंभीरता से ध्यान देना चाहिए.


 घंटों बैठे रहे इंतजार में

हड़ताल से पहले आईएमए का कहना था कि केवल ओपीडी बंद रखी जाएंगी। इमरजेंसी सुविधाएं बहाल रहेंगी। लेकिन, मंडे को हुआ इसका एकदम उलटा। सिविल लाइंस स्थित एक निजी हॉस्पिटल में झूंसी से आई सुषमा अपनी नवजात बच्ची को लेकर घंटों बैठी रही लेकिन उसे एडमिट नहीं किया गया। गले में स्वेलिंग से बच्ची की हालत नाजुक थी। इसी तरह चित्रकूट से आए शिवचरन के परिजन काफी देर इंतजार करने के बाद गवर्नमेंट हॉस्पिटल इलाज के लिए निकल गए।

परिजनों को मिलने से रोका

राष्ट्रव्यापी हड़ताल से आउटडोर पेशेंट ही नहीं बल्कि वे पेशेंट भी परेशान हुए जो पहले से एडमिट थे। कंपनीबाग के नजदीक स्थित एक नामचीन निजी हॉस्पिटल के गेट के बाहर दर्जनों की संख्या में परिजन खड़े थे। उन्होंने बताया कि हड़ताल के चलते उन्हें अपने मरीजों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। वह भी तब जबकि डॉक्टर हड़ताल पर हैं और उनका ट्रीटमेंट नहीं हो रहा है। इनमें कुसमीपुर के शंकरलाल, सुनील और बेनकट के रामबहादुर शामिल रहे।

नहीं मिली तिल रखने की जगह

शहर के तकरीबन 120 प्राइवेट हॉस्पिटल्स में हड़ताल का असर गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स पर पड़ा। यहां की ओपीडी सुबह से लेकर दोपहर तक फुल रही। आम दिनों के मुकाबले एसआरएन, बेली और कॉल्विन हॉस्पिटल में डॉक्टरों को दोगुने पेशेंट देखने पड़े। एडमिट होने के लिए भी काफी संख्या में पेशेंट आए। वार्डों में जगह नहीं होने की वजह से कई पेशेंट्स को परेशानियों का सामना करना पड़ा.

सांसद, DM, CMO को ज्ञापन

मंडे को इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के सदस्यों ने सांसद कपिल मुनि करवरिया, डीएम अनिल कुमार, सीएमओ रमेश कुमार से मिलकर उन्हें केंद्र सरकार के नाम ज्ञापन दिया गया। हड़ताली डॉक्टर्स ने क्लीनिक स्टैब्लिशमेंट एक्ट, नेशनल काउंसिल फॉर ह्यूमन रिसोर्सेज इन हेल्थ बिल 2011, बैचलर ऑफ रूरल हेल्थ केयर जैसे बिल पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। एएमए सचिव डॉ। बीके मिश्रा ने बताया कि हड़ताल पूरी तरह से सफल रही। उन्होंने हॉस्पिटल्स द्वारा इमरजेंसी सेवाएं बंद किए जाने की बात को नकार दिया।

Posted By: Inextlive