अब पांच हजार नहीं 50 हजार से अधिक के माल पर लगेगा ई-वे बिल

ई-वे बिल पर 16 को जारी हुआ था सर्कुलर, 18 को सरकार ने कर दिया संशोधन

ALLAHABAD: जीएसटी लागू हुए डेढ़ महीने बीत जाने के बाद भी नियम-कानून अब भी रोज बदल रहे हैं। नियमों में स्थिरता न होने से व्यापारी परेशान हैं। नवीनतम फैसला यूपी गवर्नमेंट का है जो उसने ई-वे बिल के साथ लागू किया है।

सेंट्रल गवर्नमेंट की ओर से पूरे देश में एक ई-वे बिल लागू होने से पहले राज्यों को अपने स्तर पर ई-वे बिल लागू करने का अधिकार दिया गया है। इसके आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार ने 16 अगस्त को पूरे प्रदेश में ई-वे बिल लागू कर दिया। इसका नोटिफिकेशन कमिश्नर वाणिज्य कर मुकेश मेश्राम की ओर से 16 अगस्त को जारी किया गया। इसमें ई-वे बिल 01, 02 और 03 के लिए अलग-अलग नियम बनाए गए। नोटिफकेशन जारी होने के बाद व्यापारियों ने ई-वे बिल जेनरेट करना शुरू किया। 48 घंटे भी नहीं बीते कि 18 अगस्त को एक बार फिर ई-वे बिल में संशोधन कर दिया गया। इसका नोटिफकेशन 19 अगस्त को जारी किया गया।

ई-वे बिल में हुए संशोधन

ई-वे बिल 01

16 अगस्त : 01 ई-वे बिल पांच हजार रुपये से अधिक का माल परिवहन करने पर लागू होगा।

18 अगस्त : प्रांत से बाहर से 50 हजार से अधिक का माल मंगाने पर ई-वे बिल लगेगा।

ई-वे बिल 02

16 अगस्त : प्रांत के अंदर चार वस्तुओं पर एक लाख या उससे उपर से माल भेजने पर ई-वे बिल अनिवार्य किया गया था। इसमें मेंथा आयल, लोहा, सुपाड़ी और इडेबिल ऑयल शामिल थे।

18 अगस्त: अब लिमिट 50 हजार होगा। यानी ई-वे बिल 02 की सीमा एक लाख से घटाकर 50 हजार रुपये कर दी गई है। अब 50 हजार या उससे अधिक का माल मंगाने या निर्यात करने पर ई-वे बिल जेनरेट करना होगा।

ई-वे बिल 03

16 अगस्त: इसके दायरे में आनलाइन मार्केट आएगा। इसकी लिमिट एक लाख रुपये निर्धारित थी।

18 अगस्त: आनलाइन सामान मंगाने के लिए भी 50 हजार से ऊपर पर ई-वे बिल लागू होगा।

16 को ई-वे बिल लागू किया जाता है। व्यापारी उसे समझने का प्रयास करता है कि 18 को बदलाव कर दिया जाता है। व्यापारी उलझनों में फंसता चला जा रहा है। व्यापारी अपना बिजनेस करे या फिर कम्प्यूटर पर बैठ कर रोज-रोज नियम कानून देखे। आज भी व्यापारी ने एक लाख पर ई-वे बिल काटा। नियम-कानून में बदलाव का प्रचार-प्रसार नहीं किया जा रहा है। जिससे व्यापारी परेशान है।

संतोष पनामा

व्यापारी नेता

गवर्नमेंट जो भी पॉलिसी बना रही है, उसमें व्यापारियों के हित का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। आपत्ति और सुझाव के आधार पर ही नियमों को बनाया जा रहा है। इसलिए शुरुआत में थोड़ी दिक्कत हो सकती है। आगे व्यापारी का ही फायदा होगा।

विवेक सिंह

डिप्टी कमिश्नर कॉमर्शियल टैक्स

Posted By: Inextlive