ख्याल की नजाकत से बनते हैं गजल के शेर
गुफ्तगू के गजल विशेषांक और मुशायरे का आयोजन
ALLAHABAD: गजल जितनी मकबूल है, उतनी ही नाजुक विधा है। ख्याल की नजाकत से गजल के शेर बनते हैं। गुफ्तगू के गजल विशेषांक में प्रकाशित गजलें इसकी तरजुमानी करती हैं। इस अंक की बड़ी खासियत ये है कि इसमें सरदार जाफरी, फिराक गोरखपुरी, शम्सुर्रहमान फारुकी जैसे लोगों के आलेख शामिल हैं जो इस अंक को खास बना रहे हैं। यह बात प्रो। अली अहमद फातमी ने गुफ्तगू के गजल विशेषांक के विमोचन के मौके पर रविवार की शाम सिविल लाइंस स्थित बाल भारती स्कूल में कही। सबसे ज्यादा पसंद की जा रही गजलमुख्य अतिथि इकबाल आजर ने कहा कि इलाहाबाद में टीम गुफ्तगू हिन्दी-उर्दू साहित्य के लिए बहुत शानदार काम कर रही है। गुफ्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज अहमद गाजी ने कहा कि गजल आज के समय की सबसे लोकप्रिय विधा है। आज सबसे ज्यादा गजल लिखी, पढ़ी और सुनी जा रही है। डॉ। अशरफ अली बेग ने कहा कि इस मुश्किल दौर में साहित्य की पत्रिका का प्रकाशन बेहद कठिन काम है। भोलानाथ कुशवाहा ने कहा कि गुफ्तगू का गजल विशेषांक कई मायने में खास है। कार्यक्रम का संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया। दूसरे दौर में मुशायरे का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता पं। बुद्धिेसन शर्मा ने किया।