16लाख 32 हजार है शहर की कुल आबादी02लाख से अधिक भवनों में रहते हैं यह लोग100वार्डों का है शहर विस्तारित क्षेत्र लेकर80वार्ड थे शहर में सीमा विस्तार के पूर्व3500कुल सफाईकर्मी हैं नगर निगम के पास10000आबादी पर 28 सफाईकर्मी का है मानक450की आबादी में एक सफाई कर्मी पर है स्वच्छता का बोझ300 से 400 मीटर पर एक सफाईकर्मी का है मानक500से 600 मीटर की सफाई का एक कर्मचारी पर है बोझ

प्रयागराज ब्यूरो । स्वच्छता सर्वेक्षण में जिले को एक नंबर पर लाने के लिए की जा रही कसरत का सफल होना संभव दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि, वार्डों में सफाई के लिए तैनात सफाईकर्मियों की संख्या मानक से काफी कम है। शहर में एक सफाईकर्मी पर करीब 450 लोगों द्वारा फैलाई गई गंदगी को साफ करने का बोझ है। इतना ही नहीं, सफाई कर्मियों के बीट क्षेत्र की लंबाई भी मानक से काफी अधिक है। ऐसे में यदि सफाई कर्मियों की तैनाती के मानक पर गौर करें तो आबादी व बीट क्षेत्र की लंबाई के अनुपात में कर्मचारियों की संख्या काफी कम है। काम के ओवर लोड से जूझ रहे सफाई कर्मचारी भी शिद्दत से काम नहीं कर पा रहे हैं। यही वजह है कि लाख कोशिशों के बावजूद शहर साफ सुथरा नहीं हो पा रहा है। जबकि शहर की सफाई पर हर साल नगर निगम के द्वारा करोड़ों रुपये का बजट खर्च किया जाता है। सफाई कर्मचारियों की कमी के साथ शहरियों की दिनचर्या व एटीट्यूट भी शहर में स्वच्छता के बदतर हालात की एक बड़ी वजह बताई जा रही है।

पब्लिक भी नहीं कर रही है सपोर्ट
अपना शहर स्वच्छता सर्वेक्षण में नंबर एक पर नहीं आ रहा है। एक नंबर पर आने के लिए कसरत कर रहे नगर निगम की व्यवस्थागत कमियां आड़े आ रही हैं। विभाग से जुड़े लोग व कुछ पार्षदों की मानें तो शहर का विस्तार होने के पूर्व नगर निगम के कुल 80 वार्ड थे। इन वार्डों में करीब दो लाख 35 हजार हाउस टैक्स पेयी भवन है। इन मकानों में वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक 16 लाख 32 हजार लोग बसर करते हैं। 2011 के बाद जनगणना हुई नहीं लिहाजा इसी आबादी के अनुरूप विकास व सफाई कर्मियों की तैनाती का मानक अब भी चला आ रहा है। शहर का विस्तार होने के बाद बढ़े बीस वार्डों को ले लिया जाय तो अब शहर में कुल वार्डों की संख्या 100 हो गई है। नगर निगम हर विस्तारित एरिया के बीस वार्डों में 20-20 सफाई कर्मियों की तैनाती का कर रहा है। शहर के वार्डों की सफाई के लिए नगर निगम के पास परमानेंट व संविदा मिलाकर करीब 3500 सफाई कर्मचारी हैं। बताते हैं कि शहर में दस हजार आबादी पर 28 से 30 सफाई कर्मियों की तैनात का पुराना मानक है। इसके अनुरूप 350 लोगों की आबादी क्षेत्र में एक सफाई कर्मी होना चाहिए। मगर मौजूदा हालात यह हैं कि एक सफाई कर्मचारी पर 450 से अधिक की आबादी क्षेत्र की सफाई का बोझ है। विभागीय लोगों की मानें तो एक सफाई कर्मचारी का बीट क्षेत्र न्यूनतम 300 अधिकतम 400 मीटर का मानक है। जबकि एक सफाई कर्मी को 500 से 600 मीटर एरिया में सफाई का काम देखना पड़ रहा है। आंकड़ों और बताए जा रहे हालात पर गौर करें तो शहर में व्याप्त गंदगी के पीछे सफाई कर्मचारियों की कमी बड़ी वजह है। ऊपर से पब्लिक की अनियमित दिनचर्या व आदत भी शहर को स्वच्छता सर्वेक्षण में एक नंबर पर आने से रोक रही है।

इस आदत में लगना होगा सुधार
नगर निगम जोन कार्यालयों पर सफाई कार्य देख रहे जिम्मेदार बताते हैं कि शहर को स्वच्छ बनाने में पब्लिक की दिनचर्या आड़े आ रही है।
मोहल्लों व सड़कों पर झाड़ू लगाने व कूड़ा कलेक्शन का एक टाइम है, झाड़ू लगने के बाद उठने वाले लोग कूड़ा फिर रोड पर फेक देते हैं।
ऐसे लोग जब तक उठते हैं कूड़ा कलेक्शन करने वाली गाड़ी व कर्मचारी भी मोहल्ले से जा चुके हैं।
रोड पर आम लोग व दुकानदारों के ग्राहक और दुकान जब चाहते हैं कूड़ा फेक देते हैं, झाड़ू लगने के बाद फेका गया कूड़ा सुबह तक पड़ा रहता है
इस कूड़े को दूसरे दिन सफाई कर्मी साफ करते हैं तो फिर आदतन अपने समय पर उठकर कूड़ा रोड पर फेक देते हैं

दस हजार पर करीब 28 सफाई कर्मियों का मानक है। अभी करीब 632 सफाई कर्मियों की तैनाती की जाएगी। इन सफाई कर्मियों के मिलने के बाद मोहल्लों में सफाई की कोई समस्या नहीं रहेगी।
डॉ। अभिषेक सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

Posted By: Inextlive