पांच साल का कार्यकाल, वीसी के लिए दस महीने झेलना हुआ मुश्किल

राष्ट्रपति कर चुके हैं जांच की संस्तुति, छह माह पहले शुरू हो गई थी उल्टी गिनती

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राईक की तो विश्व बिरादरी में खलबली मच गई। बावजूद इसके आतंक का आका पाकिस्तान अभी भी सर्जिकल स्ट्राईक से इंकार कर रहा है। कुछ ऐसा ही हाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी इलाहाबाद के वाइस चांसलर प्रोफेसर रतन लाल हांगलू का भी है। इविवि में जारी गतिविधियों के खिलाफ मानव संसाधन विकास मंत्रालय की नजर टेढ़ी हो चुकी है और सेंट्रल यूनिवर्सिटी के विजिटर व भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जांच की संस्तुति कर चुके हैं। लेकिन, इविवि प्रशासन के जिम्मेदार अफसर अभी भी कह रहे हैं कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं है।

चंद दिनो में निकल गई शेखी की हवा

इसका उदाहरण तब पेश आया, जब कुछ समय पहले इविवि के पीआरओ प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके वीसी को पाक साफ बताया। कहा था कि उनपर लगे सभी तरह के आरोप बेबुनियाद, अविवेकपूर्ण और पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। इसकी हवा चंद दिनो में ही निकल गई, जब नई दिल्ली से खबरें आना शुरू हो गई कि इविवि और एएमयू के वीसी के खिलाफ अनियमितता के कई मामलों को लेकर शिकंजा कसा जा चुका है। मौजूदा हालात यह है कि एयू का प्रत्येक तबका यह जानने को आतुर है कि पूरब के आक्सफोर्ड का भविष्य क्या होने वाला है?

भाजपा के दखल से बढ़ी तल्खी

इविवि को प्रो। आरएल हांगलू के रूप में स्थाई कुलपति लम्बे समय बाद मिला था। वीसी ने अपने कार्यकाल के दस महीने भी नहीं बिताये हैं और उनके खिलाफ राष्ट्रपति द्वारा जांच की संस्तुति कर दी गई। इससे यह सवाल बड़ा हो गया है कि जब वे अपने अल्प कार्यकाल में आरोपों के अंबार से घिर गए तो पांच साल का कार्यकाल कैसे पूरा करेंगे। वैसे वीसी और मंत्रालय के बीच तल्खी करीब छह माह पहले तब शुरू हुई, जब पीजी प्रवेश परीक्षा (पीजीएटी) को लेकर छात्र और इविवि प्रशासन आमने-सामने थे। उस समय कथित तौर पर मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद वीसी ने भारी मन से पीजीएटी को ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन कराने की मंजूरी दी। इसी दरम्यान वीसी ने परोक्ष तौर पर मंत्रालय और भाजपा के सांसदों पर मनमानी का आरोप लगाया। तब उन्होंने कहा अगर दखलंदाजी इसी तरह जारी रही तो वह इस्तीफा दे देंगे। हालांकि, तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने तब प्रो। आरएल हांगलू के बयान को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। लेकिन, सूत्रों की माने तो मंत्रालय ने इसे गंभीरता से लिया और प्रो। हांगलू की उलटी गिनती शुरू हो गयी।

कैसे फ्लाप हुआ मैजिक

प्रो। हांगलू अपने कार्यकाल की पहली बड़ी परीक्षा इंट्रेंस करवाने में ही विवादों से घिर गए

प्रवेश प्रक्रिया जिस ढर्रे से आगे बढ़ी। उसने पूरे सेशन को डिस्टर्ब किया।

प्रवेश प्रकोष्ठ और इंट्रेंस कंडक्ट करवाने वाली प्राईवेट एजेंसी ने खतरनाक हालात पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी

वीसी ने पहले सभी परीक्षाएं ऑनलाइन करवाने का निर्णय लिया।

छात्रों के उग्र आन्दोलन के बाद यूजी में ऑफलाइन का विकल्प देकर अपने ही निर्णय को पलटना पड़ा।

मामले ने तूल पकड़ा और छात्रों ने सभी प्रवेश परीक्षाओं में ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन व्यवस्था देने की मांग कर दी

वीसी अपने फैसले पर अड़े रहे। एमएचआरडी के कथित दखल से सभी में ऑफलाइन का आप्शन देना पड़ा।

नतीजा यूजी को छोड़कर सभी प्रवेश परीक्षाएं टालनी पड़ गई

मई में हुई यूजी की परीक्षा से ठीक पहले हजारों परीक्षार्थियों के सेंटर बदल गए

जून में हुई पीजी प्रवेश परीक्षा से पहले वाहट्सएप पर पेपर वायरल हो गया

इसके अलावा पीजी, क्रेट समेत बाकी परीक्षाओं में भी भारी गड़बड़ी हुई

इसने पूरी प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए

प्राईवेट कंपनी से करोड़ों के खर्च करके परीक्षा कराने पर भी सवाल खड़े हो गए

बीएएलएलबी एवं एलएलबी जैसी प्रवेश परीक्षाओं के आवेदन बिना मान्यता के ही ले लिये गये

फैसलों पर उठे सवाल

निर्वाचित छात्रसंघ को पंगु बना दिया गया

कई सारे छात्रों को अलग अलग मामलों में निष्कासित एवं निलंबित किया गया फिर इन्हें बहाल करना

टीचर्स की एक खास लॉबी को उपकृत एवं वर्ग से जुड़कर काम करना

प्रशासनिक समेत कुछ खास पदों पर मानमानी नियुक्ति

पूर्णकालिक रजिस्ट्रार, एफओ एवं कंट्रोलर की नियुक्ति

डीन प्रो। ए। सत्यनारायण को अपदस्थ करने और डीन लॉ की कुर्सी पर प्रो। बीपी सिंह को सौंपा जाना

शिक्षक भर्ती में गड़बड़झाला

इलाहाबाद हाईकोर्ट में हर बार मुंह की खाना

आर्थिक अनियमितताएं

Posted By: Inextlive