प्रयागराज (ब्‍यूरो)। शिक्षा के क्षेत्र में बराबरी की बात जरूरी है। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो नवाचार को बढ़ावा दे। जिसे एक आम शहरी के अलावा पिछड़े और विभिन्न क्षेत्रों से छात्र आसानी से ग्रहण कर सकें। यह बात चीफ जस्टिस आफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कही। वह शुक्रवार को एएमए कन्वेंशन हाल में डॉ राजेंद्र प्रसाद नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के प्रथम सत्र के उदघाटन अवसर पर बोल रहे थे। वह लॉ यानी कानून की पढ़ाई के जरिए यंग लायर्स को लीगल माइंड की साथ सोशल माइंड की सीख भी दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की वकालत करते हुए नव स्थापित लॉ यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर से लॉ की पढ़ाई हिंदी में भी करवाए जाने की अपील की। कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मनोज मिश्रा, इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण भंसाली, यूपी एडवोकेट जनरल अजय कुमार मिश्रा, बार काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा के साथ लॉ विवि की वाइस चांसलर ऊषा टंडन भी मौजूद रहीं।

भावी लायर्स को पाठ पढ़ा गए सीजेआई
अपने भाषण में सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई ने भावी लायर्स को नवाचार का पाठ भी पढ़ाया। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता एक तरह से क्लाइंट का सर्वेंट होता है। कहा कि लायर्स नेशनल बिल्डिंग की अहम कड़ी हैं। उनका इसमें महत्वपूर्ण रोल है। वह लीगल सिस्टम के अहम अंग है। चीफ जस्टिस आफ इंडिया ने कहा कि देश में फ्री कानूनी सुविधा प्रदान करना आज भी एक चुनौती है। ताकि एक आम इंसान को आसानी से पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया का लाभ प्राप्त हो सके। कहा कि लॉ यूनिवर्सिटी यंग स्टूडेंट्स के समग्र विकास में अहम रोल निभा सकती है। पढ़ाई ऐसी होनी चाहिए कि एक सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर छात्र भी शिक्षा में बराबरी के अधिकार को प्राप्त कर सके।

न्यायालयों में हिंदी में बहस को मिले बढ़ावा
उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालयों में हिंदी में बहस होनी चाहिए। जिससे इसका लाभ आम इंसान और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के वकीलों को भी प्राप्त हो सके। उन्होंने इस दौरान उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने पुराने 36 हजार निर्णयों का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करवाया है। निचली अदालतों में जहां अंगे्रजी भाषा का बहुत अधिक चलन नही है, वहां पर इस अनुवाद का लाभ वकीलों को प्राप्त होगा। इससे उनकी लॉ के प्रति समझ बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस उनका कार्यकाल केवल पौने तीन साल का रहा है। इस दौरान उनकी अदालत में शुरुआती चरण में अंग्रेजी में होने के बाद बाकी बहस हिंदी में होती थी। वह खुद मुंबई की भाषा में मामलों पर बहस कर लेते थे। जिससे की अदालत की कानूनी प्रक्रिया सभी को समझ आ जाए। उन्होंने कहा कि जिन 36 हजार निर्णयों का हिंदी में अनुवाद किया गया है, वह निशुल्क रूप से सभी के लिए उपलब्ध हैं। मैं नही चाहता कि इन निर्णयों की नजीर लेने के लिए निचली अदालतों के वकीलों को पब्लिशर को पचास हजार रुपए खर्च करना पड़े। वह निशुल्क रूप से इस गुणवत्तापरक सुविधा का लाभ ले सकते हैं।

कार्यपालिका और न्यायपालिका को एक सूत्र में पिरो गए सीएम
अपने भाषण में उप्र के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सुशासन को लॉ आफ रूल बताया। उन्होंने कहाकि उप्र में बिना बेंच और बार के सहयोग के लिए यह संभव नही था। इसके लिए मैं इन दोनों का आभार मानता हूं। यही कारण है कि प्रदेश को सुशासन कीपटरी पर आगे बढृ़ाया जा सका। उप्र सरकार लॉ यूनिवर्सिटी को लेकर प्रतिबद्ध है और इसके विकास में कोई कोताही नही की जाएगी। उन्होंने कहाकि एक आम आदमी का विश्वास न्याय जगत में बना हुआ है। आम जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए लोकतंत्र को अधिक मजबूत बनाना होगा। लोकतंत्र में डायलाग के महत्व को समझना होगा। सीएम ने कहा कि हमने हमेशा बार एसोसिएशन की समस्याओं को सुना। सरकार के पास अगर कोई समस्या आती है तो वह समाधान बन जाती है। हमने ऐसा ही किया है। इसके पहले उन्होंने कहा कि प्रयागराज गंगा, यमुना और त्रिवेणी का संगम है। लेकिन इसके अलावा यहां पर धर्म, ज्ञान और न्याय की त्रिवेणी भी है। उन्होंने संविधान के निर्माता बाबा भीमराव अंबेडकर की उस बात को दोहराया जिसमें उन्होंने कहा कि संविधान समिति की सभा में कही थी। जिसमें कहा था कि संविधान के शुरुआत की चिंता हमें करनी चाहिए। अंत की नही। उन्होंने सीजेआई द्वारा लॉ यूनिवर्सिटी के प्रथम सत्र के उदघाटन पर प्रसन्नता जताई। कहा कि आठ साल पहले वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में गए थे और उन्होंने तब यहां एक नई नजीर पेश की थी। आज वह लॉ विवि के प्रथम सत्र का उदघाटन कर नई कड़ी की शुरुआत कर रहे हैं।

प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की अपील

सीएम ने अपने भाषण में लॉ यूनिवर्सिटी से युवा अधिवक्ताओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम को शुरू करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र में तीन नई योजनाओं की शुरुआत की है और इसमें से एक प्रशिक्षण भी है। जिसमें किसी
भी वर्ग का कोई भी लायर आकर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि उप्र सरकार लॉ विवि की सुविधाओं को बढ़ाने में हर तरह से सहायता को पूरी तरह से तैयार है। कहा कि अभी विवि बीएएलएलबी कोर्स शुरू करने जा रहा है। इसके बाद एलएलएम और पीएचडी कोर्स भी संचालित करेगा।

लॉ विवि के उज्जवल भविष्य की कामना
इसके पहले चीफ गेस्ट सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और विशिष्ट विशिष्ट अतिथि सीएम योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में लॉ विवि के उज्जवल भविष्य की कामना की। सुप्रीम कोर्ट के जज मनोज मिश्रा ने कहा कि प्रयागराज की शिक्षा के क्षेत्र में पहचान है। राजनीति में भी एक पहचान है। सीएम के एफर्ट से विवि के निर्माण का काम तेजी स चल रहा है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण भंसाली ने छात्रों से बेहतर शिक्षा ग्रहण कर कानून की शिक्षा के संचार पर जोर देने को कहा। विवि की वाइस चांसलर ने विवि के पाठ्यक्रम, फैकल्टी सहित अन्य सुविधाओं की जानकारी दी। इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के जज राजेश बिंदल, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रामेश सिन्हा, बाम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय समेत इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज मौजूद रहे।