प्रयागराज (ब्‍यूरो)। डॉ। राजेंद्र प्रसाद नेशनल लॉ विवि के प्रथम सत्र के उदघाटन समारोह में चीफ जस्टिस आफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ बतौर चीफ गेस्ट लॉ विवि को बड़ी जिम्मेदारी सौंप गए। उन्होंनें कहा कि कानूनी शिक्षा में जो बदलाव आ रहे हैं, उस अमल करने के लिए विवि को आगे आना होगा। छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना होगा। कमजोर छात्रों को मुख्य धारा से जोडऩा ही लॉ विवि का मुख्य उददेश्य होना चाहिए। तभी इसकी संकल्पना को पूर्ण किया जा सकेगा।

निचले लेवल की समस्या को जाना
उन्होंने कहा कि वह यह बात ऐसे ही नही कह रहे हैं। कानूनी प्रक्रिया में अब बदलाव की जरूरत है। बाम्बे हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट आने के बाद उन्होंने उप्र की सभ्यता और संस्कृति को जाना है। उप्र भारत का हार्ट आफ लैंड है। इलाहाबाद विवि को पूरब का आक्सफोर्ड कहा जाता है। लॉ विवि को भी इसी दिशा में काम करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि सभी राज्यों के हाईकोर्ट को भी हिंदी में आर्डर करने पर ध्यान देना होगा। तभी कानूनी प्रक्रिया में बराबरी को बढ़ावा मिल सकेगा।

प्रयागराज से थी नजदीकियों
सीजेआई ने कहा कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ। राजेंद्र प्रसाद ने कोलकाता में लॉ की शिक्षा प्राप्त की थी। उनका प्रयागराज से काफी नजदीकियां थीं। उन्होंने इविवि से पीएचडी में डिग्री ली थी। उन्होंने संविधान समिति के अध्यक्ष के रूप में सभा में सभी को बोलीने का अवसर दिया था। इसके बाद ही संसदीय परंपरा की शुरुआत की गई। वह एक सम्मानित वकील थे और इसीलिए उन्हे देश का पहला राष्ट्रपति बनने योग्य माना गया। आज लॉ विवि उनके नाम पर रखकर उनकी विरासत को आगे बढ़ाए जाने का काम किया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने डॉ। राजेंद्र प्रसाद की मूर्ति का अनावरण भी किया।