प्रयागराज पहुंचे बालीवुड सिंगर सुदेश भोसले ने मीडिया से शेयर की दिल की बातकहा सिंगिंग फील्ड में हर दस वर्ष बाद आता है चेंज इसे स्वीकार करना चाहिए

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। यहां की पावन धरा पर आकर ही आत्मा तृप्त हो जाती है। ऐसा लगता है मानो सारे तीर्थों के दर्शन कर लिये हों। प्रयागराज लगभग पैतीस से चालीस वर्षो बाद आना हुआ। इससे पहले एक बार अमिताभ बच्चन के चुनाव मेंं प्रचार के दौरान आया था। यहां आकर देखा की इतने वर्षों में सब कुछ बदल गया। उस समय जब आया था तब यह प्रयागराज इलाहाबाद हुआ करता था और यहां पर एयरपोर्ट की सुविधा भी नहीं थी। यह बाते पाश्र्व गायक सुदेश भोसले ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट को दिये साक्षात्कार के दौरान बताई। सुदेश भोसले पथरचट्टी रामलीला कमेटी के द्वारा आयोजित कराए रामनवमी के कार्यक्रम में प्रस्तुति देने आये थे।

चुम्मा-चुम्मा गाने से मिली पहचान
सुदेश भोसले ने इंटरव्यू के दौरान बताया की उन्होंने अमिताभ बच्चन के लिए कई गाने गाये, मगर इनको असली पहचान 1991 में आई फिल्म चुम्मा-चुम्मा गाने से मिली। सुदेश बताते हैं की तब से वह अमिताभ बच्चन की आवाज बन गये। इसके बाद अमिताभ बच्चन के लिए मेरी मखड़ा मेरी सोडिय़े, जैसे तमाम गाने गाये। मेरी मखड़ा गाने से जुड़ी एक स्टोरी शेयर करते हुए उन्होंने बताया कि जिस समय यह गाना रिकार्ड हो रहा था उस अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन और उनके पुत्र अभिषेक वहीं मौजूद थे। इस गाने को सुन जया बच्चन इतनी खुश हुई की उन्होंने इन्हें सौ रूपए पुरस्कार स्वरूप दिये। जिसे वो अपनी लाइफ का बेस्ट अचीवमेंट मानते हैं।

बदलाव को स्वीकार करना चाहिए
सुदेश भोसले बताते हैं की आज के समय की अपेक्षा उनके समय में गाना और अपनी कला प्रदर्शन करना दोनों ही कठिन था। उनके टाइम म्यूजिक इतने सारे इक्यूपमेंट नहीं थे जिसका इस्तेमाल कर गायकों की आवाज को सेट किया जा सके। यदि कोई कड़ी छूट जाती थी तो उस कड़ी को रिकार्ड करने के लिए पूरा गाना फिर से रिकार्ड करना पड़ता था। पहले के समय में म्यूजिक कम्पोजर, गायक और म्यजिशीयन सब एक जगह होकर गाना रिकार्ड किया करते थे। आज के समय में अगर कोई ड्यूएट गाना हो तो उसके लिए सिंगर म्यूजिक रूम मौजूद रहना जरूरी नहीं है। वह कहीं से भी अपनी वाइस रिकार्ड करके कम्पोजर को भेज सकता है। जिसे म्यूजिक इक्यूपमेंट के द्वारा एरेंज कर लिया जाता है। उनके समय में ऐसी कोई सुविधा नहीं इसलिए आज के नए सिंगर भी अच्छा कर रहे है। समय के बदलाव को स्वीकार करना चाहिए।

Posted By: Inextlive