बिछड़ते रहे, फिर मिलते रहे
-भूले भटके शिविर के माध्यम से अपनों से मिले साढ़े चार हजार
-भोर में चार बजे से ही शुरू हो गया था बिछड़ों को मिलाने का सिलसिला ALLAHABAD: संगम की रेती पर चौथे प्रमुख स्नान पर्व बसंत पंचमी पर स्नान के लिए आए लोग भीड़ में एक-दूसरे से बिछड़ते रहे और भूले-भटका शिविर उन्हें मिलाता रहा। स्थिति यह रही कि भोर में चार बजे से ही लोगों को मिलाने का क्रम शुरू हुआ तो सोमवार को शाम पांच बजे तक साढ़े चार हजार से अधिक श्रद्धालु अपने परिजनों की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने के लिए संगम नोज व मेला प्रशासन के शिविर में पहुंच चुके थे। साढ़े चार हजार श्रद्धालुओं ने लगाई गुहारअमावस्या स्नान पर भूले भटके शिविर में एक दर्जन कर्मचारियों की ड्यूटी रात तीन बजे से ही लगा दी गई थी। छह-छह की संख्या में कर्मचारी संगम नोज व पुलिस प्रशासन के कैंप कार्यालय में स्थित शिविर में मौजूद रहे। दिनभर में 4642 श्रद्धालु अपने परिजनों के गुम होने की शिकायत करने पहुंचे। शाम पांच बजे तक दोनों शिविरों के माध्यम से 4625 महिला व पुरुषों को उनके परिजनों से मिलाया गया तो कर्मचारियों ने छोटे-छोटे 17 बच्चों को भी परिजनों से मिलाया गया।
स्नान पर्वो पर मिलने का आंकड़ा 02जनवरी पौष पूर्णिमा पर 52 महिला व पुरुष और दो बच्चों को परिजनों से मिलाया गया
14 जनवरी मकर संक्रांति के पहले दिन 285 महिला व पुरुष और दो बच्चों को मिलाया गया 15 जनवरी मकर संक्रांति के मुख्य स्नान पर्व पर 4773 महिला व पुरुष और 19 बच्चों को मिलाया गया 16 जनवरी मौनी अमावस्या पर सर्वाधिक 7425 महिला व पुरुष और 19 बच्चों को परिजनों से मिलाया गया 22 जनवरी बसंत पंचमी पर 4625 महिला व पुरुष और 17 बच्चों को उनके परिजनों से मिलाया गया।