-इलाहाबाद में लगातार बढ़ रहे मेंटल डिसआर्डर के पेशेंट

-केवल एसआरएन के ओपीडी में परडे पहुंच रहे 100 से ज्यादा पेशेंट

ALLAHABAD: टारगेट और एचीवमेंट के बीच का असंतुलन दिमाग झेलने की स्थिति में नहीं है। सीधे-सीधे कहे जाने पर यह बात किसी को भी उद्वेलित कर सकती है। लेकिन, आंकड़े तो कुछ ऐसा ही कह रहे हैं। स्थिति के दिनों दिन खतरनाक होते जाने के संकेत दे रहे हैं।

बढ़ रहे हैं मानसिक रोगी

इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी ने अध्ययन के बाद यूपी गवर्नमेंट को रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 20 करोड़ से ज्यादा की पॉपुलेशन वाले यूपी में करीब तीन करोड़ लोग मेंटल डिस आर्डर के शिकार हैं। जिनमें फोबिया, सीजोफ्रेनिया, एल्कोहल पर निर्भरता, मूड डिसआर्डर, काग्निटिव डिसआर्डर, डिप्रेशन, टेंशन, व्यक्तित्व विकार की दिक्कतें ज्यादा हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि आगरा, लखनऊ, इलाहाबाद, मेरठ, गाजियाबाद, बनारस जिलों मेंटल डिसआर्डर के पेशेंट की संख्या तेजी से बढ़ी है।

मानसिक रोग क्या है?

विशेषज्ञों का कहना है कि जब कोई इंसान ठीक से सोच नहीं पाता, उसका अपनी भावनाओं और व्यवहार पर काबू नहीं रहता, तो ऐसी हालत को मानसिक रोग कहते हैं। मानसिक रोगी आसानी से दूसरों को समझ नहीं पाता और उसे रोजमर्रा के काम ठीक से करने में मुश्किल होती है। मानसिक रोग के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसके हालात कैसे हैं। कुछ लोगों में इसके लक्षण लंबे समय तक रहते हैं और साफ नज़र आते हैं, जबकि कुछ लोगों में शायद थोड़े समय के लिए हों और साफ नज़र न आएं। मानसिक रोग किसी को भी हो सकता है, फिर चाहे वह आदमी हो या औरत, जवान हो या बुज़ुर्ग, पढ़ा-लिखा हो या अनपढ़। अगर मानसिक रोगी अच्छी तरह अपना इलाज करवाए, तो वह ठीक हो सकता है।

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एसआरएन में अलग वार्ड की स्थापना

स्वरूपरानी हॉस्पिटल में करीब 41 वर्ष से मानसिक रोग का इलाज करने वाली यूनिट काम कर रही है। लेकिन, पिछले कुछ सालों से मेंटल डिसआर्डर के पेशेंट की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है। ओपीडी में आने वाले क्रिटिकल पोजिशन के पेशेंट को एडमिट कर उनका ट्रीटमेंट करने की व्यवस्था न होने के कारण एसआरएन में वार्ड की जरूरत थी। जो मंगलवार को पूरी हो गई। 10 बेड वाले नए वार्ड का मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डा। एसपी सिंह ने उद्घाटन किया। पेशेंट का ट्रीटमेंट करने के लिए चार सीनियर डॉक्टर्स की टीम तैनात की गई है। इनमें डा। एके टंडन, डा। अनुराग वर्मा, डा। वीके सिंह और डा। क्षितीज श्रीवास्तव शामिल हैं।

Fact File

-इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में करीब तीन करोड़ लोग मेंटल डिस्आर्डर के शिकार

-एसआरएन के मानसिक रोग डिपार्टमेंट की ओपीडी में एक साल में 28 हजार से ज्यादा पेशेंट पहुंचे

-30 परसेंट पेशेंट अंडर 30 एज ग्रुप के

-एक साल पहले तक एसआरएन की ओपीडी में पर मंथ पहुंचते थे 1000-1200 पेशेंट

-सिटी में आधा दर्जन से अधिक प्राइवेट हॉस्पिटल में चलती है ओपीडी

मेंटल डिसआर्डर के लक्षण

-सामाज से कटकर अकेले रहना पसंद करना

-कामकाज में असामान्यता। पढ़ाई में मन न लगना और ऑफिस में काम न कर पाना। कंसटेशन न कर पाना

-मेमोरी लॉस होना या समझने में मुश्किल होना

-फेस्टिवल, पार्टी या फिर प्रोग्राम में शामिल होने की इच्छा न होना

-डर या दूसरों के प्रति शक्कीपन या हमेशा नर्वस महसूस करना

-यही सिरदर्द, माइग्रेन, अनिद्रा, मिर्गी, हिस्टिरिया, अकेलापन, सेक्स कुंठा जैसी बीमारियों करी जड़ है।

'मानसिक रोग से कैसे लड़ें'

-रुटीन वर्क का संतुलन बनाकर चलें। कभी ज्यादा, कभी कम काम से बचें।

-शरीर को चुस्त रखने वाले काम जरूर करें, भरपूर नींद लें

-सही मात्रा में पौष्टिक भोजन लें

-शराब और सिगरेट का सेवन प्रेशर कम करने के लिए न करें

-डॉक्टर ने जो मेडिसिन पिस्क्राइब नहीं की है, उसे न लें

-अकेले रहने की जगह उन लोगों के साथ समय बिताइए जिन पर आपको भरोसा है और जो आपकी परवाह करते हैं

मोर एक्स्पेटेशन और क्विक रिस्पांस का माहौल है। ज्वाइंट फैमिली का कांसेप्ट रहा नहीं। इससे तनाव का माहौल बन रहा है। यही आगे चलकर मेंटल डिस्आर्डर का रूप ले लेता है। इलाहाबाद में इससे पीडि़तों की संख्या चौंकाने वाले पोजीशन में बढ़ी है।

-डा। अनुराग वर्मा

मनोचिकित्सक, एसआरएन

Posted By: Inextlive