Allahabad: क्या आप भरोसा कर सकते हैं कि किसी इंजीनियरिंग कॉलेज में इलाज के नाम पर फीस जमा कराई जाए और जरूरत पडऩे पर मरीज को दवा तक नसीब न हो. कुछ ऐसा ही हुआ आईईआरटी में. जहां कैंपस प्लेसमेंट के लिए आए कंसल्टेंसी कंपनी के एचआर मेंबर के बीमार पड़ जाने के बाद मौके पर ओआरएस घोल तक नहीं मिला. इसे लाने के लिए स्टूडेंट्स को कैंपस के बाहर मेडिकल स्टोर तक जाना पड़ा. और भी कई मामलों में फैसिलिटी नहीं मिलने पर नाराज स्टूडेंट्स से न रहा गया तो उन्होंने इंस्टीट्यूट से अपनी फीस ही वापस मांग ली.


लेते हैं सात सौ रुपएमामला फ्रेशर फंक्शन का हो या मेडिकल फैसिलिटीज का। इंस्टीट्यूट में स्टूडेंट्स की नाराजगी बढ़ती ही जा रही है। यही रीजन था कि ट्यूजडे को स्टूडेंट्स ने आईईआरटी प्रशासन को लिखित अप्लीकेशन देकर जमा की गई एक्स्ट्रा एक्टिविटीज फीस वापस मांग ली। स्टूडेंट्स का तर्क है कि जब हमें फैसिलिटीज ही नहीं दी जा रही हैं तो इंस्टीट्यूट पैसे क्या जमा करा रहा है। बता दें कि एडमिशन के दौरान स्टूडेंट से तीन हजार रुपए सालाना एक्स्ट्रा एक्टिविटीज के नाम पर जमा कराए जाते हैं। इनमें सात सौ मेडिकल, 200 एलुमिनाई, 150 फेयरवेल, 200 रुपए एनुअल डे के नाम पर लिए जाते हैं। अन्य कई मदों में भी पैसा लिया जाता है। Supply water में problem
स्टूडेंट्स का कहना है कि इंस्टीट्यूट में होने वाली वॉटर सप्लाई में प्रॉब्लम है। इसकी वजह से आए दिन वे बीमार हो रहे हैं। बावजूद इसके इंस्टीट्यूट में दवा-पट्टी का बिल्कुल इंतजाम नहीं किया गया है। अपना इलाज कराने के लिए स्टूडेंट्स को कैंपस के बाद डॉक्टर को दिखाना पड़ता है। सिरदर्द, जुकाम, पेट दर्द सहित नॉर्मल ओआरएस का घोल तक यहां मौजूद नहीं है। जबकि, सुविधाओं के नाम पर सभी से हर साल फीस जमा करा ली जाती है। उधर इंस्टीट्यूट के चीफ प्रॉक्टर सुभाष सिंह का कहना है कि ट्यूजडे को स्टूडेंट सुविधाओं की मांग को लेकर विरोध तो कर रहे थे और उन्होंने लिखित में एक अप्लीकेशन भी दी थी। अब उसमें क्या लिखा था, ये मुझे नहीं पता।

Posted By: Inextlive