हर साल 17 अप्रैल को मनाया जाता है वल्र्ड हीमोफीलिया दिवस लाखों रुपए का पड़ता है फैक्टर इंजेक्शन सरकार उठाती है खर्च नजदीकी रिश्तों में विवाह करने से बढ़ जाता है बीमारी का खतरा


प्रयागराज ब्यूरो । हीमोफीलिया को रायल डिजीज भी कहा जाता है, लेकिन यह मरीज को कंगाल भी बना सकती है। क्योंकि इसका इलाज काफी महंगा है। बॉडी में खून का थक्का जमाने के फैक्टर की कमी को पूरा करने के लिए लगाए जाने वाले इंजेक्शन की कीमत हजारों-लाखों में होती है। यही कारण है कि सरकार इन मरीजों के इलाज का खर्च उठाती है। लेकिन, अगर मरीज पर इलाज की जिम्मेदारी आ जाए तो उसका सर्वाइवल मुश्किल हो सकता है। क्या है हीमोफीलिया
हर साल 17 अप्रैल को पूरे विश्व में हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है। जिसका मकसद लोगों को इस खतरनाक बीमारी के बारे में बताना और जागरुक करना है। इस बीमारी में मरीज के शरीर में ब्लीडिंग होने लगती है। इसीलिए इसे ब्लीडिंग डिसार्डर भी कहा जाता है। एक बार अगर मरीज के शरीर से किसी कारणवश खून बहने लगे तो उसे रोकना मुश्किल होता है। क्योंकि हीमोफीलिया से ग्रसित मरीज के खून में थक्का जमाने वाला फैक्टर नही होता है। पुरुषों को होता है अधिक खतरा


महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में इस बीमारियों के होने खतरा होता है। हीमोफीलिया को वंशानुगत बीमारी माना जाता है जिसमें यह पीढ़ी दर पीढ़ी माता-पिता से बच्चों में होती है। डॉक्टर्स का कहना है कि इससे पुरुषों को अधिक खतरा होता है, क्योंकि इसमें महिलाएं करियर यानी बीमारी के वाहक का काम करती हैं। जबकि पुरुष इससे ग्रसित हो जाते हैं। कितना महंगा है इलाजडॉक्टर्स का कहना है कि हीमोफीलिया के इलाज में मरीज को जिस फैक्टर की खून में कमी होती है, उसका इंजेकशन लगाया जाता है। यह इलाज दो प्रकार का होता है। पहले प्रकार में मरीजों को लगातार इंजेक्शन दिया जाता है और दूसरे प्रकार में मरीज को ब्लीडिंग होने पर ही इंजेक्शन लगाया जाता है। फिलहाल सरकार इलाज का दूसरा तरीका ही अपना रही है। क्योंकि, एक इंजेक्शन फैक्टर का 40 हजार से लेकर पांच लाख रुपए की कीमत में आता है। क्यों कहा जाता है रायल डिजीजबताया जाता है कि यह बीमारी ब्रिटेन में महारानी विक्टोरिया के परिवार में भी पाई गई थी, इसलिए इसे रायल डिजीज कहा जाता है। इस समय प्रयागराज में हीमोफीलिया सोसायटी में 250 मरीज रजिस्टर्ड हैं और कई ऐसे भी मरीज हैं जिनका नाम इस सोसायटी में दर्ज नही है। यह कही न कही अपना इलाज करा रहे हैं। सोसायटी में दर्ज मरीजों का इलाज एनएचएम और राज्य सरकार मिलकर कराती हैं।

Posted By: Inextlive