Allahabad: 'डॉक्टर जानते थे कि मेरा बेटा सीरियस है. इसके बावजूद उन्होंने लापरवाही बरती. किसी और डॉक्टर के न होने के बावजूद वे उसे छोड़कर अजमेर चले गए. इसी लापरवाही ने हमसे हमारा बेटा छीन लिया.Ó बूढ़े मां-बाप के इन शब्दों को जिसने भी सुना उसका कलेजा कांप गया. जवान बेटे की मौत पर उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. घटना राजापुर स्थित एक क्लीनिक पर वेडनसडे को हुई.


बिना बताए कर दिया ऑपरेशन

सीडीए पेंशन के कर्मचारी मनिंदर श्याम को मंडे मॉर्निंग पेट में तेज दर्द हुआ था। उसे राजापुर स्थित डॉ। अशोक त्रिपाठी की क्लीनिक में एडमिट कराया गया। दिन भर उसका इलाज चलता रहा। परिजनों का आरोप है कि रात में अचानक डॉ। अशोक त्रिपाठी ने ब्लड की डिमांड कर दी। पिता योगेंद्र श्याम ब्लड बैंक चले गए। लौटने पर देखा कि मनिंदर के पेट का ऑपरेशन हो चुका था। यह देखकर वह भौचक रह गए। ऑपरेशन से पहले उनकी सहमति तक नहीं ली गई। इसके बारे में पूछने पर डॉक्टरों ने कहा कि आंत फट चुकी थी। ऐसे में फौरन ऑपरेशन करना जरूरी था.

 Junior भी नहीं था

परिजनों का कहना है कि वेडनसडे मॉर्निंग में डॉ। त्रिपाठी किसी काम से अजमेर निकल गए। उनकी क्लीनिक में एक भी जूनियर डॉक्टर तक मौजूद नहीं था। पूरा काम स्टाफ के भरोसे ही चल रहा था। अचानक दोपहर में मनिंदर की हालत सीरियस हो गई। जानकारी देने के बावजूद स्टाफ ने ध्यान नहीं दिया। मनिंदर लगातार दर्द से तड़पता रहा। शाम तकरीबन साढ़े पांच बजे मनिंदर ने दम तोड़ दिया.

 भाग निकला staff

मनिंदर की मौत पर परिजनों को गहरा सदमा लगा। परिजन डॉ। त्रिपाठी पर लापरवाही का आरोप लगा रहे थे। पिता योगेंद्र, मां रानी देवी और छोटे भाई का रो-रोकर बुरा हाल था। मामला सीरियस होते देख हॉस्पिटल का पूरा स्टाफ भाग निकला। तब तक सीडीए पेंशन ऑफिस के कर्मचारी भी क्लीनिक पर पहुंच गए। उनका कहना था कि जब क्लीनिक में कोई सीरियस पेशेंट एडमिट है तो डॉक्टर कैसे बाहर चले गए। आखिर क्यों उन्होंने किसी और डॉक्टर को पेशेंट की जिम्मेदारी नहीं दी। हंगामा होते देख पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी.

 चकनाचूर हो गए सारे ख्वाब

दो साल पहले 28 साल के मनिंदर ने एसएससी क्वालिफाई किया था। इसके बाद उसकी पोस्टिंग इलाहाबाद स्थित सीडीए पेंशन ऑफिस में हो गई। परिजनों की मानें तो वह अकेला घर में कमाने वाला था। उससे काफी उम्मीदें जुड़ी हुई थीं। माता-पिता ने उसकी शादी की तैयारियां भी शुरू कर दी थीं। इस घटना ने उनके सभी सपने चकनाचूर कर दिए। मां रानी देवी ने बताया अब हमारे दिन बदलने वाले थे। बेटे से हमें बहुत उम्मीदें थी लेकिन अब सबकुछ खत्म हो गया.

 वसूल लिए 35 हजार

मूलत: बरेली का रहने वाला मनिंदर शहर में अकेला रहता था। मंडे को उसके बीमार होने की खबर सुनकर ही परिजन शाम तक यहां पहुंचे थे। पिता योगेंद्र का कहना था कि डॉ। त्रिपाठी ने उनसे इलाज के नाम पर 35 हजार रुपए ऐंठ लिए। यहां तक कि वेडनसडे को जब पेशेंट सीरियस हुआ तो उसका इलाज करने के बजाय स्टाफ ने पांच हजार रुपए की एक्स्ट्रा दवाएं मंगा लीं। जब वे दवा लेकर आते बेटे की सांसें थम चुकी थीं.

Posted By: Inextlive