70% questions out of syllabus in B.Tec
तब पता चला, विरोध जायज हैराहुल ने बताया कि एग्जाम शुरू हुए कुछ ही मिनट बीते होंगे कि ऑब्जेक्शन शुरू हो गया। स्टूडेंट्स पेपर के ज्यादातर क्वेश्चन आउट ऑफ सिलेबस होने की बात कह रहे थे। सेंटर ऑफिसर्स ने दूसरे सेंटर पर क्वेरी की तो वहां से भी कुछ ऐसी ही शिकायत मिली। फाइनली मालूम हुआ कि स्टूडेंट्स का ऑब्जेक्शन जायज है। इस पर एग्जाम कंडक्ट कराने वाली गौतम बुद्ध टेक्निकल यूनिवर्सिटी से संपर्क किया गया। इस पर यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने करेक्शन कराने के आदेश जारी किए.
डेढ़ घंटे बाद मिलासेंटर ऑफिसर्स के मुताबिक जीबीटीयू ने आननफानन में इंटरनेट व फैक्स के थ्रू करेक्शन वाला पेपर भेजा। हालांकि इन सबमें काफी देर हो गई। टाइम तो बीता ही साथ ही स्टूडेंट्स की कॉपी भी भर गई। स्टूडेंट्स के मुताबिक यही रीजन था कि आंसर मालूम होने के बाद भी वे क्वेश्चंस का सही तरीके से जवाब नहीं दे सके। इस बात पर भी ऐतराज जताया कि करेक्टेड क्वेश्चन पेपर उन्हें डेढ़ घंटे बाद दिया गया। हालांकि पेपर सॉल्व करने के लिए उन्हें केवल आधे घंटे का एक्स्ट्रा टाइम मिला.
सिर्फ मामूली correction थास्टूडेंट और सेंटर्स ऑफिसर एक्सेप्ट कर रहे हैं कि ज्यादातर क्वेश्चन आउट ऑफ सिलेबस थे। हालांकि जीबीटीयू ऑफिसर ये मानने को तैयार नहीं हैं। सोर्सेज के मुताबिक लगभग पूरा पेपर चेंज किया गया। इसके बाद भी जीबीटीयू ऑफिसर्स मालूमी करेक्शन होने की ही बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि इस तरह की गलतियां हो जाती हैं और समय रहते इनका करेक्शन कर लिया जाता है.
paper हो गया खराबस्टूडेंट्स का कहना है कि इस आपाधापी में वे पूरी तरह से डिस्टर्ब हो गए। ऐसे में जो क्वेश्चन उन्होंने तैयार किए थे, उसका जवाब भी ठीक ढंग से नहीं दे पाए। एक तो टाइम कम था, दूसरा उन्हें दूसरी कॉपी भी नहीं दी गई। उनकी डिमांड है कि यूनिवर्सिटी मार्किंग के दौरान इस बात को ध्यान में रखे। ऐसा पॉसिबल नहीं होता तो पेपर कैंसिल कर दोबारा एग्जाम कराया जाए। उधर सेंटर ऑफिसर का कहना है कि यूनिवर्सिटी ने दूसरी कॉपी देने का इंस्ट्रक्शन जारी नहीं किया। ऐसे में उन्हें दूसरी कॉपी नहीं जारी की गई। हद हो गई परेशानी की बात ये रही कि यूनिवर्सिटी की ओर से भेजे गए करेक्टेड पेपर में भी गलतियां थी। बाद में उसे भी करेक्ट कराया गया। इन सब में और समय जाया हुआ। स्टूडेंट्स की मानें तो करेक्टेड पेपर भी ठीक नहीं था। दरअसल ये पेपर आननफानन में तैयार किया गया।सबका होगा नुकसान
इस पूरी गड़बड़ी से बीटेक फिफ्थ सेमेस्टर के सभी ब्रांच के स्टूडेंट प्रभावित हुए हैं। इंजीनियरिंग एंड मैनेजेरियल इकोनॉमिक्स का ये पेपर सभी ब्रांच में कॉमन है। केवल सिटी की बात करें तो इससे तीन हजार से अधिक स्टूडेंट प्रभावित हुए। सिटी में लगभग आधा दर्जन सेंटर्स पर ये एग्जाम हो रहा है। ये गड़बड़ी जीबीटीयू के सभी एग्जामिनेशन सेंटर पर पाई गई हैं.
correction in question- question no। 1: part (a) & (b)5 marks of each part - question no। 2: part (a), (b) & (e)10 marks of each part - question no। 3: part (c)10 marks - question no। 4: part (a) & (b)10 marks of each part - question no। 5: part (a)10 marksक्वेश्चन पेपर में थोड़ी बहुत गलती हो जाती है। ऐसी ही प्रॉब्लम इस पेपर में थी जिसे फौरन करेक्ट करा दिया गया। स्टूडेंट्स को एक्स्ट्रा टाइम भी दिया गया। एग्जाम कैंसिल करने की जरूरत नहीं है। मेरे हिसाब से स्टूडेंट भी संतुष्ट हैं।विक्रम सिंह, एग्जामिनेशन कंट्रोलर जीबीटीयू।पेपर में कुछ करेक्शन था। यूनिवर्सिटी से करेक्ट पेपर मिलते ही स्टूडेंट्स को अवेलेबल करा दिया गया। उन्हें एक्स्ट्रा टाइम भी दिया गया। दूसरी कॉपी देने की परमिशन नहीं है। इसलिए ऐसा नहीं किया गया.
संजय, डीन एकेडमिक यूसीईआर।पेपर में एरर होने की सूचना पेपर शुरू होने के साथ ही यूनिवर्सिटी को भी मिल गई। इसलिए स्टूडेंट्स को जल्द ही करेक्ट पेपर मिल गया। स्टूडेंट्स का नुकसान न हो, इसलिए डिमांड पर दूसरी कॉपी भी दी गई. आरके सिंह, एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर एसआईईटी।पेपर में करेक्शन होना था। इसे समय रहते करा भी दिया गया। स्टूडेंट को एक्स्ट्रा टाइम भी दिया गया। उनसे ये भी कहा गया कि कॉपी में पेज कम पड़ रहा हो तो वे एक ही पेज में दो क्वेश्चन कर सकते हैं। स्टूडेंट को कोई परेशानी न हो, इसका पूरा ध्यान रखा गया।एससी रोहतगी, डायरेक्टर डीआईटीएस।