-आईएएस प्री से सीसैट न हटाने को लेकर प्रतियोगी छात्र खफा

-चेहरे पर मायूसी, हाथ में लाठी, सड़क पर उतरे छात्र, उग्र प्रदर्शन

-बघाड़ा में रोकी ट्रेन, चेतावनी दी, परीक्षा स्थगित करवाकर ही दम लेंगे

ALLAHABAD: आम तौर पर किताब और कलम के साथ वक्त बिताने को तवज्जो देने वाले प्रतियोगी छात्र शुक्रवार को लाठी-डंडा के साथ सड़क पर थे। उन्होंने चक्का जाम किया, ट्रेन को रोका और पुतला फूंका। उनका विरोध संघ लोक सेवा आयोग के उस फैसले पर है जिसमें इस बार भी आईएएस प्री परीक्षा सीसैट पैटर्न पर ही कराने का प्रस्ताव किया गया है। गुरुवार को आयोग के एडमिट कार्ड जारी कर देने से तय हो गया कि न तो वह परीक्षा पोस्टपोंड करने जा रहा है और न ही उसने सीसैट हटाने का फैसला लिया है। सीधे शब्दों में उसने सरकार के आग्रह को ठुकरा दिया है। इसे लेकर सुबह से ही शुरू हुआ बवाल देर शाम तक जारी रहा। प्रतियोगी छात्रों को कहना है कि आंदोलन तब तक वापस नहीं लिया जाएगा जब तक कि आयोग परीक्षा स्थगित करने की घोषणा नहीं करता।

पूरी तैयारी के साथ उतरे

संघ लोक सेवा आयोग ने गुरुवार को आईएएस प्री-ख्0क्ब् का प्रवेश पत्र जारी कर दिया। एक महीना पहले ही आयोग द्वारा उठाया गया यह कदम प्रतियोगी छात्रों के लिए चौंकाने वाला था। दिल्ली में तो गुरुवार की रात ही बवाल हो गया था। शुक्रवार की सुबह इसके विरोध में इलाहाबाद में भी विरोध के सुर फूट पड़े। सुबह क्0 बजे के आसपास यूनिवर्सिटी रोड पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जुड़े छात्रों ने चक्काजाम कर दिया। छात्रों के आक्रोश का केन्द्र हिंदू हास्टल चौराहा, बालसन चौराहा, केपीयूसी हास्टल चौराहा, सर सुन्दर लाल छात्रावास चौराहा आदि बना। इस दौरान छात्रों ने आईएएस परीक्षा से सीसैट को हटाकर हिन्दी पट्टी के छात्रों संग न्याय करने की मांग की। अपनी मांग को लेकर छात्र पूरी तैयारी के साथ सड़क पर उतरे थे। तकरीबन सभी छात्र हाथों में लाठी डंडा लिए हुए थे।

केन्द्र व यूपीएससी की मंशा पर सवाल

छात्रों की नाराजगी की वजह आईएएस प्री परीक्षा से एक माह पहले एडमिट कार्ड जारी करना रहा। उनका कहना था कि ऐसा करके यूपीएससी ने हिन्दी पट्टी के छात्रों के साथ अन्याय करने की अपनी मंशा को स्पष्ट कर दिया है। छात्रों ने सेंट्रल गवर्नमेंट की मंशा पर भी सवाल उठाते हुए कहा यह कैसे हो सकता है कि जिस मामले में सीधे केन्द्र सरकार का दखल हो उसे दरकिनार करके यूपीएससी ने अपनी मनमानी कर डाली। उन्होंने दिल्ली में चल रहे प्रतियोगी छात्रों के आन्दोलन को बिल्कुल उचित बताया और कहा कि आईएएस परीक्षा के स्थगित होने तक उनका आन्दोलन जारी रहेगा।

शुक्र है कोई अनहोनी नहीं हुई

प्रतियोगी छात्रों का रुख देखकर पुलिस और प्रशासन भी बैकफुट पर ही रहा। पूरे आन्दोलन के दौरान लोकल इंटेलिजेंस ने दूर से ही घटनाक्रम पर अपनी निगाहें बनाएं रखीं और पल पल की खबर उच्चाधिकारियों को देते रहे। शायद यह पुलिस की सख्ती न दिखाने का ही परिणाम रहा कि छात्रों का आन्दोलन किसी बड़े संघर्ष में तब्दील नहीं हो सका।

क्या कहते हैं आन्दोलनकारी छात्र

केन्द्र सरकार ने आश्वासन दिया था कि सीसैट को हटाकर परीक्षा करवाई जाएगी। इससे परीक्षार्थी भी निश्चिंत हो गए थे। लेकिन, यूपीएससी ने एडमिट कार्ड जारी करके दोबारा से परीक्षार्थियों को परेशान कर दिया है।

कौशल सिंह

यूपीएससी ने पहली बार एक माह पहले एडमिट कार्ड जारी किया है। इससे यह सुनिश्चित हो चुका है कि वह न्याय नहीं करना चाहती। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। मरते दम तक लड़ाई लड़ी जाएगी।

सुनील मौर्य

देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शन और यूपीएससी के अडि़यल रवैये से परीक्षार्थियों का ध्यान बंटा हुआ है। केन्द्र सरकार कह रही है कि वह हिन्दी माध्यम के छात्रों के साथ अन्याय नहीं करेगी। ऐसे में क्या यह माना जाए कि यूपीएससी को बैक फुट पर आना होगा।

सत्येन्द्र त्रिपाठी

संवैधानिक संस्था यूपीएससी ने मनमानी की है। इससे पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी ने भी यूजी कोर्स की समय सीमा को लेकर अपनी मनमानी की थी। बाद में उसे पीछे हटना पड़ा था। यदि यूपीएससी ने भी ऐसा ही किया तो कोई बताएगा कि इससे छात्रों को होने वाले नुकसान की भरपाई का जिम्मेदार कौन होगा।

विक्रम सिंह

पशोपेश की स्थिति है। परीक्षार्थी भ्रमित हैं। देखा जाए तो इतनी बड़ी परीक्षा से पहले यह स्थिति ठीक नहीं। जिस तरह से दिल्ली में छात्र पढ़ाई छोड़कर प्रदर्शन में शामिल हैं। उसे देखते हुए हमारे नेतृत्वकर्ताओं को जल्द से जल्द समाधान ढूंढना होगा।

राजेश सिंह

इलाहाबाद में तो आईएएस निकलना ही बंद हो गए हैं। इसके पीछे सीसैट का बड़ा हाथ है। मैं तो इसे बड़ी साजिश के तौर पर देख रहा हूं। ऐसे लगता है कि हमारे आका गरीब को गरीब और अमीर को अमीर बनाने का कुचक्र रच रहे हैं। अंगे्रजी माध्यम के छात्रों का सेलेक्शन परसेंटेज इसकी ताकीद कर रहा है।

अमित यादव

हिंदी और हिन्दुस्तान को बचाना है तो युवाओं को आगे आकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन खड़ा करना होगा। वरना मुझे नहीं लगता कि ऊंची कुर्सी पर बैठे लोगों को हमारी आवाज इतनी आसानी से सुनाई देगी। एक बार यह मौका चूक गए तो आने वाली पीढ़ी और देश को इसका खामियाजा भुगतना होगा।

रुद्र प्रताप सिंह

Posted By: Inextlive