-सौतन को आत्महत्या के लिए उकसाने का जुर्म कोर्ट में साबित

-पति के साथ दूसरी पत्नी, व मामा भी है आरोपी, तीनों को सात साल की कैद

ALLAHABAD: उसकी गोद में बच्चा था। सिर्फ दस दिन का। उसे लेकर वह डिस्ट्रिक्ट कोर्ट पहुंची थी। आरोप था कि उसने अपने पति की पहली पत्‍‌नी को आत्महत्या के लिए उकसाया था। कोर्ट में उसका जुर्म साबित भी हो गया। कोर्ट उसे पति और मामा के साथ सात साल के कारावास की सजा सुनाई। सजा तीन को ही मिली लेकिन, चौथे को भी जेल जाना पड़ गया।

2007 में की थी आत्महत्या

यह सीन बुधवार को लाइव था अपर जिला जज किरन पाल सिंह की कोर्ट में। लालापुर थाना में दो अप्रैल 2007 को संतलाल ने मुकदमा दर्ज कराया था कि उनकी पुत्री गीता को संतान न होने पर उसके पति राजकरन ने दूसरी शादी कर ली। इसके बाद उसका परिवार गीता को प्रताडि़त करने लगा। सब ने मिलकर उसे आत्महत्या के लिए उकसाया। इससे गीता ने आग लगाकर जान ने दी। अभियोजन ने गवाह पेश कर आरोप साबित किया। इस पर फैसला सुनने के लिए मृतका के पति राजकरन, उसकी दूसरी पत्नी रेखा और मामा सीताराम कोर्ट पहुंचे थे। अपर जिला जज किरन पाल सिंह की अदालत ने तीनों को सात-सात साल की कैद व दस-दस हजार रुपए के जुर्माने से उन्हें दंडित किया।

सात साल का होकर निकलेगा दुधमुहां

कोर्ट से सात वर्ष की कैद की सजा भुगतने के लिए केंद्रीय कारागार नैनी भेजी गई रेखा के साथ ही दस दिन का बच्चा भी जेल में ही रहेगा। बुधवार को न्यायालय में सुनवाई के दौरान दस दिन का बच्चा रेखा की गोद में था। न्यायालय से रेखा को नैनी कारागार ले जाया गया। रेखा के दो और बच्चे हैं, जो अपनी बुआ के पास हैं।

Posted By: Inextlive