पुलिस डिपार्टमेंट में जांबाजों की कमी नहीं
प्रयागराज ब्यूरो । पुलिस। पुलिस का नाम आते ही लोगों की आंखों में डराने वाली तस्वीरें कौंध जाती हैं। शायद ही कोई ऐसा शख्स हो जो चाहता हो कि उसका पुलिस से वास्ता पड़ जाए। बहुत ही जरुरत पडऩे पर मजबूरी में लोग पुलिस से मिलना पसंद करते हैं। ये पुलिस की छवि है। मगर इसके इतर ये मानना पड़ेगा कि पुलिस डिपार्टमेंट में जांबाजों की कमी नहीं है, जिनकी बदौलत हम सब सुरक्षित हैं। इन्हीं जांबाजों में बदलते दौर में पुलिस डिपार्टमेंट में ऐसे भी लोग हैं जो पुलिस की डरावनी छवि से इतर समाज के लिए बहुत कुछ करते रहते हैं। आज आपको मिलवाते हैं दो ऐसी शख्सियत से जो पुलिस की डरावनी छवि से नहीं बल्कि समाज में अपने काम से जाने जाते हैं। एक हैं इंस्पेक्टर केके मिश्रा, जोकि साहित्य सृजन के जरिए लोगों में संवेदना जगाने का काम कर रहे हैं तो दूसरे हैं कम्प्यूटर आपरेटर जय प्रकाश। जय प्रकाश ने साइबर सेल में नौकरी करते करते लोगों को जागरुक करने के लिए यू ट्यूब चैनल बना डाला। चैनल के सब्सक्राइबर की संख्या हजारों में हैं।
मकसद बन गया साइबर क्रिमिनल से लडऩा
जय प्रकाश सिंह। ये नाम है प्रयागराज पुलिस के साइबर योद्धा का। सोनभद्र के थाना अनपरा के ककरी गांव के रहने वाले जय प्रकाश ने शायद ही कभी सोचा हो कि उनकी जिंदगी में एक ऐसा भी दिन आएगा जब उन्हें सोशल मीडिया पर लाखों लोग जानेगें। जय प्रकाश 2014 में पुलिस डिपार्टमेंट में कम्प्यूटर आपरेटर बने। कम्प्यूटर चलाते चलाते जय प्रकाश के मन में साइबर क्राइम को समझने का मौका मिला। इसके बाद जय प्रकाश साइबर क्राइम को समझने लगे। और इतनी महारात हासिल कर ली कि साइबर योद्धा बन गए।
आईपीएस नीतिन तिवारी ने की पोस्टिंग
बात 2018 की है। प्रयागराज के तात्कालीन कप्तान नीतिन तिवारी को एक ऐसे जवान की तलाश थी जो साइबर क्राइम को समझता हो। जिसकी उसमें रुचि हो। उस वक्त साइबर क्राइम की शुरुआत हुई थी। कप्तान नीतिन तिवारी ने जय प्रकाश को साइबर सेल में भेजा। इसके बाद से अब तक सैकड़ों केस सुलझाने में जय प्रकाश ने जी जान से मेहनत की। जिसका नतीजा है कि साइबर सेल या साइबर थाने का ऐसा शायद ही कोई मामला हो, जिसमें जय प्रकाश विवेचना में मदद न करते हों।
साइबर जागरुकता में नंबर एक
साइबर सेल ने सिटीजन्स को साइबर क्राइम के प्रति जागरुक करने की योजना बनाई। और इसकी कमान जय प्रकाश को मिली। साइबर क्राइम का कोई भी जागरुकता प्रोग्राम हो, वह बगैर जय प्रकाश के पूरा नहीं होता है। जिसका नतीजा है कि आज शहर में लाखों की संख्या में साइबर क्राइम के प्रति लोग अवेयर हुए हैं।
पुलिस डिपार्टमेंट की नौकरी की व्यस्तता के बाद भी जय प्रकाश चौबीस घंटे साइबर क्रिमिनल्स की कमर तोडऩे में लगे रहते हैं। जय प्रकाश ने लोगों को जागरुक करने के लिए साइबर क्राइम के नाम से अपना यू ट्यूब चैनल बना लिया। जिसमें एक लाख सतहत्तर हजार सब्सक्राइबर हैं वहीं फेस बुक पेज पर पचास हजार फालोवर हैं। जय प्रकाश साइबर क्राइम से बचने की जानकारी देते ही हैं बल्कि कमेंट का जवाब देने के साथ आने वाले फोन पर लोगों को साइबर क्राइम हो जाने पर कार्रवाई की जानकारी भी देते हैं। जय प्रकाश की तैनाती प्रयागराज में है, मगर वह प्रतापगढ़ और कौशांबी में भी जागरुकता कार्यक्रम में जानकारी देने के लिए बुलाए जाते हैं।
नौकरी गोली की, चलाते हैं कलम
पुलिस डिपार्टमेंट में इंस्पेक्टर हैं केके मिश्रा। अमेठी गौरीगंज के पूरे गंगाराम मिश्र का पुरवा के रहने वाले प्रयागराज आए तैयारी के लिए। इविंग क्रिश्चियन कॉलेज से बीए किया। इसके बाद सीएमपी लॉ कालेज से एलएलबी। फिर हिंदुस्तानी गजल में जनवादी चेतना विषय पर पीएचडी की। इस बीच 2001 सीधी भर्ती में केके मिश्रा पुलिस में दारोगा हो गए। नौकरी गोली चलाने की मिली मगर मन में रची बसी कलम हाथों से छूटी नहीं। केके मिश्रा के पिता अवधेश नारायण मिश्र गजलों को अच्छे सुर में गाते थे। जिसका असर केके मिश्रा पर भी पड़ा। नतीजा पुलिस की नौकरी के बाद भी भावनाओं की संवेदना उनके अंदर कहीं कहीं हिलोरें लेती रहती। ऐसे में दारोगा केके मिश्रा इश्क सुल्तानपुरी हो गए। नौकरी में कई जनपदों में घूमने वाले केके मिश्रा ने अपना ठौर प्रयागराज के शंकरघाट जोंधवल में बनाया। केके मिश्रा के इश्क सुल्तानपुरी के सौ शेर नाम से पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। एक गजल संग्रह प्रकाशन की लाइन में है। इसके अलावा दो गजल विशेषांक और पुलिस विशेषांक गुफ्तगू प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हो चुका है। केके मिश्रा वर्तमान में लखनऊ राज्य विशेष अनुसंधान दल में पोस्ट हैं।
पराक्रम पदक से हैं सम्मानित
इंस्पेक्टर केके मिश्रा उर्फ इश्क सुल्तानपुरी को पराक्रम पदक भी मिल चुका है। 2014 में राष्ट्रपति पराक्रम पदक से सम्मानित इंस्पेक्टर केके मिश्रा अपना यू ट्यूब चैनल भी चलाते हैं। पुलिस आफिसर के अलावा केके मिश्रा की पहचान साहित्यकार, गजलकार के रूप में भी हो रही है।