सत्ती चौरा में दिनभर लोगों के बीच तरह-तरह की होती रही चर्चा

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। मु_ीगंज के सत्तीचौरा तिराहे पर हुई घटना को जिसने भी सुना दहल गया। दिनभर मु_ीगंज ही नहीं, बल्कि आसपास के क्षेत्र में भी इसी घटना की चर्चा होती रही। हर कोई यही कह रहा था कि वारदातें तो जनपद में कई हुईं, लेकिन ऐसी घटना न कभी देखी थी और न सुनी थी। फर्नीचर व्यवसायी राजेंद्र केसरवानी की पहले बहू की मौत और फिर आगजनी में राजेंद्र व उनकी पत्नी शोभा की मौत की जानकारी मंगलवार सुबह मु_ीगंज के साथ ही मालवीय नगर, रामभवन, कटघर, बलुआघाट, कीडगंज, गऊघाट, मीरापुर, बहादुरगंज, शीशमहल, हटिया समेत अन्य क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को हुई तो वह हतप्रभ रह गए। काफी संख्या में लोग तो मंगलवार सुबह घटनास्थल पर यह जानने के लिए पहुंचे कि आखिर यह सब कैसे हुआ। सुबह से लेकर देर शाम तक लोगों में इसी बात की चर्चा होती रही कि तीन जिंदगी काल के गाल में समा गई। दो परिवार बर्बाद हो गए।

बंद रहीं आसपास की दुकानें
घटनास्थल के आसपास की दुकानें मंगलवार को दिनभर बंद रहीं। चाय-पान की दुकान तक नहीं खुली। पुलिस ने सत्तीचौरा तिराहे पर बैरीकेडिंग भी कर दिया था। थाने के पास तैनात पुलिसकर्मी दोपहिया वाहन को छोड़कर अन्य वाहनों को सत्तीचौरा तिराहे की तरफ नहीं आने दे रहे थे। मु_ीगंज के साथ ही शहर के आधा दर्जन से अधिक थाने की पुलिस भी तैनात की गई थी। उच्चाधिकारी भी बीच-बीच में यहां आकर जायजा ले रहे थे।

दरवाजा तोड़कर उठा ले गए डीवीआर
राजेंद्र के भाई राजेश केसरवानी का मकान बगल में ही है। उनके घर के बाहर सीसीटीवी कैमरा लगा है। राजेश का आरोप है कि घटना के बाद देर रात कई पुलिसकर्मी जबरन उनके घर में घुस गए। जिस कमरे में सीसीटीवी का डीवीआर रखा था, उस कमरे का दरवाजा तोड़ दिया और डीवीआर उठा ले गए। राजेश का कहना है कि अगर पुलिस को साक्ष्य के तौर पर सीसीटीवी फुटेज देखने के लिए डीवीआर लेना था तो वह मांग सकते थे, दरवाजा तोडऩे की क्या जरूरत थी।

आग बुझाने के लिए मोती चंद्र ने तोड़वाई दीवार
फर्नीचर व्यवसायी के घर में लगी आग ग्राउंड फ्लोर से लेकर चौथी मंजिल तक लगी थी। भीतर जाने का कोई दूसरा रास्ते फायरकर्मियों के पास नहीं था। सड़क पर दमकल वाहन पर खड़े होकर फायरकर्मी दूर से आग पर पानी की बौछार कर रहे थे, लेकिन दुकान में फर्नीचर का सामान, तारकोल होने से आग थमने के बजाय और विकराल होती जा रही थी। राजेंद्र के घर के पीछे की तरफ रहने वाले मोती चंद्र के यहां फायरकर्मी पहुंचे और दीवार तोडऩे की बात कही। जिस पर मोतीचंद्र तैयार हो गए और फिर फायरकर्मियों ने दीवार का थोड़ा हिस्सा तोड़कर आग पर काबू पा लिया। मोती चंद्र ने बताया कि राजेंद्र केसरवानी उनके मामा के पुत्र थे। सोमवार की देर रात के बाद मंगलवार सुबह भी मुहल्ले के लोग आक्रोशित थे। वह बार-बार यही कह रहे थे कि घर में आग लगने के बाद उनको जानकारी हुई। कुछ लोग तो चिल्ला भी रहे थे। भीड़ जुटती देख पुलिस ने कई बार लोगों को खदेड़ा। इस दौरान कुछ लोग सड़क पर गिर भी गए।

जंजीर में बंधा रह गया श्वान
अंशु ने एक श्वान भी पाल रखा था। खाना खिलाने के बाद उसे दूसरे मंजिल पर बालकनी के पास जंजीर में बांध दिया गया था। घर में आग लगी तो वह तेज-तेज भौंकने लगा, लेकिन जब आग की लपटों ने उसे घेरा तो उसकी आवाज थम गई। आग शांत होने के बाद पुलिस को जंजीर में जली उसकी लाश मिली।

Posted By: Inextlive