जानिए इस stop के side effects
चौपट कर दिया पूरा plan
स्ट्राइक का सबसे बड़ा असर ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर पड़ा। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों के स्ट्राइक में पूरी तरह से शामिल हो जाने के चलते रात से ही बसों के पहिए थम गए। रोडवेज ऑफिसर्स ने वैकल्पिक तौर पर कांट्रैक्ट की बसों व कंडक्टर से काम चलाने की कोशिश की लेकिन इस मंसूबे पर भी हड़ताली कर्मचारियों ने पानी फेर दिया। इसका नतीजा हुआ कि सिटी में एक जगह से दूसरी जगह जाना दुश्वार हो गया। गोरखपुर, वाराणसी और लखनऊ रूट के पैसेंजर्स का तो पूरा प्लान ही चौपट हो गया। रोडवेज कैंपस में सिर्फ बैग लिए हुए परेशान हाल पैसेंजर्स नजर आ रहे थे। इंग्लैंड से आए कैट और कैलिन को बनारस जाना था, वह सिविल लाइंस बस अड्डा पहुंचे तो उन्हें एक भी बस नहीं मिली। कैट कहती हैं कि उनके यहां पर इस तरह की स्ट्राइक पर गवर्नमेंट द्वारा पैसेंजर्स के लिए आप्शनल फैसेलिटी उपलब्ध कराई जाती है। लेकिन, यहां तो पूरा सिस्टम ही फेल नजर आता है। आने-जाने का कोई साधन ही नहीं है।
City buses खड़ी रहीं डिपो में
सिटी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का बड़ा माध्यम सिटी बस भी वेडनसडे को डिपो से बाहर नहीं निकलीं। इससे ऑफिस, स्कूल कॉलेज और कोचिंग जाने वाले लोगों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लोग ऑफिस समय से नहीं पहुंच सके और कई कोचिंग अपने टाइम से नहीं पहुंचे। एक्चुअली सिटी बसें ट्रांसपोर्ट का बड़ा माध्यम बन चुकी हैं। लोगों को स्ट्राइक के बारे में तो जानकारी थी लेकिन यह अंदाजा नहीं था कि सिटी बसों का संचालन भी पूरी तरह से ठप हो जाएगा। के न चलने के कारण कोई ऑफिस लेट फाफामऊ से इलाहाबाद यूनिवर्सिटी आने वाली नताशा कहती हैं कि सिटी बस के न चलने से एकमात्र टैंपो ऑप्शन था। उसमें भी इतनी भीड़ थी कि करीब डेढ़ घंटे तक वेट करने के बाद टे्रवल करने के लिए उसमें जगह मिल पाई।
बैंक बंद, एटीएम हुए खाली
सिटी में स्थित बैंकों की 200 से ज्यादा ब्रांच में वेडनसडे को ताला नहीं खुला। बैंकों के एटीएम भी जवाब दे गए। बैंकों में वर्किंग न होने के चलते करीब 50 करोड़ से ज्यादा के चेक क्लीयरिंग पर इफेक्ट पड़ा। सिविल लाइंस, जार्जटाउन, मनमोहनपार्क सहित सभी नेशलनलाइज बैंकों के एटीएम भी खाली हो गए। जिस कारण पब्लिक को कैश के लिए परेशान होना पड़ा। दिक्कत यह थी की पब्लिक के कैश लेस होने का असर सीधे मार्केट पर पड़ा। मार्केट में दुकानें तो खुली थीं लेकिन कस्टमर्स गायब थे। नेशनलाइज बैंकों के साथ ही प्राइवेट बैंक के एटीएम ने भी पब्लिक को धोखा दिया।
एलआईसी सहित सभी इंश्योरेंस कंपनीज ने ट्रेड यूनियन द्वारा कॉल की गई स्ट्राइक को पूरा सपोर्ट किया। पॉलिसी की किस्म जमा करने पहुंचे अमितेश को निराश होकर घर लौटना पड़ा। उन्होंने बताया कि वेडनसडे को लास्ट डेट थी, इसके बाद अब उनको लेट फीस भी प्रीमियम के साथ देनी पड़ जाएगी। एलआईसी सहित सभी इंश्योरेंस कंपनी के ऑफिस में वेडनसडे को ताला भी नहीं खोला गया। अपनी डिमांड को लेकर वर्कर्स ने जगह-जगह प्रदर्शन व नारेबाजी की.
Private transporters ने की मनमानी वसूली
इस स्ट्राइक का साइड इफेक्ट सीधे-सीधे पब्लिक की जेब पर पड़ा है। सिटी बस व रोडवेज बस के बंद होने के चलते रिक्शा व टैंपो चालकों ने मनमाने तरीके से पैसे वसूल किए। स्टेशन से सिविल लाइंस तक के 10 से 15 रुपए की वसूली टैंपो चालकों ने की। वहीं रिक्शा चालक भी 30 से 40 रुपए के नीचे कहीं जाने के लिए तैयार ही नहीं हो रहे थे। रोडवेज बसों के न चलने से बनारस, जौनपुर व सुल्तानपुर की तरफ जाने वाली प्राइवेट बसों ने भी पैसेंजर्स से दो से तीन गुना किराया वसूल किया।
-रोडवेज व सिटी बस सेवा पूरी तरह से ठप रही
-सिटी में सभी इंश्योरेंस ऑफिस में ताला लटकता रहा।
-नेशनलाइज्ड बैंकों की 200 से ज्यादा ब्रांच में कामकाज बंद रहा।
-इलाहाबाद यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में ग्रुप थ्री व फोर का वर्कर्स स्ट्राइक में शामिल हुए।
-मेडिकल रिप्रजेंटिव यूनियन भी स्ट्राइक में रही शामिल।
-स्थानीय निकायों ने स्ट्राइक को किया सपोर्ट, लेकिन पब्लिक पर आंशिक असर पड़ा।
-पोस्टल डिपार्टमेंट में पसरा रहा है सन्नाटा।
-एजी ऑफिस व हाईकोर्ट के कर्मचारियों और एडवोकेट्स ने भी किया सपोर्ट.
एक अरब के transaction पर effect
ट्रांसपोर्ट व बैंकों की वेडनसडे को स्ट्राइक के चलते एक अरब से ज्यादा का बिजनेस प्रभावित हुआ है। स्ट्राइक थर्सडे को भी जारी रहेगी। इससे स्पेशली आसपास के जिलों में आने-जाने वालों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ेगा। खास तौर से गोरखपुर और लखनऊ रूट के पैसेंजर्स को क्योंकि इन रूट्स पर लिमिटेड ट्रेनें ही हैं। बैंकों में वर्किंग ठप हो जाने के चलते सबसे ज्यादा असर चेक क्लियरेंस पर पड़ा। लेन-देन आलमोस्ट ठप रहा। कहने को ऑफिसर्स तो थे लेकिन वर्कर्स की गैरमौजूदगी के चलते वे भी ज्यादा कुछ कर पाने में असमर्थ थे। स्ट्राइक के चलते बिजनेस को भी तगड़ा नुकसान हुआ है। स्ट्राइक का असर मार्केट के बिजनेस पर भी सीधे-सीधे पड़ा। मार्केट तो खुली थी लेकिन यहां पर सन्नाटा सा पसरा हुआ था।
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