सरेआम सड़क पर गांजे के कश खींच रहे युवा,दो फूंक में जन्नत की सैर
-सिगरेट को खाली कर उसमें भरा जाता है गांजा, चरस और अफीम
-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के स्टिंग में चौंकाने वाला खुलासा vinay.ksingh@inext.co.in/mukesh.chaturvedi@inext.co.in PRAYAGRAJ: पॉश एरिया की दुकान। कुछ युवक पहले से वहां मौजूद हैं। सिगरेट का तंबाकू निकाला जा रहा है। फिर उसको नए सिरे से भरा जा रहा है। तभी वहां एक कार रुकती है। एलीट क्लास से बिलांग करने वाले युवा कार से उतरकर पहले से मौजूद युवाओं के पास जाते हैं। फिर सभी पहले से भरकर रखी गई सिगरेट से कश लेते हैं। सिटी के डिफरेंट पॉश एरियाज में यह नजारा इन दिनों आम है। जो सिगरेट यह युवा पी रहे हैं, इनमें गांजा, अफीम और चरस भरा गया है। और इन युवाओं का दावा है कि दो फूंक मारते ही जन्नत की सैर हो जाती है। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने स्टिंग में खोली इनकी पोल लगातार बढ़ रही डिमांडसिटी में अफीम, चरस, डोडा के साथ आने वाला गांजा एलीट क्लास लोगों की पसंद बनता जा रहा है। डिमांड के अनुसार यह जिले में महंगे दामों पर सप्लाई भी किया जा रहा है। इसका कश मारने वाले शौकीन युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। डिमांड के चलते इनकी पैकिंग भी स्पेशल तरीके से हो रही है। ताकि इसकी पहचान असानी से न हो सकें। यह खेल कोई नया नहीं है। लेकिन इसको लेकर पुलिस और प्रशासन की खामोशी हैरान करने वाली है।
तीन ऑप्शंस हैं अवेलेबल स्टिंग के दौरान नशेडि़यों से बातचीत में दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर को कई बातें पता चलीं। नशे का सामान तैयार कर रहे युवाओं ने बाकायदा गांजे का क्लासिफिकेशन भी किया। नशे के व्यापारियों के मुताबिक। 50 रुपए इस वैरायटी का गांजा आसानी से अवेलेबल है। यह सबसे लो क्वॉलिटी का माना जाता है। 100 रुपए यह पहाड़ी गांजा होता है। इसका रंग भी थोड़ा अलग होता है। यह मीडियम क्वॉलिटी का माना जाता है। 130 से 150 रुपए यह सबसे हाई क्वॉलिटी का गांजा बताया जाता है। नशा कर रहे युवाओं ने बताया कि इसमें चरस और अफीम भी मिली होती है। इसलिए है गांजे की दीवानगीगांजे का नशा कभी केवल खास तबके लोग ही किया करते थे। लेकिन धीरे-धीरे यह नशा युवाओं के बीच पॉपुलर होता जा रहा है। उसने बताया कि युवाओं में यह नशा काफी पॉपुलर है। इसकी वजह यह है कि इसके लिए बहुत ज्यादा पैसा नहीं खर्च करना पड़ता। सड़क पर सिगरेट में गांजे का रोल तैयार कर रहे युवाओं ने कहा कि फिलहाल यह सबसे सस्ता है। इसके लिए ज्यादा तामझाम भी नहीं करना पड़ता और मजा भी भरपूर मिलता है। इसीलिए युवा इसे तरजीह देते हैं।
हाइलाटर -जिले में पचास-पचास रुपए में बिक रही है गांजे की पुडि़या। -नीवां, ताड़बाग, सुलेम सराय बाजार, सदर बाजार समेत कई ठिकाने। -सस्ते दाम व लत के कारण स्कूल-कॉलेज के बच्चे आ रहे चपेट में। -गांजा शराब की तरह महकता भी नहीं और चाल में भी नहीं आता खास बदलाव। आई ड्रॉप से छुपाते हैं आंखों का रंग गांजा पीने के बाद पकड़ना थोड़ा मुश्किल होता है। चाल-ढाल में ज्यादा बदलाव नहीं आता। केवल आंखों का रंग सुर्ख हो जाता है। इससे बचने के लिए भी नशेडि़यों से तरकीब निकाल रखी है। वह अपने साथ एक खास किस्म का आई ड्रॉप रखते हैं। कितना भी गांजा पिया हो, इस आई ड्रॉप का यूज करते ही कुछ ही मिनटों में नशा करने वाले की आंखें बिल्कुल चमक उठती हैं। ऐसे हुई रिपोर्टर और नशेडि़यों से बात रिपोर्टर: क्या बना रहे है युवक: नशे का माल तैयार हो रहा है। रिपोर्टर: मतलब? युवक: दो फूंक मारते ही जन्नत की सैर। रिपोर्टर: दारू से ज्यादा नशा करता है क्या? युवक: इसके आगे दारू क्या चीज है। लागत कम नशा भरपूर।रिपोर्टर: फिर तो बड़ी मुश्किल से मिलता होगा?
युवक: नहीं यार, आजकल तो हर अच्छी पान की दुकान पर मिल जाता है। पैकिंग होती है अलग रिपोर्टर: कोई पकड़ लिया तो? युवक: कोई नहीं पकड़ सकता। धीरे से छुपा लो। कौन सा बड़ा आइटम है। रिपोर्टर: फिर भी पुडि़या वगैरह देखकर पकड़ तो सकते हैं। युवक: सवाल ही नहीं पैदा होता। इसकी पैकिंग इस तरह से हो रही है कि कोई समझ ही नहीं पाएगा। रिपोर्टर : कब से इसका सेवन कर रहे हो? युवक: बस यूं समझिए कि एक बार लत लग गई तो फिर छूटती नहीं।