Bareilly : बरेली कॉलेज की मैनेजमेंट कमेटी भंग होने के मामले पर कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन और कमेटी के सभी मेंबर्स सकते में हैं. किसी को भी इसकी भनक नहीं है और ना ही डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से इसका कंफर्मेशन लेटर आया है. प्रिंसिपल डॉ. आरपी सिंह कमेटी के सेक्रेट्री देव मूर्ति समेत हर कोई इस मुद्दे पर बात करने से बच रहा है. हर कोई लेटर का ही वेट कर रहा है. वहीं कॉलेज में सभी काम रुटीन वे में ही निपटाए जा रहे हैं. छुट्टियों से लेकर अकाउंट्स व पॉलीसीज के मैटर्स सेक्रेट्री के साइन से ही निपटाए जा रहे हैं. कॉलेज व कमेटी के सभी मेंबर्स में बस इसी बात की चर्चा है कि बिना किसी प्रोसेस के मैनेजमेंट कमेटी कैसे भंग हो सकती है. इसे भंग करने के लिए बोर्ड ऑफ कंट्रोल सामने आता है ना कि डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन.


Experts बता रहे illegalडिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की सोर्सेज की मानें तो कॉलेज की मैनेजमेंट कमेटी को भंग कर दिया गया है। इसके बाद एडीएम एफआर को व्यवस्थापक नियुक्त कर दिया गया है। मैनेजमेंट कमेटी के प्रेसीडेंट डीएम अभिषेक प्रकाश हैं। जबकि सेक्रेट्री देव मूर्ति। सेक्रेट्री समेत कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन और मेंबर्स को भनक नहीं है। एक्सपट्र्स की मानें तो इस तरह से कमेटी भंग करने का प्रोसेस इल्लीगल है। मैनेजमेंट कमेटी कभी अपने आप को भंग नहीं कर सकती, वह भी बिना किसी मीटिंग व इंफॉर्मेशन के। कमेटी तीन साल के लिए होती है। उसके बाद नई कमेटी का गठन होता है। प्रेजेंट कमेटी का कार्यकाल पूरा हुए दो महीने बीत चुके हैं। सार्सेज की मानें तो इसलिए डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन ने इसे भंग कर दिया है। वहीं एक्सपट्र्स का कहना है कि नई कमेटी का गठन करने के बाद ही कमेटी भंग की जा सकती है।


Letter का कर रहे wait

बोर्ड ऑफ कंट्रोल और मैनेजमेंट कमेटी दोनों के सेक्रेट्री देव मूर्ति ऐसे किसी आदेश के पता होने से इंकार कर रहे हैं। वहीं कॉलेज के प्रिंसिपल भी कुछ भी कहने से बच रहे हैं। कमेटी के किसी भी मेंबर को इस बात की खबर नहीं है।What is process

मैनेजमेंट कमेटी का गठन बोर्ड ऑफ कंट्रोल करता है। बोर्ड ऑफ कंट्रोल के प्रेसीडेंट कमिश्नर होते हैं। यहां पर भी सेक्रेट्री देव मूर्ति ही हैं। कमेटी का गठन करने के बाद इसे यूनिवर्सिटी को अप्रूवल के लिए भेजा जाता है। वीसी के अप्रूवल के बाद ही कमेटी पूरी तरह से वैलिड मानी जाती है। डीएम कमेटी का पदेन अध्यक्ष होता है। इसके बाद मेंबर्स डीएम को बाकायदा इलेक्ट करने का ऑफिशियल प्रोसेस निभाते हैं, जो प्रक्रिया गठन की होती है वही इसे भंग करने की भी होती है। बोर्ड ऑफ कंट्रोल ही  भंग करता है, वह भी बाकायदा मीटिंग कर। इसके बाद यूनिवर्सिटी को अप्रूवल के लिए भेजा जाता है।

Posted By: Inextlive