-थाना पुलिस की लापरवाही के चलते एक भी ठग नहीं हुए गिरफ्तार

-साइबर सेल ने रकम वापस कराई लेकिन थानों का काम जीरो

BAREILLY: साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं, तो थाने की दौड़ लगाने की बजाय सीधे साइबर सेल में कम्प्लेंट करते हैं, तो आपकी गाढ़ी कमाई बच सकती है। क्योंकि समय शिकायत मिलने पर बरेली पुलिस शातिर साइबर ठगों के मुंह से रुपए निकाल ला रही है। फिलहाल, इस साल अब तक 13 लाख रुपए ठगी की अलग-अलग शिकायतों में 9 लाख रुपए वापस लाने में सफलता मिली है। हालांकि, इन ठगों को तक पहुंचने में पुलिस अब तक सफल नहीं हो पायी है, जो थाना पुलिस की बड़ी नाकामी की ओर भी इशारा कर रहा है।

इस साल अब तक 70 शिकायतें

पुलिस रिकॉर्ड की मानें तो इस वर्ष साइबर सेल के पास 15 अगस्त कर 70 प्रार्थना पत्र साइबर ठगी के पहुंचे हैं। इन प्रार्थना पत्रों के अनुसार करीब 13 लाख रुपए की ठगी हुई है। साइबर सेल ने कंपनियों को फोन कर 8 लाख 90 हजार रुपए वापस करा दिए हैं। जो कुल रकम का 68 परसेंट है। अपने आप में काफी अधिक रकम है लेकिन सवाल खड़ा होता है कि ठगों को क्यों नहीं गिरफ्तार किया जा रहा है। साइबर सेल सिर्फ समय पर शिकायत पहुंचने पर रुपए ट्रांसफर होने से रोक देती है लेकिन उसके बाद केस थाने पहुंचता है, जिसे डंप कर दिया जाता है।

साइबर सेल करती है जांच

साइबर ठगी के मामलों के लिए बरेली में एसएसपी आवास पर साइबर सेल का ऑफिस ओपन किया गया है। इसमें एक इंस्पेक्टर के अंडर में 3 पुलिसकर्मी तैनात हैं। साइबर ठगी का केस पहुंचने के बाद टीम सबसे पहले पीडि़त के अकाउंट से ट्रांसफर हुए रुपयों को रुकवाने का प्रयास करती है। इसके लिए वह जिस कंपनी से शॉपिंग की गई होती है या फिर रुपए ट्रांजेक्शन किए गए होते हैं, उसे फोन करके ठगी की जानकारी देकर ट्रांसफर रुकवा देती है।

सबसे पहले साइबर सेल में करें शिकायत

-सबसे पहले बैंक के टोल फ्री नंबर पर कॉल कर अकाउंट को ब्लॉक करा दें

-बैंक और थाना के चक्कर लगाने की बजाया एसएसपी आवास में बनी साइबर सेल में जाकर ही शिकायत करें,

-

ठगों को न पकड़ने के बहाने

-साइबर ठगी की एफआईआर संबंधित थाने में दर्ज होती है लेकिन यहीं से केस डंप हो जाता है

-थानों की पुलिस कुछ पर्चे काटकर केस को खत्म कर देती है, क्योंकि उसके पीछे कई वजह बताई जाती हैं

-अधिकांश विवेचक कहते हैं कि जांच में आया कि ठग झारखंड, कर्नाटक व अन्य राज्य के हैं, जहां जाना मुश्किल है

-वह कभी अधिकारियों की परमिशन न मिलने का बहाना बनाते हैं तो कभी नक्सली एरिया में वहां की पुलिस की मदद न होने का बहाना बनाते हैं

-पुलिस यह भी कहती है कि साइबर ठगी में जो नंबर इस्तेमाल किया गया था, वह फेक नंबर था, जिसकी वजह से एड्रेस कंफर्म नहीं हुआ

-इसके अलावा बहाना बनाया जाता है कि जिस अकाउंट में रकम ट्रांसफर की गई, वह भी फेक डॉक्यूमेंट पर ओपन किया गया था।

साइबर ठगी के केस

-17 अगस्त को पीएसी के जवान दुरविजय सिंह को तीन वर्ष तक डेबिट कार्ड से ट्रांजेक्शन फ्री के बहाने ठगों ने 3,20,000 रुपए का चूना लगा दिया।

-2 अप्रैल को सनसिटी विस्तार निवासी वासु गुप्ता के इंडसइंड बैंक के अकाउंट से साइबर ठगों ने 4003 रुपए निकाल लिए।

-25 मार्च को डीडीपुरम निवासी हर्षदीप शर्मा के अकाउंट से साइबर ठगों ने पेटीएम व फ्री चार्ज के जरिए निकाल लिए। मामले की एफआईआर दो महीने बाद की गई।

-कैंट में आर्मी पर्सन की पत्‍‌नी सोनिया बिंदल के पेटीएम अकाउंट में कुछ प्रॉब्लम आयी थी। कस्टमर केयर पर कॉल करने के बाद उनके अकाउंट से 8 हजार रुपए ठग लिए गए।

साइबर ठगी के तरीके

-बैंक अकाउंट में ऑफर के बहाने

-एटीएम ब्लॉक होने के बहाने

-एटीएम को आधार से अपडेट करने के बहाने

-बैंक मैनेजर बनकर अकाउंट अपडेट के बहाने

-ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए

-डेबिट कार्ड की ट्रांजेक्शन लिमिट फ्री के बहाने

इन बातों का रखें ध्यान

-बैंक मैनेजर या अधिकारी के नाम से फोन आए तो बात न करें

-कोई बैंक कभी किसी कस्टमर को फोन नहीं करती है

-एटीएम या बैंक अकाउंट से जुड़ी डिटेल किसी को शेयर न करें

-कभी अपना एटीएम कार्ड किसी को न दें

-ट्रांजेक्शन के बारे में भी किसी को कोई जानकारी न दें

साइबर ठगी के मामलों में साइबर सेल अच्छा काम कर रही है। इस वर्ष 13 लाख रुपए की ठगी में से करीब 9 लाख रुपए अकाउंट में वापस कराए गए हैं। जांच के बाद फाइल थानों पर भेज दी जाती है।

रमेश कुमार भारतीय, एसपी क्राइम

Posted By: Inextlive