डेंगू-मलेरिया से खतरनाक हुआ वायरल फीवर
-बुखार की चपेट में आकर बरेली में डेढ़ दर्जन से ज्यादा की मौतें
-वायरल ने बदला अपना पैटर्न, इम्यूनिटी कम होने से हुआ जानलेवा BAREILLY: डेंगू-मलेरिया की दहशत के बीच बरेली में वायरल फीवर ज्यादा बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है। डेंगू व मलेरिया के कंफर्म मरीजों के मिलने के साथ ही बरेली में जानलेवा बुखार ने डेढ़ दर्जन से ज्यादा जिंदगी खत्म कर दी है। बुखार की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ज्यादातर मरीजों के सैंपल की जांच में डेंगू या मलेरिया होने की पुष्टि नहीं हुई। ऐसे में सामान्य माने जाने वाले वायरल फीवर की इस जानलेवा मिस्ट्री से हेल्थ डिपार्टमेंट भी हलकान है। खुद डीएम पंकज यादव को बुखार से हो रही लगातार मौतों पर सीएमओ ऑफिस से रिपोर्ट तलब करनी पड़ गई है। वायरल ने बदला नेचरजानलेवा बुखार की चपेट में आने वाले मरीजों का बढ़ता आंकड़ा देख एक्सपर्ट भी चकरा गए हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक वायरल फीवर के पैटर्न में बदलाव आया है। बैक्टीरिया व वायरस अपने नेचर को बदलते हैं, इससे इनके हमले के तेवर में भी बड़ा बदलाव आता है। जिससे निपटने के मेडिकल साइंस में फौरी उपाय नहीं होते। जिसके चलते कंडीशन जानलेवा बन रही हैं।
घटती इम्यूनिटी से जान जोखिम मेंवायरल फीवर के हर बार पहले से ज्यादा खतरनाक होने की एक बड़ी वजह एंटीबायोटिक का ज्यादा इस्तेमाल करना भी है। यूं तो बुखार में किसी भी तरह की एंटीबायोटिक नहीं ली जाती। लेकिन अन्य बीमारियों में एंटीबायोटिक का धड़ल्ले से इस्तेमाल करना भी इंसानी जान को खतरे में डाल रहा। एक्सपर्ट ने बताया कि एंटीबायोटिक के ज्यादा इस्तेमाल से बीमारियों से लड़ने के लिए शरीर की इम्यूनिटी लगातार कम हो रही है। बुजुर्ग व बच्चे खासतौर पर कम इम्यूनिटी के चलते बुखार के शिकार हो रहे।
जानलेवा बुखार बना मिस्ट्री जब तक विडॉल, मलेरियल पैरासाइट व एलाइजा जांच में टायफाइड, मलेरिया व डेंगू कंफर्म नहीं हो जाता। तब तक इस सीजन में आमतौर पर हर बुखार वायरल फीवर ही कहा जाता है। बरेली के आंवला में ही पिछले एक महीने में बुखार से 11 मौतें हो चुकी हैं। वहीं शाही में दो मौतों समेत बरेली के अन्य हिस्से में कुल मिलाकर 19 से ज्यादा जिंदगी खत्म हो गई हैं। इन मौतों के पीछे हेल्थ डिपार्टमेंट ने डेंगू या मलेरिया की वजह को नकारा है। लेकिन बुखार से हो रही इन मौतों के पीछे की मिस्ट्री को भी हेल्थ डिपार्टमेंट के जिम्मेदार बताने में नाकाम रहे हैं।वायरल फीवर के लक्षण
-आंखें लाल होना
-खांसी और जुकाम होना -जोड़ों में दर्द और सूजन होना -थकान और गले में दर्द होना -नाक बहना होना -बदन दर्द होना -भूख न लगना -लेटने के बाद उठने में कमजोरी महसूस करना -सिरदर्द होना वायरल फीवर से बचाव -मौसम के हिसाब से कपड़े पहनें - मौसम के हिसाब से आहार लें -मौसमी फल सब्जियां जरूर खाएं -सफाई का पूरा ध्यान रखें -बासी खाना एवं फल न खाएं - फ्रीज का पानी न पीएं सीजन वायरल फीवर का है। इस बार मरीजों की तादाद भी ज्यादा है। लापरवाही बरतने पर वायरल फीवर भी जानलेवा साबित हो जाता है। इस मौसम में इम्यूनिटी कम होने से भी बुखार के केसेज बढ़े हैं। - डॉ। एम अग्रवाल, फिजिशियन वायरल फीवर ने अपना पैटर्न बदला है। बैक्टीरिया व वायरस के अपना नेचर बदलने से ऐसा हो रहा है। एंटीबायोटिक के ज्यादा यूज से कम होती इम्यूनिटी भी बुखार से मौतों की बड़ी वजह है। - डॉ। सुदीप सरन, फिजिशियन सिपाही में डेंगू कंफर्म, बरेली में भर्ती क्चन्क्त्रश्वढ्ढरुरुङ्घ:डेंगू की मार से हलकान लखनऊ में बरेली निवासी एक सिपाही को भी इस बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया है। एयरफोर्स गेट के नजदीक नगरिया परीक्षित कालोनी निवासी मौलाना शहामत रजा खां के बेटे शनीफ रजा खां उम्र 21 साल पुलिस विभाग में सिपाही हैं। शनीफ की तैनाती लखनऊ कोतवाली में है। 4 दिन पहले बुखार आने पर उनकी हालत बिगड़ गई। सूचना पर लखनऊ पहुंचे परिजनों ने सिपाही को एक निजी अस्पताल में एडमिट कराया। एलाइजा जांच में सिपाही के डेंगू से पीडि़त होने की पुष्टि हुई।