नुरुल की मेहनत को मुफिलिसी ने भी ठोंका सलाम
- बरेली के नुरुल हसन ने यूपीएससी में अर्जित की 625 रैंक
- आईपीएस के लिए हुए सिलेक्ट BAREILLY: एक समय था जब बरेली के रहने वाले नुरुल हसन न्यूज पेपर पढ़ने के लिए ढाबे का चक्कर काटते थे। गरीबी की वजह से उनके घर पर न्यूज पेपर नहीं आता था, लेकिन नुरुल को पढ़ने-लिखने का जुनून था। उन्हें ज्यादा से ज्यादा नॉलेज गेन करने का शौक था। आज वही नुरुल हसन न्यूज पेपर्स की सुर्खियां बटोर रहे हैं। उन्होंने यूपीएससी में ऑल इंडिया 625 रैंक हासिल की है। वे ओबीसी कैटेगरी की नॉन क्रिमीलेयर में आते हैं। उन्होंने आईपीएस के लिए क्वालीफाई कर लिया है। गरीबी में बीता बचपननुरुल का बचपन बेहद ही गरीबी में बीता, लेकिन उनकी मेहनत कभी संसाधनों का मोहताज नहीं रही। मूलरूप से पीलीभीत के रहने वाले नुरुल के पिता शमशुल हसन पीलीभीत कचेहरी में चुतर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। वे तीन भाई हैं। उनके पिता की इतनी आमदनी भी नहीं थी कि वे अपने तीनों बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में अच्छी शिक्षा दिला सकें। नुरुल ने अपनी 8वीं तक की पढ़ाई ब्लॉक अमरिया के गांव हररायपुर स्थित के परिषद विद्यालय से की। इसके बाद सरकारी स्कूल से हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे अपने परिवार के साथ बरेली आ गए। उनके पिता का ट्रांसफर बरेली की कचेहरी में हो गया। नुरुल ने इंटर एमबी इंटर कॉलेज से किया। संसाधनों की भारी कमी के बावजूद वे थ्रू आउट टॉपर रहे।
मेहनत में नहीं थी कमी नुरुल ने जो मुकाम आज हसिल किया है, उस सफलता का एक ही मंत्र है कड़ी मेहनत। इंटर के बाद उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बीटेक किया। उसके बाद एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करने के बाद भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर के नरोरा स्थित डिपार्टमेंट ऑफ अटॉमिक इनर्जी में बतौर साइंटिस्ट नियुक्त हुए। उन्होंने बड़े ही संघर्षो के साथ यह मुकाम हासिल किया। नुरुल बताते हैं कि जब वे बरेली आए थे तो एजाज नगर गोटिया के मलिन बस्ती में एक छोटे से किराए के कमरे में परिवार के साथ रहते थे। उन्हें सिर्फ पढ़ाई का ही जुनून सवार था। दिन रात केवल पढ़ाई ही करते थे। यहां तक कि उनके मकान मालिक ने केवल इसलिए रात में पढ़ाई करने से टोकने लगे कि बिजली का बिल ज्यादा आएगा, लेकिन नुरुल के लक्ष्य के आगे कोई भी संसाधन आड़े नहीं आया। वे लैंप और मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ाई करते नहीं थकते थे। परिवार का सहारा बनेनुरुल न केवल अपना ही लक्ष्य साध रखा था बल्कि अपने परिवार का सहारा भी बनना चाहते थे। बीटेक करने के बाद उन्होंने अपने दोनों भाइयों की पढ़ाई का जिम्मा भी अपने हाथ ले लिया। उनके एक भाई जहीरुल हसन ने अभी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है। वहीं दूसरे भाई वसी हसन ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब कर रहे हैं। आज नुरुल के इस कामयाबी पर न केवल पूरे परिवार में खुशी की लहर है बल्कि उनके माता-पिता का सीना भी फख्र से चौड़ा हो गया है।
यूथ को करते हैं इंस्पायरनुरुल किसी भी ऐसे यूथ को इंस्पायर करते हैं जो संसाधनों की कमी के आगे घुटने टेक देते हैं। आई नेक्स्ट की विशेष बातचीत में नुरुल ने बताया कि यदि आप में कुछ कर गुजरने का जुनून है, कड़ी मेहनत करने का माद्दा रखते हैं तो सफलता आपके कदम चूमती है। चाहे वह किसी भी धर्म का भी क्यों न हो। मेहनत के आगे भेदभाव नहीं टिकता। नूरूल ने बताया कि उन्होंने सेकेंड अटेंप्ट में यह कामयाबी हासिल की है। इसके लिए उन्होंने कोई कोचिंग नहीं की। नरोरा स्थित साइंटिस्ट नियुक्त होने के बाद से ही उन्होंने सेल्फ स्टडी शुरू कर दी थी। अपनी रेगुलर पढ़ाई और सतत प्रयास की वजह से ही वे कामयाब हुए हैं।