-वोटिंग करने में यूथ्स से भी आगे निकलें सीनियर सिटिजन

-बीमारी और कमजोरियों के बावजूद वोटिंग करने पहुंचे

BAREILLY: पैदल चाल में बेशक वह राह में कईयों से पिछड़ जाएं, लेकिन देश के लिए अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में उनकी तेजी यूथ को भी शर्माने पर मजबूर करती है। हावी होती उम्र और बीमारियों से जूझ रहे सीनियर सिटिजंस के साथ ही फिजिकली डिसेबल्ड का जज्बा और हौसला इस लोस चुनाव में औरों के लिए एक मिसाल बना। अपनी मुश्किलों और कमजोरियों की चुनौती को लांघकर इन्होंने पोलिंग बूथ तक पहुंच एक ऐसी नजीर पेश की जिसका यह शहर हमेशा गवाह रहेगा।

टूटी रीढ़ भी न तोड़ सकी जज्बा

आर्यपुत्री इंटर कॉलेज में वोट डालने के बाद पोलिंग बूथ से बाहर निकलती रामा देवी के चेहरे पर शिकन और सुकून दोनों के भाव थे। म्8 साल की रामा देवी की रीढ़ की हड्डी में कई जगह से फ्रैक्चर्स हैं। जरा सा चलने फिरने में भी तकलीफ होती है। बावजूद इसके अपने बेटे को सहारा बना वोट डालने को वह सुबह ही घर से निकल पड़ी। वजह पूछी तो बोली देश के भविष्य का सवाल है। कैसे न आती। चेहरे पर उभर रहे रीढ़ के दर्द को दबाते हुए आगे बोली कि यह वोट तो सभी को जरूर करना चाहिए।

नजर धुंधली पर साफ नजरिया

उंगली पर काली स्याही लगवा पहली बार वोटर्स बने इठलाते युवाओं की कतार के पीछे ही ओम प्रकाश भी विष्णु बाल सदन पोलिंग सेंटर से बाहर निकलते दिखे। वोट डालने के सवाल पर 8ख् साल के ओमप्रकाश ने हंसते हुए उंगली पर लगी स्याही दिखा दी। बोले आंखों के ऑपरेशन के बाद से ही नजरें धुंधली हो गई हैं और चलने के लिए छड़ी की मदद लेनी पड़ती है। इसलिए सुबह 7 बजे ही वोट देने के लिए अकेला ही निकल पड़ा।

जख्मों के बावजूद वोट को आए

उम्र और खराब सेहत की दीवार 79 साल के राम दयाल जैन को भी पोलिंग बूथ तक पहुंचने से रोक न सकी। अपने बेटे और पोते का सहारा ले राम दयाल जैन ने आहिस्ता आहिस्ता सड़क से पोलिंग बूथ तक का सफर तय किया। जिससे उनके पसंदीदा कैंडीडेट की लोकसभा पहुंचने की राह आसान हो सके। क्क् मार्च को उनके पेट का मेजर ऑपरेशन किया गया था। जख्म पूरी तरह से भरे नहीं थे। फिर भी वोट देने की ख्वाहिश क्यों। इस सवाल पर मुस्कुराते हुए कहा वोट के लिए तो सब कुछ किया जाना चाहिए। वरना अपना कैंडीडेट कैसे चुनेंगे जो देश के लिए कुछ करेगा और हमारी दिक्कतें सरकार से कहेगा।

तरस जाता था तो वोट को

कैंट के आरएन टैगोर स्कूल में जुटी वोटर्स की भीड़ के बीच ही लंबी कतार में खड़े ओपी जायसवाल अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। वोट डालकर बाहर निकले तो वाइफ विजय लक्ष्मी के साथ अपने वोट देने की वजह बताई। बोले पहले इलेक्शन में ड्यूटी लगा दी जाती थी तो कभी भी वोट नहीं दे पाता था। इसलिए रिटायरमेंट के बाद वाइफ के साथ हर चुनाव में वोट डाला। ऑर्थराइटिस का पेशेंट होने से चलने फिरने और खड़े रहने में दिक्कत होने के बावजूद ओपी जायसवाल घर पर आराम करने के बजाए वोट देने को अपना फर्ज समझते हैं।

Posted By: Inextlive