रकम ट्रांसफर हो जाती तो लटक जाता ड्रीम प्रोजेक्ट
-पीएफ स्टाफ बोला गलत हुई एफआईआर, एसएसपी से मिले, एसएसपी बोले विधिक राय ली जाएगी
-डीएम ने कहा कि रकम ट्रांसफर होने पर फैक्ट्री मालिकों का हो जाता मालिकाना हकBAREILLY: स्पेशल लैंड एक्यूजिशन ऑफिसर (एसएलओ) के अकाउंट से गलत तरीके से 1 करोड़ 32 लाख रुपए निकालने के मामले में ट्यूजडे पीएफ डिपार्टमेंट के अधिकारी डीएम-एसएसपी से मिले। पीएफ अधिकारियों का कहना है कि रिकवरी ऑफिसर ने जो आदेश दिया है वह नियमों के तहत किया गया है और उनके खिलाफ गलत एफआईआर दर्ज कराई गई है। डीएम का कहना है कि यदि पीएफ की रकम ट्रांसफर हो जाती तो मालिकाना हक फैक्ट्री मालिकों का हो जाता और ड्रीम प्रोजेक्ट लटक जाता। एसएसपी ने मामले में जांच के आधार पर कार्रवाई की बात कही है। मामले में विधिक राय भी ली जाएगी। वहीं रबड़ फैक्ट्री के एस एंड सी कर्मचारी यूनियन ने कलक्ट्रेट में पीएफ का पैसा दिलाने की मांग करते हुए ज्ञापन दिया है।
गलत तरीके से रुपए निकालने की एफआईआरबता दें कि 24 फरवरी को एसएलओ ने कोतवाली में पीएफ के रिकवरी अधिकारी और कोटेक महिंद्रा के मैनेजर के खिलाफ गलत तरीके से अकाउंट से रुपए निकालने की एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस मामले में क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त मोहम्मद शारिक ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को दिए गए प्रार्थना पत्र में लिखा है कि मैसर्स सिंथेटिक्स एंड केमिकल्स लिमिटेड फतेहगंज पश्चिमी ने 1998-99 में उत्पादन करना बंद कर दिया था और भविष्य निधि के संविधिक देयों के फलस्वरूप कर्मचारियों की अदत्त धनराशि रुपया 1.32 करोड़ रुपए से अधिक बकाया है। कर्मचारियों के हित में ही देनदारों के बैंकर कोटक महिंद्रा बैंक, सिविल लाइंस में जमा धनराशि से वसूली की कार्रवाई की गई है। 22 फरवरी को 1,31,40,454 रुपए का डिमांड ड्राफ्ट बनाकर कर्मचारियों के खातों में ट्रांसफर कर दी गई। इसमें किसी प्रकार का कोई गबन नहीं किया गया है।
3 लाख 20 हजार जमीन की कीमतवहीं डीएम का कहना है कि रबड़ फैक्ट्री की जमीन वर्ष 1960 में रबड़ फैक्ट्री के मालिकों को एग्रीमेंट के तहत 3 लाख 20 हजार रुपए में दी गई थी। एग्रीमेंट के तहत फैक्ट्री बंद होने या फिर औद्योगिक उत्पादन बंद होने से रकम वापस कर जमीन राज्य सरकार की हो जाएगी। वर्ष 1982 में 100 एकड़ जमीन बीएसएफ को 11,300 रुपए में दी गई थी। वर्ष 2008 में एनएचआईए ने 22 एकड़ जमीन ली। इसका एनएचआईए ने मुआवजा एसएलओ के अकाउंट में जमा करा दिया। जमीन की कीमत के हिसाब से रकम अधिक आ गई। या तो यह रुपए वापस किया जा सकता है या फिर इसे सुरक्षित रखा जा सकता है।
ऐसे तो ड्रीम प्रोजेक्ट लटक जाता डीएम का कहना है कि यदि यह पैसा ट्रांसफर हो जाता तो पूरी रबड़ फैक्ट्री की जमीन पर मालिकाना हक फैक्ट्री मालिकों का हो जाता। इसकी वजह से 3 लाख 20 हजार रुपए की कीमत की जमीन 12 अरब में सरकार को खरीदनी पड़ती। जिससे रबड़ फैक्ट्री की जमीन पर मेगा प्रोजेक्ट भी लटक जाता। यहीं नहीं एसएलओ को सस्पेंड भी होना पड़ता। एफआईआर पीएफ के रिकवरी ऑफिसर के आदेश पर नहीं हुई है, बल्कि बिना अनुमति एसएलओ के अकाउंट से रुपए निकालने पर कराई गई है। कर्मचारियों के हितों का प्रशासन भी ध्यान रख रहा है। उनकी बात सरकार के सामने रखी जाएगी।