जापान के वनस्पतिशास्त्री प्रो. अकीरा मियावाकी ने पिछली सदी के नौवें दशक में कम से कम समय और कम जगह में भी वन उगाने 'मियावाकी पद्धति विकसित की थी.


गोरखपुर (ब्यूरो)।दुनियाभर में तेजी से प्रचलित इस जापानी प्रोसेज के जरिए गोरखपुर नगर निगम, डीआईजी परिसर में 24.58 लाख रुपए की लागत से 0.5 हेक्टेयर में मियावाकी वन लगाएगा। इस वन में विभिन्न प्रजाति के 17,500 पौधे लगाए जाएंगे। जल्द ही इसके लिए कार्यदायी फर्म तय कर दी जाएगी। निगम यह कदम राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के 'डस्ट मैनेजमेंटÓ की कोशिशों के मद्देनजर उठाएगा।जल्द ही निकलेगा टेंडर


हेरिटज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ। अनिता अग्रवाल ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के खतरे और बढ़ते शहरीकरण के कारण परती जमीन के घटते क्षेत्रफल को देखते हुए ऐसे वनों का विकास स्वागत योग्य कदम है। यह हरित आवरण बढ़ाने के साथ धरती को बचाने के निमित्त आमजन की सहभागिता को भी सुनिश्चित करता है। विकास की दौड़ में जब गोरखपुर शहर की चौड़ी होती सड़कें वर्षों पुराने घने कनोपी वाले पेड़ों को लील रही हैं। ऐसे में शहर के मध्य मियावाकी प्रोसेज से वन लगाने की पहल स्वागत योग्य है। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोंगरवाल का कहना है कि टेंडर की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। जल्द ही पौधरोपण शुरू किया जाएगा।तीन साल में विकसित हो जाते हैं मियावाकी वन

प्रभागीय वन अधिकारी विकास कुमार ने बताया कि मियावाकी वनों में पौधों की वृद्धि 10 गुना तेजी से होती है। इस प्रोसेज से एक जंगल महज दो से तीन साल में विकसित हो जाता है। पारंपरिक तरीके से वन विकसित करने में दो से तीन दशक लग जाते हैं। आमतौर पर जो पीढ़ी जंगल बसाने का प्रयत्न करती है, वह भावी पीढ़ी के लाभ को ध्यान में रख ऐसा करती है, लेकिन मियावाकी वन को लोग कुछ ही वर्षों में परिपक्व होता देख सकते हैं। जलवायु परिवर्तन की चुनौती के विरुद्ध ऐसे वन महत्वपूर्णपर्यावरण कार्यकर्ता मनीष चौबे बताते हैं कि इस पद्धति में प्रति वर्गमीटर 2 से 4 पौधे लग जाते हैं। अधिक तेजी से बढऩे और सघन रूप से विकसित होने के कारण पारंपरिक वनों की तुलना में मियावाकी वन 40 गुना अधिक कार्बन अवशोषित करते हैं। जीव-जंतुओं की विविध प्रजातियों को आश्रय देने के साथ जलवायु परिवर्तन की चुनौती के विरुद्ध महत्वपूर्ण साबित होते हैं। वन ग्रीनहाउस गैसों के खिलाफ प्रकृति के सबसे बड़े योद्धा हैं। पेड़-पौधों में कार्बन को अवशोषित के साथ ही वर्षा कराने, तापमान को नियंत्रित रखने, भू-जल पुनर्भरण एवं जैव-विविधता के संरक्षण में भूमिका निभाते हैं।दो और स्थानों पर लगेंगे मियावाकी पद्यति से वन

प्रभागीय वन अधिकारी विकास कुमार ने बताया कि आईजीएल गीडा परिसर और महेसरा के पास नगर निगम ने मियाबाकी वन पिछले सीजन में लगाया था। इस बार हिन्दुस्तान उर्वरक रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) और महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर में मियावाकी प्रोसे से पौधरोपण की योजना बनाई गई है।

Posted By: Inextlive