85 एकड़ में भी बन सकता है एम्स
- देश के सभी एम्स करीब 85 एकड़ में बने
- फ्यूचर प्लानिंग की वजह से 200 एकड़ तय किया गया मानक - एक्सटेंशन के दौरान कैंपस में न होकर दूर बनानी पड़ जाती है बिल्डिंगGORAKHPUR: एम्स, शहर के लिए एक ऐसा मुद्दा, जिस पर काफी अरसे से खींच-तान मची हुई है। तरह-तरह की बयानबाजी के बीच गोरखपुर में एम्स बनाए जाने की कवायद शुरू हो गई। 22 जुलाई को पीएम मोदी इसका शिलान्यास करने के लिए गोरखपुर पहुंचेंगे। तमाम तरह की रुकावटों के बीच अब गन्ना शोध संस्थान की सवा सौ एकड़ जमीन पर राजनीति शुरू हो गई है। कोई यह कहने में लगा है कि जब डिमांड 200 एकड़ की थी, तो सवा सौ एकड़ में एम्स भला कैसे बन सकता है? इसके लिए पीएमओ ने मंजूरी कैसे दे दी? प्रशासन से जुड़े एक अधिकारी की मानें तो सिर्फ 85 एकड़ में ही एम्स की स्थापना हो सकती है।
फ्यूचर के लिए तय हुआ मानकनाम न छापने की शर्त में उन्होंने बताया कि देश में जितने भी एम्स बने हैं, वह 85 या उससे भी कम में एरिया में बनाए गए हैं। एम्स का मानक 200 एकड़ बाद में तय किया गया है। वह भी इसलिए कि पहले जहां भी एम्स बने हैं, वह सभी कंजेस्टेड एरियाज में हैं। जब वहां नए विभाग या नई बिल्डिंग बनाने की बात आई, तो वहां एक्सटेंशन में दिक्कत आने लगी। बाद में एम्स के उस नए विभाग का निर्माण हुआ, तो वह मौजूद एम्स से काफी दूर था, इसकी वजह से फ्यूचर के 100 साल को ध्यान में रखते हुए मानक तय किया गया। चाहे जितना भी एक्सटेंशन करना हो, उसे आसानी से किया जा सके और वहां जमीन के लिए कोई जद्दोजहद न करनी पड़े।
काफी है यहां की जमीन गोरखपुर में गन्ना शोध संस्थान की जो जमीन हैं, वह एम्स के लिए पर्याप्त है। यहां एम्स का निर्माण आसानी से कराया जा सकता है। इसमें अगले 20-25 सालों तक भी कोई दिक्कत नहीं आएगी और कुछ एक्सटेंशन भी किया जाएगा, तो इसके लिए भी यह जमीन पर्याप्त है। हां, कई दशकों बाद जब व्यवस्था और भी ज्यादा हाईटेक हो जाएगी, तो शायद एम्स के लिए जमीन की जरूरत पड़े।