-खेल उजागर होने पर बिल से 65 लाख की पेनाल्टी कटी

-कंप्लेंट मिलने पर सीई ने जोन के वितरण खंडों से मंगाई गोपनीय रिपोर्ट

GORAKHPUR: बिजली निगम की बिलिंग एजेंसी शहरी एरिया के 55 हजार स्मार्ट मीटर कनेक्शनों पर बिजली बिल बनाने का दावा करना महंगा पड़ गया। शिकायत मिलने पर सीई ने जोन के वितरण खंडों से गोपनीय रिपोर्ट मंगाई। रिपोर्ट में मीटर में रीडिंग स्टोर, गलत रीडिंग पर बिल बनाने का मामला सामने आया। सीई ने कमेटी गठित कर एजेंसी के भुगतान बिल का स्थानीय स्तर से सत्यापन करने की व्यवस्था बनाई। कमेटी ने दो बार में एजेंसी के भुगतान बिल से 65 लाख की कटौती कर सत्यापित बिल पूवरंचल एमडी को भेजा है। क्योंकि बिलिंग एजेंसी के बिल का भुगतान एमडी कार्यालय से ही होता है।

गलत रीडिंग पर बिल बनाने का उजागर हुआ मामला

दरअसल पूवरंचल विद्युत वितरण निगम गोरखपुर जोन के विभिन्न वितरण खंडों के 20 लाख बिजली कंज्यूमर्स को निर्धारित समय पर मीटर रीडिंग के आधार पर बिल बनाने की जिम्मेदारी बंगलूरु की कंपनी बीसीआईटीएस को कॉरपोरेशन ने ढाई साल पहले दी। बिलिंग एजेंसी शुरुआत में बेहतर काम की, लेकिन जैसे-जैसे समय बीता एजेंसी के मीटर रीडरों की निगम विरोधी कार्यप्रणाली उजागर होने लगी। सभी वितरण खंडों से गलत रीडिंग पर बिल बनने की शिकायतें आने लगीं। इसके साथ ही बिजली मीटरों में रीडिंग छोड़कर बिल बनाने की भी शिकायतों आने लगी। खंडों के अभियंता भी लगातार एजेंसी के जिम्मेदारों को पत्र लिखकर चेतावनी देते रहे। नगरीय वितरण मंडल के वितरण खंडों में तैनात मीटर रीडरों की निगम विरोधी कार्यप्रणाली उजागर होने पर दर्जनभर से अधिक मीटर रीडरों को एजेंसी ने बाहर का रास्ता दिखाया। सालभर पहले ऊर्जा निगम के तत्कालीन चेयरमैन ने बिलिंग एजेंसी की निगम विरोधी कार्यप्रणाली की रिपोर्ट अफसरों से मांगी। तत्कालीन सीई ने खण्डों से सूचना मंगाकर 550 पेज की रिपोर्ट भेजी। इसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई।

वितरण खंडो ने खोली बिलिंग एजेंसी की पोल

नगरीय वितरण मंडल के चारों वितरण खंडों में सालभर पहले 55 हजार कंज्यूमर्स के कनेक्शन पर स्मार्ट मीटर लगे। बिजली बिल शक्तिभवन स्थित सेंट्रल सर्वर से एसएमएस के माध्यम से इन कंज्यूमर्स को मिलने लगा। बिलिंग एजेंसी भी अपने भुगतान बिल में 55 हजार स्मार्ट मीटर कंज्यूमर्सं को बिजली बिल का प्रिंट आउट देने का दावा करने लगी। चुंकि एजेंसी के बिल सत्यापन की स्थानीय स्तर पर व्यवस्था नहीं होने पर सीई दफ्तर बिल को अग्रसारित कर एमडी कार्यालय भेजता रहा। अप्रैल-21 में नवागत मुख्य अभियंता के आने पर कंज्यूमर्स ने एजेंसी के निगम विरोधी कार्यप्रणाली से अवगत कराया। इस पर मुख्य अभियंता ने वितरण खंडो से गोपनीय रिपोर्ट मंगाई। इस रिपोर्ट में कई शिकायते सामने आई। इस पर सीई ने एजेंसी के बिल सत्यापन की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर करने को दो अभियंताओं की कमेटी बनाई। उसी दौरान एजेंसी ने तीन माह का 5.55 करोड़ का भुगतान बिल दिया। कमेटी ने इस बिल से 45 लाख की पेनाल्टी काटकर बिल सत्यापित कर उपर भेज दिया। एजेंसी ने जून में मार्च अप्रैल व मई का बिल सत्यापित करने को दिया। नगरीय वितरण खंड प्रथम व द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ की रिपोर्ट के आधार पर कमेटी ने 20 लाख की पेनाल्टी काटकर बिल सत्यापित कर एमडी कार्यालय भेजा है।

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गोरखपुर जोन में कंज्यूमर्स की संख्या--20 लाख

शहर में कंज्यूमर्स की संख्या--2 लाख

शहर में लगाए गए हैं स्मार्ट मीटर--55 हजार

वर्जन

बिलिंग एजेंसी के कार्यो के बिल सत्यापन के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है। शहरी क्षेत्र में 55 हजार स्मार्ट मीटर कनेक्शनों पर बिल बनाने का पैसा चार्ज कर रही थी। अन्य कई तरह की शिकायतें भी अभियंताओं ने दर्ज कराई। अब एजेंसी के बिल में पेनाल्टी की कटौती शुरु हो गई है। हमारे कार्यकाल में कोई भी एजेंसी गलत पैसे का भुगतान नहीं ले सकती है।

-ई। राजेन्द्र प्रसाद, चीफ इंजीनियर गोरखपुर जोन

Posted By: Inextlive