मौसम की मार, डायरिया के बढ़ रहे शिकार
-मौसम की उठापटक से बच्चों में 40 परसेंट तक बढ़े डायरिया के केसेज
-इंफेक्टेड फूड और पानी बन रहा है सबसे बड़ी वजह -खुद न बने डॉक्टर, एंटी बायोटिक न देकर ओआरएस और जिंक का करें इस्तेमाल GORAKHPUR: मौसम की मार ने जहां एक तरफ लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। वहीं, दूसरी ओर बैक्टेरिया और वायरस के लिए फेवरेबल कंडीशन पैदा कर दी है। नतीजा, सरकारी के साथ ही प्राइवेट हॉस्पिटल्स में भी डायरिया के मरीजों का हुजूम नजर आने लगा है। इसकी जद में सबसे ज्यादा 'नन्हीं जान' आ रहे हैं, जिन्हें वायरल ग्रोथ की वजह से लूज मोशंस और उल्टी की शिकायत हो गई है। हालत यह है कि इस वक्त डायरिया से पीडि़त लोगों की तादाद आम दिनों के मुकाबले तीन गुनी हो चुकी है और यह आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। 60 फीसदी डायरिया के केसअब तक डॉक्टर्स के पास जो केसेज आ रहे थे, उनमें 20 फीसदी डायरिया के केस शामिल थे। मगर गर्मी के साथ ही इन दिनों डायरिया के मरीजों की बाढ़ सी आ गई है। सिर्फ जिला अस्पताल की बात करें तो यहां आने वाले मरीजों में 60 से 70 फीसदी डायरिया के केस शामिल हैं। इनमें से भी सबसे ज्यादा ब्लडेड डायरिया के केस हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं। डॉक्टर्स की मानें तो जिस तरह से इन दिनों टेंप्रेचर है, ऐसी कंडीशन में यह केसेज और भी बढ़ सकते हैं।
13 दिन में आए 112 मरीज शहर में तो डायरिया का प्रकोप काफी ज्यादा फैला है। सिर्फ नगर निगम के संक्रामक रोग हॉस्पिटल के आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां महज 13 दिनों में 112 मरीज इलाज के लिए पहुंचे हैं। इसमें हर उम्र के लोग शामिल हैं। इसमें सबसे ज्यादा 10 मरीज 12 जून को इलाज कराने के लिए आए हैं, जबकि 9 जून को 13, और 4 जून को 12 लोगों को इस बीमारी ने चपेट में लिया था, जिसके बाद वह इलाज के लिए संक्रामक अस्पताल पहुंचे हैं। हाईजीन मेनटेन न करने से प्रॉब्लमइन दिनों जो भी डायरिया केस डायग्नोज हुए हैं, उनमें ब्लडेड डायरिया के साथ ही वायरल डायरिया के केस भी शामिल हैं। इसकी अहम वजह हाईजीन की कमी है। आम तौर पर लोग हाथ धोने में लापरवाही करते हैं और सिर्फ कोरम पूरा करने के लिए हाथ को भिगा कर निकल जाते हैं। जबकि, ऐसी कंडीशन में वायरस और बैक्टेरिया हाथों में ही लगा रह जाता है। इसके बाद कुछ भी इस हाथ से खाने पर उस खाने के साथ वायरस और बैक्टेरिया भी आंतों में पहुंच जाते हैं और लोग डायरिया का शिकार हो जाते हैं। इसके साथ ही सफाई व्यवस्था और पीने का साफ पानी मुहैया न होना भी इसकी अहम वजह है।
टेंप्रेचर इनक्रीज से हो रही ग्रोथ वायरस के लिए जितना ज्यादा टेंप्रेचर होगा, उनकी ग्रोथ उसी तेजी के साथ होगी। गर्मी के मौसम में वायरस के लिए सबसे फेवरेबल मौसम होता है। अगर कोई खाना कुछ देर के लिए रख दिया जाएगा, तो उसमें कई बैक्टेरियल और वायरल ग्रोथ हो जाएगी। इसकी जवह से खाना इनफेक्टेड हो जाएगा और लोगों को डायरिया की शिकायत होगी। कुछ को फूड एलर्जी भी इन दिनों बढ़ रहे डायरिया के केसेज में कुछ केस ऐसे भी सामने आएं हैं, जिनमें कुछ स्पेशल फूड आइटम्स खाने से डायरिया हुआ है। यह असल में कुछ और नहीं बल्कि फूड एलर्जी है। सीनियर पिडियाट्रिशियन डॉ। अरुण गर्ग की मानें तो कुछ लोगों को इंडिवुअली कुछ खाने पर डायरिया की शिकायत हो जाती है। इसमें ज्यादातर प्रोटीन कंटेनिंग फूड के साथ ही सी फूड शामिल हैं। ऐसी कंडीशन में उन्हें वह फूड न ही दिया जाए, तो बेहतर होगा। सिर्फ डिहाइड्रेशन से बचाना ही सॉल्युशनडॉ। अरुण गर्ग की मानें तो डायरिया से बचने का रास्ता काफी आसान है। अगर पेशेंट को डिहाइड्रेशन से बचाया जाए, तो वह ठीक हो जाएगा। इसके लिए उसे जिंक के साथ ही ओआरएस का घोल देते रहे। ह्यूमन बॉडी में एंटीबॉडीज होती हैं, जो इन वायरस से लड़ने के लिए काफी होती है। हां, थोड़ा वक्त जरूर लग सकता है। अगर किसी को डायरिया हुआ है, तो वह बजाए एंटीबायोटिक खाने के सिर्फ जिंक और ओआरएस ले, तो वह खुद ब खुद ठीक हो जाएगा।
बच्चों के लिए मां का दूध बेस्ट छोटे बच्चों की बात की जाए, तो मां के दूध में बैक्टेरिया से लडने के लिए एंटीबॉडीज मौजूद रहते हैं, जो डायरिया को आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं। इसलिए मदर फीडिंग ही उनके लिए बेस्ट ऑप्शन हैं। डॉ। गर्ग ने बताया कि कुछ ऐसे केसेज सामने आए हैं, जिसमें कमजोर और समय से पहले पैदा हुए बच्चों की आंत सड़ गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह बाहर या अदर सोर्स से दूध पिलाना है। यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। यह है वजह - - हाईजीन मेनटेन न करना - बैक्टेरिया - वायरस - फूड एलर्जी - गंदा या इंफेक्टेड पानी - बच्चों को बॉटल फीडिंग- इंफेक्शन
ऐसे करें बचाव - - हाईजीन मेनटेन रखें। - खुले खाने का इस्तेमाल न करें। - खाना ज्यादा देर तक रखकर न खाएं। - पानी साफ और प्योरिफाई करने के बाद ही पीएं। - डायरिया होने पर ओआरएस का घोल और जिंक लेते रहें। - खुद से एंटीबायोटिक न लें। - पानी और इलेक्ट्रोलाइट की कमी न होने दें। 13 दिनों में यूं आए मरीज दिन मरीज 1 जून 7 2 जून 8 3 जून 5 4 जून 12 5 जून 10 6 जून 10 7 जून 7 8 जून 11 9 जून 13 10 जून 7 11 जून 4 12 जून 14 13 जून 4 वर्जन डायरिया खुद ही दो-तीन दिन में ठीक हो जाता है। यह अनहाईजेनिक फूड और पॉल्युटेड वॉटर की वजह से होता है। अगर कोई इस बीमारी से ग्रसित हो जाए, तो वह ओआरएस का घोल और जिंक की गोली ले। फौरन ही एंटीबायोटिक का इस्तेमाल न शुरू कर दें। -डॉ। अरुण गर्ग, सीनियर पिडियाट्रिक सर्जन