जिला अस्पताल और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में डायलिसिस के लिए पेशेंट्स को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. दोनों जगह 7 से 15 दिनों की वेटिंग है. डेली 15 से 20 पेशेंट डायलिसिस के बिना ही लौटाए जा रहे हैं. इससे पेशेंट व अटेंडेंट परेशान हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो).बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अपनी डायलिसिस यूनिट है। यहां 10 मशीनें लगी हैं। इनमें एक मशीन खराब है। 9 मशीनों की मदद से डेली दो शिफ्टों में 14 से 16 पेशेंट्स की डायलिसिस की जा रही है। इनमें से पांच पेशेंट ऐसे होते हैं, जो सप्ताह में चार बार डायलिसिस के लिए आते हैं। तीन पेशेंट्स की महीने में दो बार डायलिसिस होती है। ओपीडी में आने वाले कई पेशेंट ऐसे होते हैं, जिनकी डायलिसिस नहीं हो पाती है। इसके पीछे पेशेंट्स की ज्यादा संख्या बताई जा रही है।जुलाई के पेशेंट अगस्त में बुलाए
जिला अस्पताल में डायलिसिस की 12 मशीनें चल रही हैं। इसका संचालन वाराणसी की हेरिटेज हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड कर रही है। दो शिफ्टों में डायलिसिस की जा रही है। डेली 36 पेशेंट्स की डायलिसिस हो रही है। 15 से ज्यादा पेशेंट्स बिना डायलिसिस के लौटाए जा रहे हैं। जिला अस्पताल में 15 दिन की वेटिंग है। शनिवार को डायलिसिस के लिए आने वाले पेशेंट्स को अगस्त में बुलाया गया है। यहां एक रुपए की पर्ची पर डायलिसिस हो जाती है। प्राइवेट हॉस्पिटल्स में महंगी है डायलिसिस


प्राइवेट हॉस्पिटल्स में डायलिसिस कराना महंगा है। प्राइवेट हॉस्पिटल्स के अलग अलग रेट हैं। एक बार डायलिसिस के लिए पेशेंट्स को आठ से 10 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। जबकि कई डायलर बदलने पर यह रकम और बढ़ जाती है। इसकी वजह से आर्थिक रूप से कमजोर पेशेंट प्राइवेट हॉस्पिटल में डायलिसिस नहीं करा पाते हैं। क्या है डायलिसिस?यह ब्लड शोधन की कृत्रिम विधि है। डायलिसिस की प्रक्रिया तब अपनाई जाती है, जब किसी व्यक्ति के गुर्दे सही से काम नहीं करते हैं। शुगर के कई पेशेंट्स, उच्च रक्त चाप की समस्या पर भी डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। केस 1-कुशीनगर के नंद किशोर गोरखपुर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में डायलिसिस कराते थे। जब उन्हें पता चला कि जिला अस्पताल में भी डायलिसिस होता है। तो वह डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद डायलिसिस यूनिट पहुंचे, लेकिन वेटिंग होने की वजह से वह मायूस लौट गए। केस 2-महराजगंज के रहने वाली विद्यावती देवी की एक किडनी खराब हो गई। वह पहले अपनी डायलिसिस बाहर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में करा रही थी। मेडिकल कॉलेज में डायलिसस कराने के लिए पहुंची तो लंबी वेटिंग देखकर लौट गई। तीन टेक्नीशियन दो शिफ्ट में काम कर रहे हैं। एक रुपए की पर्ची पर डायलिसिस की जा रही है। हर पेशेंट को राहत देने का प्रयास किया जाता है।

डॉ। अरुण यादव, प्रभारी डायलिसिस यूनिट जिला अस्पताल
दो शिफ्टों में डायलिसिस के लिए तीन टेक्नीशियन की तैनाती है। जरूरत के हिसाब से वार्ड से स्टाफ नर्स और वार्ड ब्वाय की ड्यूटी लगाई जाती है। पूरी क्षमता के साथ डायलिसिस की जाती है। पेशेंट्स की सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है। डॉ। महिम मित्तल, प्रभारी डायलिसिस यूनिट बीआरडी मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive