Gorakhpur : हॉस्पिटल के आईसीयू वार्ड में बेसुध लेटी कविता 6 दिन पहले ऐसी नहीं थी. इंटर पास करने के बाद उसके कई अरमान थे. चुलबुली कविता के साथ आखिर ऐसा क्या हुआ जिसे डॉक्टर भी जल्द ठीक नहीं कर पा रहे हैं. यही नहीं कुछ ऐसा ही हाल कविता की मां सुगंधा त्रिपाठी और बहन आभा त्रिपाठी का भी है. गम में डूबे इस परिवार पर 29 जून की वह बरसात भारी पड़ी जिस दिन पूरा शहर वाटरलॉगिंग में डूबा था. शहर के बाकी परिवारों पर तो वाटरलॉगिंग का कहर मिनटों के लिए था पर त्रिपाठी परिवार पर यह उम्र भर के लिए पहाड़ बनकर टूट पड़ा. बारिश के बाद घूमने निकला त्रिपाठी परिवार का चिराग और पांच बहनों का इकलौता और छोटा भाई शुभम की करंट लगने से मौत हो गई. इस हादसे को न तो बहनें सहन कर पा रही हैं और न ही मां-बाप.


मन्नतों से हुआ था सबका लाडलातारामंडल स्थित सिद्धार्थ नगर इलाके में जय प्रकाश त्रिपाठी अपनी फैमिली के साथ रहते हैं। जयप्रकाश डीएम ऑफिस में पोस्टेड हैं। उनकी पांच बेटी विभा शुक्ला, शोभा मणि त्रिपाठी, आभा त्रिपाठी, विनीता त्रिपाठी, कविता त्रिपाठी के साथ एक बेटा शुभम था। शोभा ने बताया कि काफी मन्नतों के बाद शुभम का जन्म हुआ था। इससे वह परिवार में सबसे अधिक लाडला था। शुभम इस साल इंटर में था और सिसवा बाजार में हॉस्टल से रह कर पढ़ाई कर रहा था। 15 दिन से गिरा था बिजली का तार


शोभा ने बताया कि शुभम लाइट और पानी दोनों से डरता था। वह कभी भी नदी में नहाने नहीं गया। मगर 29 जून को हुई भीषण बारिश के बाद परिवार के सभी लोग घर में थे। अचानक शुभम बाहर जाने लगा। मां ने मना किया। मगर शुभम नहीं माना और कहने लगा वाटरलॉगिंग बहुत अधिक है। जिसे मोबाइल से वीडियो बना कर नेट पर डाउनलोड करेंगे। शुभम घर से दोपहर 2 बजे निकला। तभी 2.35 बजे फोन आया और लगभग उसकी सांसे थम चुकी थी। घर से 200 मीटर दूर टूटे पड़ बिजली के तार से पानी में करंट उतरने से उसकी मौत हो गई थी। इलाके के लोगों ने बताया कि यह तार 15 दिन से टूटा था। जिसकी सूचना बिजली विभाग को कई बार दी गई। मगर एक्शन न होने से यह हादसा हुआ। इससे पहले कई मवेशी की भी मौत हो चुकी थी।नहीं सह पा रहा इस दर्द को परिवारमन्नतों के बाद मिले बेटे शुभम की जवानी में मौत के सदमे को पूरा परिवार सहन नहीं कर पा रहा है। शुभम से बड़ी बहन कविता बेसुध हालत में डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के आईसीयू में एडमिट है। डॉक्टर का मानना है कि अगर कविता अंदर से मजबूत न हुई तो कोमा में भी जा सकती है। वहीं इस गम में डूबी मां सुगंधा और तीसरे नंबर की बहन आभा की भी बुरी हालत है। परिवार के बाकी सदस्य किसी तरह हिम्मत बांधे इनको संभाल रहे हैं।जगह-जगह हैं ऐसे खतरे

बिजली विभाग की लापरवाही से न सिर्फ शुभम की जान गई बल्कि उसका परिवार गम में डूबने के साथ बिखर रहा है। ऐसी कंडीशन बिजली विभाग की लापरवाही से सिटी के विभिन्न इलाकों में है, जहां कभी भी किसी भी घर का चिराग या लाडला मौत की नींद सो सकता है। ट्रांसफार्मर जमीन पर रखा है तो पूरा सब-स्टेशन ही वाटरलॉगिंग में डूब जाता है। कई इलाकों में तारों की हालत ऐसी है कि कभी भी टूट कर गिर सकता है। इन हादसों के पीछे अकेले विभाग की लापरवाही नहीं बल्कि इंप्लाई की अनदेखी भी शामिल रहती है। क्योंकि अक्सर सूचना देने के बाद भी इंप्लाई सप्लाई काटने या रिपेयरिंग में काफी टाइम लगा देते हैं।

Posted By: Inextlive